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प्रजातंत्र/ धर्म निरपेक्ष

jagate raho
jagate raho
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हमारा देश प्रजातांत्रिक धर्म निरपेक्ष गन राज्य है जहाँ सविधान ने भारत के हर नागरिक को बराबरी का हक़ दिया है लेकिन सता का असली हकदार एक विशेष परिवार ही है ! प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं, इतिहास गवाह है १५ अगस्त १९४७ से आजतक का इतिहास उठाकर देखा जा सकता है ! अमीर गरीब की दीवार तो भारत की परम्परा में सामिल थी जिसको सविधान ने तोड़ दिया था, पर असल में यह दीवार धरासाही हो पायी है ? नहीं, यह दीवाल आज और ज्यादा मजबूत और ऊँचाई हासिल कर चुकी है ! एक आदमी आसमान की उंचाइयां नाप रहा है, हेली काप्टर या विमानों में और एक पैदल ही नंगे पाँव घिसिट रहा है चलचलाती धूप में, थरथराती सर्दी के थपेड़ों में, वारीश में, रात दिन कठिन मेहनत करने के बावदूद एक समय की भी रोटी का इंतजाम नहीं कर पा रहा है ! एक रईसी जिन्दगी जी रहा है गगन चुम्बते बंगले में जहाँ सजा सजाया लान है बगीचों के बीच ताल तलया, स्वीमिंग पूल, टेनिस, बास्केट बाल की सुविधाओं से लैस खूबसूरत कोर्ट, बहुत सारी मंहगी कारें, नौकर दास दासियाँ, ऐसी साज सजा जो स्वर्ग में देवताओं को भी सुलभ नहीं है ! फिर भी हम समानता पर विश्वास करते हैं ! स्कूलों में 95% अंक लेने वाले जनरल क्लास के विद्यार्थी आरक्षण के आगे बौने हो जाते हैं ! एकता का नारा देने वाले राज नेता अपने वोट बैंक बनाने के लिए समाज को बाँट रहे हैं अपर क्लास, मिडिल क्लास और निम्न क्लास में, बहु संख्यक – अल्प संख्यक !
धर्म निरपेक्ष की बात करने वाले स्वयं कितने धर्म निरपेक्ष हैं, जनता अच्छी तरह जानती है !
कुछ नेताओं ने तो जैसे धर्म निरपेक्ष समाज का ठेका ही ले रखा हो ! अल्प संख्यक वोट बैंक पर अपना कब्जा जमाने की रस्सा कस्सी में सभी राजनीतिक पार्टियां भागिदार हैं ! सविधान की नजर में देश के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, पर कितने किस्मत वाले गरीब गुंडे और नेताओं के रौब और पैसों के आगे अपनी इच्छा से अपने मत का सदु पयोग कर पाते हैं ? सबको अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन जो बात नेताओं को पसंद नहीं आती तो बोलने वाले को जेल में बंद किया जाता है, झूठा इल्जाम लगाकर ! एक कार्टून बनाने वाले ने आधुनिक भारत को लूटने वाले नेताओं को भेड़िया दिखाया तो उसे जेल में बंद कर दिया गया की इसने देश का अपमान किया है ! कोयले की दलाली में प्रधान मंत्री और बहुत सारे नेता फंसते नजर आये तो विपक्ष पर सता पक्ष आरोप लगाने लगा की ‘विपक्ष ने संसद नहीं चलने दी और देश का बहुत बड़ी राशि (पौने दो करोड़)
का नुकशान करवा दिया ! चित भी मेरी पट भी मेरी ! शासक पहले भी साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल करता था लेकिन वह राज तंत्र शासन था पर आज भी तो डंडे के जोर पर जनता पर मंहगाई का बोझ, टैक्श का बोझ, मर्जी से सविधान की धाराओं में परिवर्तन लाने का बोझ डाला जा रहा है ! एक क्लास फॉर ५० रूपये रिश्वत में पकड़ा गया उसे जेल के अन्दर दाल दिया जाता है, कम से कम छ महीने के लिए तो वह जाता ही है, लेकिन
बड़ी बड़ी मच्छ लियां करोड़ों डकारने के बाद भी खुले आम बाहर घूमते हैं प्रजातांत्रिक देश में ! हम स्वतंत्र हैं, हमें अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है, किसी भी नेता को सवाल करने की आजादी है, राष्ट्रपति को छोड़ कर किसी भी राज नेता का कार्टून बना सकते हैं ! क्योंकि हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है !

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