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कुछ लेते क्यों नहीं ?

jagate raho
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सुबह सबेरे पार्क में एक सजन मेरे नजदीक आए, हाथ मिलाने अपना नाजुक हाथ आगे बढाए ! एक अनजान से हाथ मिलाना मुझे नहीं भाया इसलिए मैंने उनसे अपना हाथ नहीं मिलाया ! वे मेरी बेरुखी से घायल नहीं हुए बल्की अपने हाथ मिलाने के इरादे पर डटे रहे ! उन्होंने मुझे अपना परिचय दिया ‘एक जानी मानी हस्ती अपने को पहुंचा हुआ वैद्य राज बतलाया’ ! फिर क्या था आयुर्वेद पर मैंने भी अपना विश्वास जताया और उन महाशय से अपना हाथ मिलाया ! उन्होंने हाथ मिलाते हुए मेरा हाथ जोर से दबाया मेरे दुबले पतले शरीर पर अपनी शक्ती अजमाया यह कहते हुए “भय्या जी कुछ लेते क्यों नहीं ? हाँ हाथ में तो दम है लेकिन शरीर के साथ आपने सौतेला व्यवहार किया है इसलिए इस बेशकीमती बदन को सुखा सुखाकर सिकुडूमल बना दिया है ! अगर बुरा न माने तो एक बात कहूं ?” मुझे भी लगा की शायद ये जाने माने वैद्य राज ठीक कह रहे हैं, हम अपने वजन को सीमा से भी नीचे उतारते चले जा रहे हैं इसलिए संगी साथी मजाक में हमें सिकुडूमल पहलवान बताते हैं ! मैंने कहा ” हाँ कहिये शौक से कहिये मैं बुरा नहीं मानूंगा !” वे बोले, “देखो बरखुरदार, ये मनुष्य जीवन बहुत अमूल्य है और इसको स्वस्थ और सुरक्षित रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है ! आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे रहे हैं इसलिए साढे पांच फीट के आदमी होकर भी वजन केवल ५० केजी ही ढोरहे हो, भाई जान आपका वजन कम से कम ६० केजी के आस पास तो होना ही चाहिए ! हमारी कंपनी ने ऐसे लोगों के लिए हिमालय की गगन चूमती पर्वत मालाओं से शुद्ध और प्रदूषण रहित जडी बूटियों से यह हर्बल तैयार किया है ! इसकी बिशेषता यह है यह मोटे लोगों को पतला और पतलों को मोटा बना देता है ! यह सब तरह से मिलावट रहित, राजनीति से दूर, न डीजल की बढ़ती कीमतें इसकी चमक को धूमिल कर सकता हैं, न कोयला घोटाला ही इसके रास्ते का रोड़ा बन सकता है ! न इसमें २ जी स्पेक्ट्रम का घोल है, न कोल कम्पनियों पर प्रधान मंत्री की मेहरबानियों का असर हमारे इस हर्बल पड़ने वाला है, न सैनिक आवास घोटालों की हवा ही इसकी विश्वसनीयता पर अंगुली उठा सकती है ! बढती हुई मंहगाई भी इसके रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती है ! कॉमन वेल्थ गेम के नायक सुरेश कलमाडी और उसकी टीम पर भी मैं शनि की छाया बन कर मंडराता रहता हूँ की आज नहीं तो कल तो ये नाटक वाज अपने पापों के तले जरूर दबेंगे ! हाँ एक बात तो जरूर है की मैं स्वयं राजनीति से दूर रहकर भी बाबा रामदेव की तरह इस पर राहू केतु की तरह मंडराता रहता हूँ ! अरुणा हजारे के आन्दोलन को हवा देकर ज्वाला भड़काने में मदद करता हूँ लेकिन अदृश्य होकर ! मैं गरीब की रुकी हुई सांशों को गति प्रदान करता हूँ, जुल्मों तले रौंदे हुए असहायों को ऊर्जा देकर उनके बुझे हुए दीपों में नयी ज्योति जलाता हूँ ! निर्बलों को सबल बनने का टॉनिक देता हूँ ! अगर मेरा सही परिचय जानना चाहते हो तो सुनो,
“मैं अगर कर्तव्य हूँ तो अधिकार भी हूँ,
मुरझाया फूल हूँ तो हार भी हूँ ,
चहरे पर पडी राज नीति की लकीरें
नन्ने मुन्नों की पीठ पर लटका भार हूँ !
मैं बांटता हूँ हर्बल जन जन जगाने के लिए
भ्रष्टाचार कालाधन पर लटकी तलवार हूँ !
मैं केवल मोटे को पतला पतले को मोटा ही नहीं बनाता
आयर्वेद के अश्व का घुड सवार भी हूँ ! ”
उस रोज से ही मैं उनकी कंपनी का हर्बल ले रहा हूँ और अपने वजन में इजाफा पा रहा हूँ !
अब मैं अपने दुबले पतले दोस्तों से कहता हूँ “अरे यार क्या हालत बना रखी है कुछ लेते क्यों नहीं ” !

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