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एक बाद एक गुरु अपने चेले के साथ भीख माँगने के लिए एक विशाल कोठे के गेट पर पहुंचे ! वहां उन्हें गेट के बहार एक मरियल सा कुता पड़ा हुआ मिला ! वह खुजली के रोग से पीड़ित था और बार बार अपने जख्मी शरीर को अपने नुकीले पंजों से अपनी खाज मिटाने की नाकाम कोशीश कर रहा था ! कोठी बड़ी शानदार थी और सारी सुविधावों से ओत प्रोत थी ! कोठी चारों और से एक मजबूत इंट पत्थर सीमेंट और लोहे की कंटीली तारों से बनी दीवार से घिरी हुई थी !
कोठी से लगा हुआ एक कलमी, दशहेरा आमों का बगीचा था ! विभिन्न प्रकार के फूलों से सजा हुआ बाग़ था ! शुद्ध जल से भरा एक स्विम्मिंग पूल भी था जहां परिवार के लोग स्विम्मिंग का मजा ले सकते थे ! एक तालाब भी था जिसमें बहुत सारे कमल के फूल खिले हुए थे और रंग बिरंगे भंवरे मधुर ध्वनी सुनाकर बदले में फूलों से मधु ले रहे थे ! कीमती कारों की कतार, चालक नौकर, चाकर, खानसामा सभी कुछ तो था इस कोठी में ! बच्चों की किलकारियां भी सुनाए दे रही थी अन्दर से ! गुरु और चेले कुछ देर खड़े इस बंगले को निहारते रहे ! चेला बोला “गुरु जी लगता है बहुत बड़े मंत्री की कोठी है” ! गुरु जी बोले, वत्स तुम्हें याद है आज से ४० साल पहले भी हम इस स्थान पर आ चुके हैं उस समय यहाँ पर चार कमरों का एक साधारण सा मकान था ! चारों और लहलहाते खेत थे ! उस मकान में एक किसान रहता था ! बड़ा इश्वर भक्त पर गरीब था” ! चेला बोला, “हाँ गुरु जी याद आया उसका बड़ा परिवार था जमीन थी पर कर्जे में डूबा हुआ था ! एक बार हम उसके दरवाजे पर भीख माँगने आए थे और उसने बाजरे की दो रोटी हमें खाने को दी थी, उस वक्त मैंने आपकी तरफ देखा था तो आपने कहा था, ‘चुप चाप खा लो, जिसके पास जो होगा वही तो देगा, गनीमत समझो बाजरे की रोटी हैं, गाली तो नहीं हैं’ और हमने बड़े प्रेम से वे रोटी खा ली थी और आपने उसे बहुत सारा आशीर्वाद भी दिया था !” गुरु जी बोले, समय की तेज आंधी में उस किसान का परिवार बिखर गया और इस जमीन और मकान पर गाँव का बनिया ने, जिसने उसे कर्ज दिया था अपना अधिकार जमा दिया और उसे बेघर कर दिया ! उसी ने यहाँ पर यह आलीशान कोठी बनाई, बाग़ बगीचे, खूबसूरत तालाब और स्विम्मिंग पूल बनवाए ! वह बनिया इतना मशहूर हुआ की राजनीति ने उसकी किस्मत चमका दी, वह केन्द्रीय मंत्री भी बन गया ! यहाँ उसने विकास के नाम पर जनता का खूब शोषण किया ! सरकारी धन का खूब दुरूपयोग किया ! मजदूरों से बिना मजदूरी दिए काम लिया जाता था, किसानों को बिना दाम दिए उनके अनाज को जबरदस्ती अपने गोदामों में भरवा देता था ! भ्रष्टाचार, घूस रिश्वतखोरी, जमाखोरी का बाजार गर्म था ! गरीबों का शोषण चरमसीमा पर था ! मंत्री मंडल में उसी की तोती बोलती थी ! उसकी पत्नी बड़ी धर्म परायण थी और उसे बार बार इन दुष्कर्मों से सावधान करती रहती थी लेकिन उस पर कोइ असर नहीं पड़ता था ! इस बंगले में रोज दुष्कर्म शराब और शवाव के दौर चला करते थे ! उसका एक पुत्र पैदा हुआ जो आगे चल कर इस पूरी सम्पति का मालिक हुआ ! पाप का घड़ा तो रावण और कंस का भी भरा और उन्हें उनकी दुष्टता का दंड भी मिला तो फिर यह तो एक मामूली सा बनिया ही तो था ! और एक दिन ये मंत्री जी मंत्री कुर्सी पर चिपके ही रह गए, उन्हें लकवा मार गया था, न उठ सकते हैं न बैठ सकते हैं, भूख लगी है खा नहीं सकते, प्यास लगी है सोने के वर्तन में पानी पड़ा है लेकिन गले में पानी नहीं जाता था ! एक साल तक वे तड़पते रहे, शरीर पर कीड़े पड़ गए, नौकर भी उससे किनारा करने लगे ! उसका कमरा बदबू से भर गया ! परिवार का कोई भी व्यक्ति अब उसके पास नहीं फटकता था ! मौत मांगता था लेकिन यमराज भी आने से कतराते थे ! और एक दिन वह इस सड़े गले पिंजरे से मुक्त हो गया, लेकिन कुता बन कर यहीं गेट पर आ गिरा ! ये मरियल खाज खुजली से दुखी कुता उसी की आत्मा है जो एक दिन इस कोठी का मालिक था और जो आज कोठी का मालिक है वह वही किसान है जिसकी जमीन जायजाद जबरदस्ती उससे छीनी गयी थी” ! “उसने सारे दुष्कर्म और बुराइयां इस कोठी से ख़त्म कर दिया है ! यहाँ हर रविवार को हवंन और कीर्तन होते हैं ! भलाई कर बला होगा बुराई कर बुरा होगा, कोई देखे या न देखे खुदा तो देखता होगा” ! गुरु जी ने गेट पर दस्तक दी, गेट कीपर ने गुरु जी को दंडवत किया, मालिक को खबर दिया ! मालिक ने गुरु और चेला दोनों सम्मान के साथ आसन दिया ! भिक्षा दी और बड़ी इज्जत के साथ उन्हें दूर तक पहुंचाने के लिए भी गया, बदले में आर्शीर्वादों का बण्डल हासिल किया !
(हरेंद्रसिंह रावत )
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