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जागते रहो

jagate raho
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रात भर चिल्लाता रहा, “जागते रहो ”
पुलिस गार्ड सोती रही चोर जागते रहे !
कमाल तो देखी चोर चोरी करते करते
चिल्लाते जा रहे थे “जागते रहो” !
‘चोर चोरी कर रहे हैं साव धान रहो !
तुम्हारे आगे पीछे नामी डकैत हैं,
मनुष्य रूप में भेड़िये राक्षस दैत्य हैं’ !
सुबह हुई पेपर उलट पुलट किया,
हर पेपर ने लूट डकैती का गरम गरम मसाला दिया !
हर पेज पर किडनेपिंग लूट डकैती,
यही चोरों का धंदा और डाकुओं की खेती,
हत्या के किस्से रंग बिरंगी तस्वीरों के साथ
रस अलंकार लगाकर कदावर हीस्ट्री सीटर का हाथ,
समाचार के हर पेज पुलिस की शिथिलता पर
जहरीले बाणों का वार,
पुलिस ने कहा रात भर पहरे पर थे हमारे घुड सवार !
हर सोसायटी की गार्ड बेकारों की फ़ौज,
खेतों में काम चोरी, गार्ड बन कर करते मौज !
भला इस महगाई में पांच हजार में बारह घंटे
ड्यूटी होती है,
ये पांच हजार में बच्चे पालते हैं जब की जनता
मंहगाई के लिये रोती है !
पुलिस वालों को वी आई पी की सुरक्षा भी तो करनी है,
सुबह शाम काँटों भरी जर्नी है !
मेरा काम है जनता को जगाना,
पुलिस को जगाना,
गार्ड होम, गार्ड को जगाना,
जागते रहो, जागते रहो, कहते कहते खुद सो जाना !
फिर समाचार वालों को नरम गरम मसाला मिल जाता है,
बड़ी संख्या में उस दिन का समाचार पेपर बिक जाता है,
यह रोज का किस्सा है,
रोज पुलिस और गार्ड फिर सो जाएगी,
कहियों की मंहगी गाड़ियां चोरी हो जाएंगी,
फिर एफ आई आर दर्ज होगी,
समाचार पेपर को खबर मिल जाएगी !
और मैं नींद में भी चिल्लाता रहूँगा “जागते रहो जागते रहो” !
फिर भी पुलिस गार्ड सो जाएगी !
हरेंद्रसिंह रावत

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