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सुबह सुबह फोन की घंटी खन खनाने लगी, कीचन से पत्नी की आवाज आई, अजी सुनाई नहीं दे रहा है, काफी देर से फोन की घंटी बज रही है, पार्क से आते ही समाचार पत्रों की सर्जरी करने लग जाते हो ! सलमान खुर्शीद और वाड्रा के घोटालों में कुछ और जुड़ गया है क्या ? मैं भागता हुआ आया फोन उठाया, ‘हेलो’, उधर से आई ‘पहिचाना मैं नारद मुनि बोल रहा हूँ’ ! मैं सोचने लगा आज हर कोई जोगी, सन्यासी बन रहा है, अपने को पहुंचा संत बताता है, पूछ ही लिया “कौन से नारद धरती के नारद या देव ऋषि नारद” ! वे बोले ‘मैं देव ऋषि नारद ही बोल रहा हूँ, सुना है तुम्हारे भारत में देश के करणधार सारे ऊंची ऊंची कुर्सियों में बैठे भ्रष्टाचार के दल दल में फंस रहे हैं और सरकार आँख कान बंद किये हुए सरकार चला रही है ! शाही परिवार के शाही दामाद भी इस रेस में अगुवाई कर रहे हैं ! उनके इर्द गिर्द सरकार उनके बचाव में घेरा बना कर खड़ी है ! अरे क़ानून मंत्री ने भी एक करोड़ सैतीस लाख रुपये जो सरकार ने शारीरिक अशक्त और अपंग लोगों के लिए सलमान खुर्शीद के ट्रष्ट को दिए थे डकार लिए ! पहले लालू जी ही चारा घोटाले के लिए मशहूर हुए थे लेकिन अब सलमान खुर्शीद ने भी अपंगों की रोटी छीननी शुरू कर दी ! हमने केजरीवाल को धरती पर भेजा था भ्रष्टाचार, रिश्वर खोरी, और काला धन जमा खोरों के खिलाफ आन्दोलन छेडने के लिए, कितने लोग उसके साथ इस आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं ? अरे धरती वालों ने जप तप, पूजा, यग्य, हवन करना बंद कर दिया है ! देवता शक्तिहीन होने लगे हैं ! प्रकृति का संतुनल बिगड़ने लगा है ! इंसान ने जंगल के जंगल साफ़ कर दिए, नदियों के बहाव को रोकने की कोशिश हो रही है ! पहाड़ों के अन्दर विस्फोट करके उनके अस्तित्व को मिटाने का उपक्रम हो रहा है ! हिमालय को पददलित करके हिमखंड धीरे धीरे पिघलते जा रहे हैं ! देश की पवित्र नदियों को गंदे नालों में प्रवर्तित किया जा रहा है ! इंसान अपने नापाक इरादों को फली भूत करने के लिए कुदरती खूब सूरती को मिटाता जा रहा है ! जब कुदरत से छेड़ छाड़ करोगे तो कुदरत का कहर फूट पड़ेगा, कभी अति वर्षात होकर, बादल फटकर भयंकर बाढ़ बनकर, आंधी पूफान या फिर बिना वरसात के सुखा अकाल का काल बनकर ! मंगल, शनि शुक्र ग्रहों में इंसान निर्मित उपग्रह भेजे जा रहे हैं धरती तो पहले प्रदूषित हो चुकी है अब स्वर्ग तक भी इस प्रदूषित गन्दगी को फैलाने की तैय्यारी की जा रही है ! किसानों की हरे भरे खेतों को ईंट, सीमेंट, गारा चुने से जोड़ कर गगन चुम्बी इमारतें खड़ी की जा रही है ! खेत और फसलें खतम होती जा रही हैं बिल्डिंगे ज्यादा नजर आ रही हैं ! जन संख्या दूगने और चौगुने की औसत से बढ़ रही है, कल कहाँ बसाओगे इनको और क्या खिलाओगे ? विकास के नाम पर इंसान इंसान का दुश्मन बनता जा रहा है ! अमीर गरीब का फासला बढ़ता जा रहा है ! गरीबों के नाम का सरकारी इमदाद बड़े बड़े अधिकारियों और उद्योग पति व्यारियों की जेबों की शोभा बढा रहा है! अरे दूसरे देशों को छोड़ो, भारत वासियों अपने को देखो, यह तो देवों की भूमि थी ! ये असुर कहाँ से आ गए ! अभी भी संभल जाओ नहीं तो बहुत पछताना पड़ेगा ! जब समय था अरे मूरख, प्रभु से किया न हेत, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ! ” इतना कह कर फोन कट गया !
हरेंद्रसिंह रावत
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