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ये आग क्यों भड़क रही है ?

jagate raho
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जब लोगों के पास साधनों की कमी थी, पैसा कम था, खान पान, कपडे लत्ते साधारण थे ! हर इंसान अपनी इनकम के दायरे में रहता था और “तेते पांव पसारिये जाती लम्बी सौर” का पालन करते थे ! गाँव में लोग मिल जुल कर रहते थे और एक दूसरे के काम आते थे जात पांत वर्ण व्यवस्था उस जामने में भी थी लेकिन गाँव वासी सामाजिक परम्पराओं का आदर करते थे ! शादियाँ होती थी और लड़की वाले अपनी श्रद्धा से अपनी हैसियत से लड़की का हिस्सा उसे थमा देते थे ! दहेज़ किस बला का नाम है कोई नहीं जानता था ! प्रेम मोहब्बत और भाई चारा बना रहता था हर गाँव में और शहरों कस्बों में ! देश में एक राजा होता था और उसके मंत्री होते थे ! पुलिस होती थी लेकिन चोरी डकैती, ह्त्या, तस्करी, अपहरण, रेप जैसे जुर्म गाँवों में सुनने को नहीं मिलते थे ! इंसान गरीब थे लेकिन ईमानदार थे, अपनी आस्थाओं, परम्पराओं, रीति रिवाज, संस्कृति और समाज के नियमों का पालन करते थे ! कुदरत से कोई छेड़ छाड़ नहीं करता था तो न कोई दैवी आपदाएं आती थी, न कोई बाढ़, सुखा, अकाल जैसी विपदाओं से उस समय का इंसान आतंकित होता था ! समय पर वारीश होती थी, समय पर खेतों में बीज पानी पड़ता था लहलहाते खेतों को देख कर किसान और उसका परिवार गरीबी के आवरण में लिपटा हुआ भी हँसता और मुस्कराता था ! शादी विवाह माँ बाप ही तय करते थे और अपनी आर्थिक और सामाजिक हैसियत के अनुसार ही तय की जाती थी ! राजनीति किस चिड़िया का नाम था गाँवों में कोई जानता भी नहीं था ! राजा के कारिंदे गाँवों में आते थे गाँव के मुखिया या पट्टी के पटवारी जो पूरे गाँव के किसानों से लगान जमा करते थे पूरी रकम उन्हें सौंप देते थे ! कभी समय पर वारिष नहीं होती थी और किसान लगान नहीं दे पाता था तो कुछ राजाओं को छोड़ कर राजा अपनी प्रजा का ध्यान रखते थे, उनके सुख दुःख में सामिल होते थे और आपात काल में लगान तो माफ़ करते ही थे सरकारी सहायता भी किसानों को दी जाती थी ! बहुत से दूर दराज के गाँव वालों को तो पता भी नहीं था की देश गुलाम है की आजाद ! हाँ कुछ गाँव वासी जागरूक थे जिन्होंने अपने गाँव के नौ जवानों को आजादी की जंग के लिए समर्पित कर दिया था ! भगतसिंह, सुखदेव राज गुरु, चन्द्र शेखर आजाद और बहुत से शहीद इन गाँवों की मिटटी में पले और बड़े हुए थे !
समय ने करवट बदला, देश आजाद हुआ, अंग्रेजों के साये में पले राज परिवारों के लोग राजनीति के गलिहारों से होकर संसद और विधान सभाओं तक पहुँच गए ! लोग पार्टियों में बंटने लगे, जिस पार्टी की सरकार बनी उसने वोट बैंक बनाने के लिए समाज को तोड़ना शुरू किया, समाज जातियों और धर्म की दीवारों में अलग थलग पड़ने लगे ! अंग्रेजों के लकीर के फकीर होकर देश की सरकार भी ‘समाज को तोड़ो और राज करो’ की पालिसी अपनाने लगी ! नतीजा समाज का भाई चारा प्यार प्रेम नफ़रत और दुश्मनी में बदलने लगा ! गरीब अमीर का अंतर जमीन और आसमान जैसा हो गया ! व्यापारी, उद्योगपति, राजनीतिग्य, दलाल, नौकरशाह पहले लखपति फिर करोड़ पति अरबपति बनने लगे ! किसानों कि जमीन औने पौने दामों में लेकर सरकार ने विकास योजनाएं बनाई और किसानों को बिल्डरों और उद्योग पतिओं का मजदूर बनने पर मजबूर कर दिया ! पैसे का फैलाव हुआ और चीजें कम होने लगी नतीजा महंगाई ! समाज को आर्थिक पैमाना में तोलते हुए उन्हें भी विभाजित किया गया, अपर ऊंची श्रेणी के लोग, मध्यम अपर क्लास, मध्यम और निम्न श्रेणी ! माध्यम और निम्न श्रेणी के लोग जिंदगी के हर कदम पर संघर्ष कर रहे हैं जब की ऊंची क्लास आसमान की ऊंचाइयां नाप रही हैं ! एक तरफ जन संख्या बढ़ रही है तो खेती वाली जमीन कम होती जा रही है ! रोज एक नया फैशन बाजार, कस्बों, गाँवों में फैलने से नए जवान युवक युवतियां अपने रहन सहन के स्टेंडर्ड को बनाए रखने के लिए चोरी, डकैती, ह्त्या, चेन स्नेचिंग, बच्चों का अपहरण, स्मगलिंग जैसी वारदातों को अंजाम देने लगे हैं ! राजनीति के भारी भरकम खिलाड़ी सरकार के खजाने को लूट रहे हैं जो जनता की खून पशीने की
कमाई है ! जो लूट रहा है वह क्रोध से पागल होता जा रहा है कारण पुलिस उसकी रक्षा नहीं कर पा रही है ! जो लूट रहा है उसे गुस्सा आ रहा है की देश के सुधारवादी, ईमानदार केजरीवाल जैसे लोग उनके लूट को जनता को दिखाकर उन्हें बेनकाब कर रहे है ! फिर शादी विवाह माँ बाप की मर्जी से नहीं बल्की प्रेम विवाह के शॉर्ट कट से होने लगे हैं, जो कुछ ही दिन चल पाते हैं ! पति पत्नी के स्नेह प्यार का जनून थोड़े ही दिनों में उतर जाता है, शादी के नकली सात फेरे तलाक या पत्नी की रहस्यमयी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाता है ! जहाँ अरेंज्ड मैरिज होती है वहां नकारा से नकारा लडके का बाप और माँ लडके की ससुराल वालों से एक बहुत बड़ी रकम दहेज़ में वसूल करने की कोशीश करता है, अगर उनकी दहेज़ की मांग पूरी नहीं होती है तो फिर या बहु को जिन्दा जलाया जाता है या फिर उसे मार कर उसके गली बाँध कर घर के पंखे से लटकाया जाता है ताकि पुसिल वालों को लगे की आत्म हत्या करके मरी है ! ऐसे बहुत से केस देश के न्यायालयों में सालों से पड़े हैं ! यहाँ भी ऊंचे रसूक वाले लोग अपने पैसों के बल पर मंहगे से महंगे क्रिमिनल वकील के जरिये केस का फैसला अपने हक़ में करवाने में कामयाब हो जाते हैं ! लेकिन कुछ ऐसे केस भी सामने आये हैं की पति पत्नी के झगड़े से तंग आकर या पति ने अपने को गोली मार दी है या पत्नी ने जहर खा लिया या फांसी पर लटक गयी ! लेकिन यहाँ एक नया ही तमाशा देखने सुनने को मिला ! भुवनेश्वर (उड़ीसा) में ३५ वर्ष के सूर्य नारायण दास ने अपनी पत्नी के साथ मामूली बात पर झगडा किया और गुस्से में भाग कर वहां के चिड़िया घर आ गया, यहाँ उसने शेरों के मांद के नजदीक आकर पहले दो शेरों को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और फिर लोहे की मजबूत बाड़ के ऊपर चढ़ कर एक शेर के आगे छलांग मार दिया ! शेर ने पहले उसे सूंगा फिर उसके सर और गरदन को दांतों से काटा और फिर मुंह में दबाकर करीब ५० फीट खींच कर ले गया ! उसकी गरदन, सर, पाँव हाथ और करीब सारा शरीर लहू लुहान होगया था, वहां खड़े दर्शकों ने शोर मचाया, ईंट, पत्थर फेंके जिससे शेर शिकार को छोड़ कर अपने इन्क्लोजर में चला गया ! सुरक्षा गार्ड वालों ने उस जख्मी इंसान को बाहर निकाला और अस्पताल में भारती कर दिया ! उसे होश आ चुका है और उम्मीद जताई जा रही है की वहा जल्दी ठीक भी हो जाएगा ! क्या कोई अनुमान लगा सकता है की पति पत्नी का झगड़ा इतना भयानक स्तर तक पहुँच सकता है ! (timesofindia ७/१०/२०१२) ! अरे भले आदमी झगडा हर घर में होता है लेकिन विवेकशील पुरुष आपा नहीं खोते ! कल तक चलता फिरता इंसान अपनी नादानी से अस्पताल में पड़ा है ! जो खर्चा इलाज में लग रहा है वही पैसा वह अपने परिवार और बच्चों की बेहतरी में खर्च कर सकता था !
कुछ समाज सुधारक का मुखोटा पहिन कर अपने पैसों के बल पर असहाय और असमर्थ लड़कियों की मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें मरने को मजबूर कर देते हैं, हरियाणा के पूर्व मंत्री कांडा का किस्सा ताजा ताजा है ! अस्पतालों से नन्ने बच्चों की चोरी आम बात हो चुकी है ! पुलिस का कहना है की उसकी ड्यूटियां बहुत हैं, इलाका बड़ा है पर मैंन पावर कम है ! हरियाणा में रेप के केस बढ़ते जा रहे हैं, मंत्री कहते हैं ये सारे काण्ड लड़कियों की सहमति से हो रहे हैं, और मजे की बात तो देखिए हमारी प्यारी जनता इन्हीं गैर जिम्मेदार भरष्ट नेताओं को वोट देकर जिता देती है और बदले में जिल्लते उठाती हैं ! केन्द्रीय सरकार के, कांग्रेस पार्टी के भारी भरकम मगर मच्छ घोटाले पर घोटाला कर रहे हैं उन पर कोई जांच नहीं पर राम देव ने इन भ्रष्ट नेताओं के विदेशी बैंकों में रखा काला धन का मुद्दा उठाया तो उन्हीं के आश्रम पर उनके गुरु के लापता होने की सी बी आई जांच की सिफारिस कर दी ! बाबा रामदेव एक निष्पक्ष एजेंसी (सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश) से करवाने की पेशकस कर रहे हैं ! सी बी आई केन्द्रीय सरकार के इशारों पर चलती है और उसके द्वारा की गयी जांच के नतीजे वही रहे जो सरकार चाहती थी !
कांग्रेस की हार का टेलर जनता को देखने को मिला टेहरी में उत्तराखंड के मुख्य मंत्री के सुपुत्र की हार से ! मुख्य मंत्री के सुपुत्र २२४३१ वोटों से बड़ी आन वांन और शान से हारे हैं ! कलकाता में राष्टपति के सुपुत्र जीते हैं लेकिन बहुत कम मार्जिन से ! जनता को अभी से कमर कस लेनी चाहिए २०१४ के संसद के चुनाव के लिए ! ताकि तमाम भ्रष्ट मंत्रियों को उनके किये की सजा मिल सके जनता द्वारा ! प्रजातंत्र में जनता ही सर्वे सर्वा है ! बन्दे मातरम !! हरेंद्रसिंह रावत

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