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चलो नील कंठ महादेव चलें

jagate raho
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भारतवर्ष में शिव शंकर (महादेव) के १२ ज्योतिर लिंग हैं ! श्रीसोमनाथ गुजरात प्रदेश में, श्री शैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में श्री महाकाल, ओंकारेश्वर (पुराना मालवा) अथवा अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान पर भीमशंकर, यह स्थान पूना से उत्तर में भीमा नदी के किनारे सदी पर्वत पर है, इस शिखर नाम ही डाकिनी है, इससे यह अनुमान लगाया गया है की कभी यहाँ डाकिनी और भूतों का निवास था ! रामेश्वर, इसकी स्थापना भगवान राम ने लंका में प्रवेश करने से पूर्व की थी ! यह मंदिर तमिलनाडू प्रदेश में पड़ता है ! नागेश्वर – इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ पंडितों का कहना है की यह मंदिर हैदराबाद में है, कुछ इसे अल्मोड़ा में मानते हैं (जोग्र्श्वर के नाम से), काशी में विश्वनाथ, यह स्थान नासिक जिले में पंचवटी से (जहाँ सुर्पंखां की नाक कटी थी) १८ मिल की दूरी पर ब्रह्मगिरी के निकट गोदावरी के किनारे है ! श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक स्थान पर मंदाकिनी के तट पट विद्यमान है ! शिखर के पूर्व की और अलकनंदा के तट पर श्री बदरीनाथ स्थित हैं ! यह स्थान हरिद्वार से ५० मील और ऋषिकेश से १३२ मील की दूरी पर है ! श्री घुश्मेश्वर निजाम हैदराबाद में बेरुल गाँव में है (पुराना गाँव था) ! श्रीत्रिम्बकेश्वर गोदावरी के तट पर स्थित है !
१२ द्वादश ज्योतिलिंगानी
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैले मल्लिकार्जुनम !
उज्जयिन्यां महाकालमोंकार ममलेश्वर !
परल्यां वैद्यनाथम च डाकिन्याम भीमशंकरम !
सेतुबन्धे च रामेशं नागेशं दारुकावने !
वारानास्यां तू विश्वेशं त्र्यम्बकं च शिवालये !!
एतानि ज्योतिर्लिन्गानी सायं प्रात: पठेन्नर: !
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेंन विनश्यति !!
इन १२ ज्योतिर्लिंगों के अलावा भी हमारे देश में बहुत सारे बड़े बड़े शिवालय हैं ! इन में से बहुत सारे तो हिमालय की चोटियों में या उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश की पहाड़ियों में विद्यमान हैं ! कैलाश पर्वत, अमरनाथ, श्री नगर में शंकराचार्य मंदिर, उत्तराखंड में जोशिमठ से ३२ किलो मीटर दूर एक ऊँची पर्वत छोटी पर नील कंठ महादेव का एक प्राचीन मंदिर है ! बाकी भाग २ में

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