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मैं हाथ में गंगा जल लेकर शपत लेता हूँ
जो भी कहूँगा, सच कहूँगा
और सच के अलावा कुछ नहीं कहूँगा !
मैं वही हूँ स्वतंत्र सेनानी जो जेल गया था,
गुलामी में जुल्म मैंने भी सहा था !
पिछली बार मैं चुनाव जीत गया था,
सांसद बना फिर मंत्री बना था,
लेकिन बंदा बिलकुल नया था !
जर जमीं केवल जमा किया था,
कडुवा घूँट जनता ने पिया था !
मेरे घर पे जो रूपया मिला था,
सरकार का तख्ता हिल्ला था,
हवाला, २ जी कोयला दलाली का था,
कुछ आदर्श सोसाइटी, कामनवेल्थ गेमस
हेरा फेरी हलाली का था !
किसानो से सस्ती जमींन लेकर
मंहगी बिल्डरों को बेचीं कमाई का था,
विकलांगों के सहायता कोष पर
निगरानी रखी हिस्से की मलाई का था !
विकलांगों को कुछ दिया ही नहीं
बन्दर बाँट का था,
उससे मिला कमीशन सहयोगियों के
साथ किया सांठ गाँठ का था !
मवेशी चारा खा गए थे हम सारा,
प्रतियोगिता थी पचाने की,
मरीजों की दवाई को मरीजों से बचाने की !
यह भी सच है की मेरा कुछ पैसा
विदेशी बैंकों में है,
कुछ घर के अन्दर बंद सूट केशों में है !
बेनामी जमीनों में हिस्सेदारी है,
सरकारी फाईलों में करोड़ों का गमन
क्रिकेट फिक्सिंग की रकम सारी है !
विपक्ष मेरे खिलाफ कीचड़ उछाल रहा है,,
मेरी उपलब्धियों पर मिटटी डाल रहा है !
लोग कहते हैं कोयले की दलाली में
हाथ भी काले और मुंह भी काला,
लेकिन मुझे शुद्ध डायमंड मिला,
जब कोयले में हाथ डाला !
सैनिकों के लिए बोफोर्स गन खरीदी थी
देश की रक्षा के लिए,
उसमें भी कमीशन
कुछ इटली वाले दलाल को दिया !
कुछ हम मंत्रियों ने आपस में बाँट लिया !
पूछते हो दो साल में पचास लाख
पांच सौ करोड़ कैसे बन गए ?
भय्या जब नेता बनोगे सीख जाओगे
हथ कंडे नए !!
मेरे कर्मों की किताब जनता के सामने
खुली पड़ी है,
मैं याचक बन बीच में चारों ओर मेरी मालिक जनता खड़ी है !
प्रजातंत्र, जनता मालिक हम नौकर,
भूख हमको भी लगती है,
घास देखकर घोड़े की जीब भी लपकती है !
मिडिया इसे घोटाला कहती है,
हर सांसद, विधायक, नौकरशाह के
बंगलों में ये ऐस करती है !
आज फिर पांच साल बाद
वोट माँगने दर पे आया हूँ,
यह वादा करने, ” अगले टेन्योर में पूरी पूँजी
जनता पर लूटा दूंगा
जो अभी तक कमाया हूँ “!
भूल चूक लेनी देणी,
लो मैं चला नहाने चुनावी त्रिवेणी !
हरेंद्रसिंह रावत
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