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कद साढ़े पांच फीट कमर चालीस इंच

jagate raho
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झंडू राम हंस मुख लाल जी अपने दोस्तों में बड़े लोक प्रिय थे खूब हंसते थे दोस्तों को हंसाते थे ! वैसे उनका डीलडौल था भी बड़ा आकर्षक ! कद साढ़े पांच फीट, कमर चालीस इंच, गोल और भरा चेहरा ! गेहुँवा रंग, काले घुंघराले बाल, उंगलियाँ छोटी छोटी, हथेलियाँ गद्देदार ! आँखें जरुरत से जरा छोटी छोटी थी ! पेट बाहर निकला था पर जब दोस्तों में रेसिंग कम्पीटीशन होती थी तो वे बाजी तो नहीं मार पाते थे पर पीछे भी नहीं रहते थे ! गरदन और कंधें के बीच की दूरी समय के साथ साथ कम होती जा रही थी ! उम्र पच्चीस साल ! दसवीं क्लास थर्ड डिविजन पास,
काम बच्चोंके साथ गिल्ली डंडा या कबड्डी खेलना ! पापा की एक छोटी सी दुकान थी ‘जनरल स्टोर’ की कभी कभी दुकान पर बैठ जाता था और सामान सस्ते में बेच कर या किसी किसी को बिना पैसों के ही सामान दे देता था और घर के वजट में घाटा दिखा देता था ! उसके पापा झूमर लाल उससे परेशान रहने के बावजूद उसे एक अच्छा व्यापारी बनाना चाहते थे इसलिए उसे ज्यादा से ज्यादा दुकान में बैठाने लगे थे ! इससे झंडू लाल और बेडौल होने लगा था, चरबी बढ़ने से वजन बढ़ रहा था लगता था कद घट रहा है ! शादी की उम्र भी निकल रही थी ! माँ एक अच्छी सी बहु लाना चाहती थी घर में ताकि बहु घर के कामों में सासू की मदद कर सके ! समाचार पत्रों में मैट्रिमोनियल ऐसा छापा गया ” जरूरत है १९-२१ साल की एक सुन्दर, सुशील सुघड़ कन्या आठवीं पास, पांच फीट लम्बी जिसकी कमर ३८ इंच हो, घर के काम काज करने में कुशल हो, स्कूल में नन्ने बचों को पढ़ाने में निपूर्ण हों, शांत स्वभाव की हो, जरूरी हुआ तो कबड्डी खेल लेती हो, गेहुँवा रंग हो, सास की सेवा करने में कोताही न करती हो, एक पच्चीस साल के साढे पांच फीट के नव जवान के लिए ! लड़का सुन्दर और आकर्षक है केवल पेट जरा सा बाहर निकला दिखाई देता है ! दहेज़ का बंधन नहीं है” ! आखिर में पता दिया गया था ! अगले दिन से ही कही मनचली लड़कियां अपने होने वाले स्वप्नों के राजकुमार को देखने आने लगे ! सब गुण सम्पन होने के बावजूद उसके पेट को देखकर
लड़कियां हंसती हुई चली जाती ! बात नहीं बननी थी नहीं बनी ! सबका ऐतराज था पेट बाहर निकलने का, जो रोज कुछ सेंटीमीटर बढ़ता ही जा रहा था ! आखिर ममी डैडी को चिंता होने लगी ! डाक्टरों के चक्कर लगने लगे, सबने गारंटी दे डाली किसी ने एक महीने में किसी ने दो महीने में पेट पिचकाने की गारंटी दे दी ! फिर से पेट बाहर नहीं निकलेगा ऐसी तसली देने में सभी डाक्टर मौन थे ! लेकिन उनकी फ़ीस इतनी ज्यादा थी की दूकान बेचने पर भी फ़ीस का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था ! आखीर एक दिन उन्हे बिलकुल दुबले पतले एक आयुर्वेदिक डाक्टर मिल गए ! इनका इलाज शर्तिया था लेकिन था जरा लम्बा ! अभी तक उनके दवाखाने में ऐसी फिगर नहीं आई थी ! उन्हें देख कर डाक्टर साहेब के होश भी गुम होगये थे लेकिन उन्हें तुरंत तुलसीदास जी की यह चौपाय याद आ गया, “धीरज धरम मित्र और नारी, आपत काल प्रखेयुं ये चारी” ! यहाँ पर धीरज और धर्म की जरूरत थी और उनहोंने धीरज से काम लिया और हनुमान जी को याद किया ! इलाज शुरू होगया, हर रोज लडके को पानी के साथ एक टेबलेट खिलाई जाती थी और क्लीनिक के अन्दर लिटा कर उदर पवन मुक्त आसन की ट्रेनिंग दी जाती थी ! जैसे ही झंडू राम हंस मुख लाल टेबलेट उदरग्रस्त करते और उदर पवन मुक्त आसन का अभ्यास शुरू होता तो उदर से पवन मुक्त होना शुरू होता पटाकों के साथ, खूब धूम धडाका होता पडोसी दूकानदार, कारोबारी बाहर सडकों पर पैदल चलने वाले, रिक्शे कार मोटर वाले सडकों पर खड़े हो जाते ! न दशहेरा है न दिवाली, न कहीं शादी का ही जाज बैंड का डेरा, आसमान बादलों से रहित बिलकुल साफ़, दूर दूर तक राजनीतिक पार्टियों का भी अत पता नहीं है, तो फिर ये गगन गुंजाते पटाकों की आवाज कहाँ से आ रही है ? कुछ मिनटों के लिए ऐसा लगता था की समय की सुई अटक गयी है ! ये पटाके लगातार पांच मिनट तक चलते थे और फिर अचानक बंद हो जाते थे ! रोज उसी जगह उसी टाईम ये कार्यवाही शुरू हो जाती और पांच मिनट बाद अचानक बंद हो जाती ! पास पड़ोसी रोज के सड़क नापने वालों को अब इन पटाकों को सुनने की आदत सी पड़ गयी थी ! चमत्कार घोर चमत्कार १५ दिन के अन्दर ही अन्दर झंडू राम हंस मुख लाल की काया पलट होने लगी, ऐसे लगने लगा की इनके कभी तोंद थी ही नहीं ! उनका व्यक्तित्व निखर आया ! उनका वजन डील डौल उनके कद से मेल खाने लगा ! जिन्होंने उन्हें १५ दिन पहले देखा होगा वे तो अब उन्हें पहिचान ही नहीं पा रहे थे ! अब उनका कद साढे पांच फिट कमर ३४ इंच, वजन ६० के जी, गरदन भी कधों के ऊपर अलग नजर आने लगी थी ! अब तो मम्मी डैडी पास पडोसी, रिश्तेदार इस काया कलप को देख कर फूले नहीं समा रहे थे ! उनके चाहने वालों की लाइन लग गयी ! मम्मी को भी उनके मन पसंद की बहु मिल गयी और झंडू राम हंस मुख लाल को उनकी स्वप्नों की रानी ! दूकान का दायरा भी बढ़ गया इनकम में इजाफा होने लगा ! और पतलू राम आयुर्वेदिक वैद्यराज तो प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँच गए ! जिनकी इनकम अभी तक रोज की एक सौ रूपया मुस्किल से होती थी वे अब चांदी कूटने लगें हैं ! दोस्त जो उनके बेडोल शरीर की वजह से उनसे कन्नी काटते थे अब उस से नजदीकी बनाने की तिकड़म भिडाने में लगे हैं ! हाँ झंडू राम जी अब अपने नाम बदली करने के बारे में सोच रहे हैं, लगता है ये मनोकामना भी उनकी जल्दी ही पूरी जाएगी ! हरेंद्रसिंह रावत

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