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दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए,
पापी व्यवस्था है सदन में वो सुधरनी चाहिए !
बदकिस्मत निष्पाप वाले हैं खड़े निज हाथ बांधे,
उन बद किस्मतों की किस्मतें अब बदलनी चाहिए,
दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए !
सुरसरी कहते जिसे आज वह पददलीत हुई,
दुष्ट दानव भ्रष्ट पापी भी अब नहाते नहीं,
सागर के वंशजों ने गंगा उतारी थी धरा पर,
उस भागीरथ की तपस्या को उभरनी चाहिए,
दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए !
बहने हैं गंगा और यमुना, दोनों ही प्रदूषित हुई,
दोनों ही निकली स्वर्ग से क्या आदमी जानते नहीं,
नाले मिला जल चर मरे गन्दगी बढ़ती गयी,
सरकार असमंजस में पड़ी क्या गलत क्या है सही !
अब तो सरकार की ये नियत बदलनी चाहिए,
दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए !
आँखों से अंधा धृतराष्ट्र निषहाय बनकर के जिया,
दुष्ट दर्योधन ने ही असल में शासन किया,
दुष्कर्मी था दुशासन द्रोपदी का चीर खींचा,
उस दुष्ट के ही रक्त से सति ने बालों को सींचा,
मौन वर्ती धृतराष्ट्र ने पाडवों का अहित किया,
छोड़ गया सब कुछ यहाँ केवल अपजस ले गया !
आज भी है धृतराष्ट्र पर प्रिंस करता राज है,
मौन वर्ती किंग को अपने प्रिंस पर नाज है,
कौरवों के राज की पुन्रावृति बदलनी चाहिए,
दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए !
आओं मिलकर गंगा यमुना का प्रदूषण दूर करें,
प्रदूषण के राक्षस को क्लीन ग्रीन से चूर करें,
पांच हजार करोड़ खर्चा आया पर यमुना फिर भी मैली है,
कहाँ गया ये सारा पैसा भरी भ्रष्ट की थैली है !
इस भ्रष्ट भरी नेता की थैली जनता में आनी चाहिए,
दोनों सदन के बीच में एक गंगा निकलनी चाहिए !
हरेंद्रसिंह रावत
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