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होली रंगों का त्यौहार,
आता हर साल बारम्बार,
जागरण की जनता सारी
खेल रही होली की पारी,
आओ हम भी होली मनाएं,
लाल पीले रंगों में नहाएं,
जागरण जंक्शन में आकर,
हर पाठक को गले लगाएं,
हैपी होली हैपी होली
रंगों भरी कंधे की झोली,
फिर सारे मिल कर बोलो,
प्रेम से अपने मुंह को खोलो,
होली है भई होली,
है रंगों की होली,
और गले की मालिस करने
है भंग की गोली,
होली है भई होली,
होली खेलें नाना नानी,
बच्चों ने नानी नहीं पहिचानी,
बोले दादा दादी आओ,
इन महिमानों को पहिचानो,
मिलकर सबने खेली होली,
फिर आई हुड़दंगी टोली,
सभी ने ली थी भंग की गोली !
आए बच्चे मचा संग्राम,
किया सभी ने अकल का काम,
अब पड़ा बच्चों से पाला,
पानी भर गुब्बारा मारा !
अलग अलग रंगों से भरे
चहरे बदल गए,
बच्चे पूछ रहे मम्मी से
पापा कहाँ गए ?
ऐसी मनाई होली हमने २७ मार्च को आज,
हैप्पी हैप्पी होली सबको होली पे हमको नाज !
(सारे जागरण जंगशन परिवार को होली की बहुत सारी बधाइयां)
हरेंद्रसिंह रावत
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