jagate raho
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तू पूजा करता है,
ईश्वर से डरता है,
फिर बतला हे मानव क्यों तू पाप करता है ? १ !
तू मेहनत करता है,
पशीना गिरता है,
गाली मिलती है,
दिल पे लगती है,
आहें भरता है,
मौत से डरता है,
फिर बतला हे मानव तू क्यों पाप करता है ? २ !
राम नाम की माला
हाथों में फिरती है,
और मुंह में प्यारी जिह्वा
आगे पीछे करती है,
बेश कीमती आंसू
धरती गिरता हैं,
हर मनका पे मन अटका,
पैसा पैसा करता है,
फिर बतला हे मानव तू क्यों
पाप करता है ? ३ !
तू जानता है क्यों
कुदरत हंसती है,
पाषाणों से टकरा टकरा
दरिया बहती है,
ऊंचे ऊंचे शिखरों पर बरफ गिरती है,
बरफीली ताज पहिन माँ धरती हंसती है !
ये हंसीन बगिया कुदरत की
फूलों से सजती है,
खुशबू फैला सारे
जग को स्वच्छ करती है,
स्नेह बरसाती कुदरत से
तू नफ़रत करता है,
फिर बतला हे मानव तू
क्यों पाप करता है ? ४ ! हरेंद्रसिंह रावत
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