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आदमी कहाँ जा रहा है ?

jagate raho
jagate raho
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कुत्ता मुस्करा रहा है, आदमी क्रोध में पागल हो रहा है,
अपने को ही मार रहा है, दूसरे को फंसा रहा है !
परम्पराओं की धज्जियां उड़ा रहा है,
दूसरों को जंगली अपने को सभ्य बता रहा है !
हर नेता पुत्र नेता बनना चाहता है,
नेता मंत्री और मंत्री प्रधान मंत्री,
सिरहाने रखता जन्मपत्री !
मजे की बात सभी की मुराद पूरी हो जाती है,
काली कमाई की इमारत सामने नजर आती है !
फिर आखिर है तो है आदमी ही,
अन्तरिक्ष के ग्रहों को छूना चाहता है,
वहां बस्ती बना कर रहना चाहता है !
पड़ोसी की साफ़ सुथरी शर्ट देख जल भून जाता है,
इसीलिये कुता मुस्कराता है !
कुत्ते के पास झोली, सफ़ेद शर्ट नहीं है,
एक पिचका सा पेट है जो दिखता नहीं है !
जिसने रोटी का टुकड़ा फेंक दिया
कुता उसी का हो जाता है,
मालिक की सुरक्षा पर अपनी
जान गँवा देता है,
कुत्ता इंसान से बड़ा बफादार है
प्रमाणित कर के दिखा देता है !
इसीलिये कुता मुस्कराता है !
ह्हरेंद्र्सिंह रावत

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