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मच्छरसिंह की मौत

jagate raho
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जिस दिन पैदा हुआ था उस दिन खुशी की जगह इसके घर में मातम मनाया गया था ! कारण पैदा होते ही वह हंस पडा था, पीठ पर विधाता से लिखा कर लाया था “जिस घर में पैदा होगा वह घर सोना, चांदी, हीरा जवाहरात, अनाज की जगह सदा मच्छरों से भरा रहेगा” ! फिर भला जानते बुझते परिवार वाले इस पुत्र रत्न को पाकर कैसे खुशी मनाते ! पंडित जी को जन्म पत्री बनाने के लिए बुलाया गया ! पंडित जी खुशी खुशी नए साल की जंत्री लेकर आये ! अभी तक इस घर में जितनी भी संताने हुई हैं लड़का या लड़की पंडित जी को मुंह माँगी दक्षिणा मिली है ! आज इसी परिवार में जब से यह परिवार इस गाँव में आया था यह सवीं संतान थी, वह भी लड़का ! एक पूरा शतक ! पंडित जी के मन में खुशी के लड्डू फूट रहे थे ! लम्बे लम्बे डग बढाते हुए वे अपने यजमान के घर जा रहे थे ! जन्म के समय के ग्रह लगन घड़ी सेकिंड मिनट घंटा तारीख, सूर्य भगवान् के उत्तरायण,.दक्षियायन में रहने का ध्यान रखते हुए पंडित जी ने इस नव जात बालक की जन्म पत्री बनाई ! पूरे छान बीन करने के बाद राशि का अक्षर आया “म” ! मदन सिंह , मखनसिंह, महावीरसिंह, कही नाम सुझाए गए लेकिन इनके पापा को कोई भी नाम पसंद नहीं आये ! उनके मन में उसकी पीठ पर अंकित “यह घर सदा मच्छरों से भरा रहेगा” ये शब्द बार बार उभर कर आ रहे थे ! उनके मन का पंच्छी बार बार इन दो नामों पर अटक रहा था, मुसल सिंह या या मच्छर सिंह ! आखीर मच्छर सिंह पर सहमति बन गयी ! अब परिवार के बूढ़े बुजुर्गों को एक चिता और सताने लगी की इस परिवार की यह सवीं संतान थी, कौरव भी तो सौ ही थे ! द्रयोधन दुशासन कितने कपटी, क्रूर, अत्याचारी थे ! कहीं इस मच्छर सिंह पर भी राहु केतु की कुदृष्टि न पड़ जाय और यह भी असली मच्छर बन कर कोई नया गुल न खिला जाए ! अब मच्छर सिंह जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके घर में मच्छरों की संख्या में इजाफा होने लगा ! पहले गाँव के सारे मच्छरों ने उसके घर पर कब्जा किया, फिर पास पड़ोसी गाँव के मच्छर आये ! फिर इन मच्छरों ने अपने दूत कस्बों और बड़े बड़े नगर और शहरों में
भेजे और वे भी बड़ी संख्या में मच्छरों के झुण्ड के झुण्ड लेकर वापिस लौटे, जैसे चुनावों के समय नेताओं के चम्मचे किराए पर लोगों को नेता के भाषण सुनने के लिए इकट्ठा करते हैं ! मच्छर सिंह का घर जब छोटा पड़ गया और मच्छर नामक महिमान बड़ी संख्या में जमा हो गए तो पूरे गाँव में उन्हें टिकाया जाने लगा, जैसे बरात में बहुत सारे बराती आ गए हों और गाँव के सरपंच महिमानों को ठहराने के लिए पूरे गाँव वालों को जिम्मेदारी दे देते हैं उसी तरह सारे महिमान मच्छरों को भी गांव के प्रधान मच्छर ने आदर के साथ हर परिवार में मच्छरों को उनके मन माफिक जगह दिलवा दी !
मजे की बात यह थी की ये सारे मच्छर अपने मेजवान को कभी परेशान नहीं करते
थे, वे उन्हें काटते अवश्य थे लेकिन जब वे गहरी नींद में होते थे और बहुत हल्की सी सुई चुभाते थे ! जैसे राजस्थान में करणी का मंदिर, बीकानेर इलाके में लाखों चूहों का निवास स्थान बन गया है, उसी तरह मच्छर सिंह का यह गाँव भी लाखों मच्छरों का स्थाई निवास स्थान बन गया ! मच्छर सिंह के गाँव में ज्यों ज्यों मच्छरों की संख्या में इजाफा हो रहा था मच्छर सिंह उतने ही फूल के कुप्पा हुए जा रहे थे ! मजे की बात यह रही की यहाँ पन्द्रह बीस लाख मच्छर होने के बाव जूद गाँव का कोए भी प्राणी, नर बानर, कुत्ता, बिल्ली, चूहा, खटमल, ककरोच बीमार नहीं पड़ा ! न किसी को मलेरिया हुआ, न डेंगू, न लबेरिया, न चिकनगुनिया ! इससे यह साफ़ जाहीर हो जाता है की मच्छरों की भी अपनी एक सभ्यता है, अपने सिद्धांत हैं की “जिस थाली में खाओ उस में कभी छेद मत करो ” ! एक और नयी बात सामने आई है ! पहले इस गाँव में चोरी डकैती काफी होती थी लेकिन जिस दिन से यहाँ मच्छरों ने अपनी सेना का कैम्प लगाया है उसी दिन से चोरी डकैती पर जैसी पूरा प्रतिबन्ध लग गया है ! कहते हैं एक दिन रात करीब बारह बजे इलाके के नामी गरामी डकैत १५ – २० की संख्या में अपने घोड़ों में सवार इस गाँव पर हमला करके लूटने के इरादे से आये थे ! जैसे ही उन्होंने गाँव की सीमा के अन्दर प्रवेश किया झाड़ियों में छिपे मच्छरो ने बड़ी संख्या में उन पर आक्रमण कर दिया ! कुछ उनकी आँखों में बैठ गए, कुछ कानों में, कुछ ने नाक के नथुनों में ही अड्डा जमाया, जिनके मुंह खुले थे उनके मुंह के रास्ते गले में फंस गए ! सरदार सहित सारे डकैतों के घोड़ों के आँखों, नाक कानों में भी बड़ी संख्या में मच्छर घूस गए ! घबरा कर घोड़े अपने सवारों को गिरा कर आँख बंद करके इधर उधर भाग खड़े हुए ! इस आपा धापी में कही डकैत घोड़ों की टापों के नीचे आ गए, कुछ मर गए बाकी बुरी तरह घायल हो गए, उनकी चीखपुकार सुनकर गाँव वालों की नींद खुली, वे भागते हुए जहां से आवाजें आ रही थी उधर भागे ! टौर्चों की रोशनी में गाँव के लोगों ने देखा की बहुत सारे डकैत जमीन में लम्बे लेटे हुए हैं, कुछ मरे हुए हैं और बाकी घायल दर्द से चिल्ला रहे हैं ! गाँव के प्रधान ने आनन् फानन में पुलिस को फोन किया और एक प्लाटून की नफरी के साथ थानेदार गाँव में हाजिर हो गया ! यहाँ आकर इस नज़ारे को देख कर वह भी हक्का बक्का रह गया ! घायलों को सरकारी अस्पतालों में भरती किया गया ! वहां उनकी शिनाक्त हुयी पता लगा की वे सारे इलाके के बड़े बड़े मशहूर डकैत हैं जो कुछ तो मर चुके हैं बाकी अद्ध मरे हैं ! डाक्टरों ने उनके आँख, नाक, कान और गलों से बड़ी संख्या में फंसे मरे हुए मच्छरों को बाहर निकाला ! कुछ डकैतों की आँखों की रोशनी ही चली गयी और डाक्टरों के मुताबिक़ वे बाकी जिंदगी अन्धें काने बनकर गुजारेंगे और चोरी डकैती के नाम पर तोबा करेंगे ! सुबह सूरज की पहली सुनहरी किरण के साथ ही यह जलती बलती खबर आग की लपटों की तरह गाँव कस्बों से होती हुई नगर और शहरों में पहुँच गयी ! मुख्य मुख्य समाचार पत्रों के राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार, ब्यंग्कार, फोटोग्राफर, टी वी चैनल के प्रमुख अपनी टीम के साथ, तथा नेताओं सहित प्रांत के मंत्री, मुख्य मंत्री अपने नौकर साहों के दल बल के साथ इस गाँव में पधारे ! एक ही दिन में मच्छर सिंह का यह गाँव देश के नक़्शे में छा गया, लिम्का बुक के साथ साथ ग्रीनिज बुक में भी स्थान पा गया ! एक दो दिन के अन्दर गाँव के टूटे फूटे रास्तों को सड़क में तबदील किया गया ! बिजली के खम्बे, पानी की पाईप लाईन, सीवर लाइन दो तीन दिनके अन्दर ही बिछा दी गयी ! समाचार पत्र वालों ने अपने वरिष्ट पत्रकारों के द्वारा गाँव का बहुत ही रोचक, लोमहर्षक और आकर्षक वर्णन छाप कर, मच्छर सिंह के कारनामों को अपने समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ट पर स्थान देकर इस गाँव को आदर्श गाँवों की श्रेणी में ला खडा कर दिया ! कल तक का अनजान गाँव और अनजान मच्छर सिंह आज प्रमुख समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में हैं, बच्चा बच्चा तक मच्छर सिंह को मच्छरों का सरंक्षक के नाम से जानने लगा है ! संत फ़कीर मच्छर सिंह के मम्मी और पापा को आशीर्वाद दे रहे हैं की उन्होंने देश को मच्छर सिंह के रूप में एक कर्तव्यनिष्ट, सच्चा ईमानदार, देश भक्त देकर बड़ा पूण्य कमाया है ! पुलिस ने इन डकैतों को जिन्दा या मरा हुआ पकड़ने वाले को पांच लाख रुपयों की राशि घोषित की हुई थी वह सारी राशि मच्छर सिंह को दे दी गयी ! साथ ही उन सारे मच्छरों के लिए जो गाँव में लावारिस की तरह रह कर भी गाँव वालों की हिफाजत करते करते शहीद हो गए थे, की यादगार में “एक मच्छर मठ ” का निर्माण करवाया गया ! हर साल गाँव में उस ख़ास दिन पर उन शहीद हुए मच्छरों को याद किया जाता है ! बचे हुए लाखों मच्छरों के लिए सरकार की और से “मच्छर विश्राम स्थल ” नाम से गाँव में ही एक नया भवन बनवाया गया, जहां मच्छरों की सुख सुविधावों को ध्यान में रखकर सारी वस्तुवें वहां रखी गयी थी, पानी से लबालब भरा तालाब, (चाहे आदमियों को पीने का पानी नहीं मिले), नालियां कीचड मिश्रित ताकि मच्छरों को कहीं बाहर न जाना पड़े ! एक ब्लड बैंक भी खोला गया जहां बड़ी संख्या में नव जवान मर्जी से अपना रक्त दान देते थे उन मच्छरों के लिए ! अब मच्छर सिंह की पापुलरिटी केंद्र तक पहुँच चुकी थी ! अगले चुनाव में जोर जबरदस्ती करके उन्हे सांसद बना कर केंद्र में भेजा गया ! यहाँ मच्छर सिंह पर दबाव डाला गया किसी पार्टी में सामिल होने के लिए लेकिन वह स्वतंत्र उम्मीदवार जीत कर आया था और स्वतंत्र ही रहा ! कभी किसी ने उन पर व्यंग कसा और परेशान करने की कोशीश की तो मच्छर सिंह तंग आकर जेब में पड़े मच्छरों को जो हर समय उसकी रक्षा के लिए जेब में पड़े रहते थे बाहर कर देता था, वे मच्छर अपने हथकंडे दिखाकर, सामने वाले का ताजा रक्त पीकर अपने आशियाना में आ जाते थे ! मच्छर सिंह ने न केवल अपने गाँव की काया पलट की बल्की आसपास के सारे गावों की किस्मत भी जगा दी ! अब वह इलाके में एक वे ताज बादशाह था, अमीरों से दूर और गरीबों का मसीहा ! उसकी देख रेख में मच्छर भी खूब फल फूल रहे थे और एक दिन अचानक किसी दुश्मन ने “मच्छर विश्राम स्थाल” को आग के हवाले कर दिया, सारे मच्छर जल कर राख हो गए ! यह सुनकर मच्छर सिंह को एक दम दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने भी सदा के लिए आँखें मूद ली कभी न खोलने के लिए ! अगले दिन के सारे समाचार पत्रों में केवल एक ही खबर प्रमुखता से छपी थी “मच्छर सिंह की मौत” ! गरीबों का मसीहा, किसानो की जान, गाँव की आन वांन और शान ‘मच्छर सिंह अब नहीं रहे ! कहते हैं मच्छर सिंह की जान उन तमाम मच्छरों से जुडी थी जिनको किसी दुर्जन ने अग्नि की प्रचंड ज्वाला में जला डाला था ! अब फ़िल्मी जगत के लोग इस गाँव और मच्छर सिंह पर एक डाकुमेंटरी फिल्म बनाने की योजना बना रहे हैं ! मच्छर सिंह के शव को एक हफ्ते तक दर्शनार्थियों के लिए रखा गया ! बड़ी बड़ी हस्तियों ने आकर उन्हें श्रद्धांजली अर्पिल की और उनकी यादगार में ‘मच्छर मठ की बगल में एक अलग मठ बनाया गया ! आज गाँव खुशहाल है, प्रगतिशील है, विकसित है लेकिन मच्छर सिंह की गैर मौजूदगी में गम सुम और खोया खोया सा है ! हरेन्द्र सिंह रावत

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