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मच्छरी और खटमल सिंह की दोस्ती दुश्मनी में बदल गयी !

jagate raho
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एक बार एक मच्छरी अपने दल से अलग थलग पड़ गयी ! अलग थलग पड़ने का कारण था की मच्छरों की बढ़ती हुई जन संख्या से और उनके दिन रात मानव जाति पर बढ़ती हुए ज्यादती ! इंसान बेचारा दिन भर की कठिन मेहनत से थका हारा रात को ज्यों ही नींद लेने अपनी खटिया पर लेटता, शैतान मच्छरों का झुण्ड का झुण्ड अपनी वींन और सारंगी का बेसुरा राग अलापते हुए सोये हुए पर झपट पड़ते, सुखी पडी नस नाडी में रक्त न होने से बेचारे आदमी को लात घूंसे जमाते, उसके सारे बदन में खुजली हो जाती ! बेचारे गरीब मजदूर की नींद खुल जाती, रात भर करवटें बदलता और मच्छरों की संयुक्त सेना से लोहा लेता ! नतीजा मलेरिया, डेंगू से साक्षातकार हो जाता और सरकार की आँखों में गुसे से खून उतर जाता ! ये सरकार गरीबों की मसिया सरकार गरीबों पर भला मच्छरों के बढ़ते हुए अत्याचार, अन्याय को कैसे सहन कर सकती है ! मजे की बात ये है की मच्छरों की विशाल सेना दिल्ली में यमुना के गन्दगी भरे कचरों के ढेर में अपना कैम्प लगाए हुए थे , वहीं अपनी पापुलेशन बढ़ा रहे थे और वहीँ से दिल्ली के पाँचों जिलों में अपने सशक्त कमांडरों के सरंक्षण में हर गली कुचे तालाबों, पानी की टंकियों में सेना भेज रहे थे ! आज ये गरीबों की झुग्गी झोपडी में जाकर गरीबों को सता रहे हैं कल किसी नेता नौकरशाह और उनके परिवार वालों को भी डेंगू या चिन गुनिया का इंजक्शन देकर अखिल भारतीय संस्थान में पहुंचा सकते हैं, इसी डर के कारण केन्द्रीय सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जाग गए हैं, उनहोंने आनन् फानन में दिल्ली के हर हिस्से में मच्छर मार अभियान चला दिया है, मच्छ्मार दवा का छिडकाव यमुना नदी के गन्दगी भरे कचरों के ढेर में कर दिया गया ! उससे बड़ी संख्या में मच्छर या तो मारे गए या फिर कैम्प छोड़ कर जान बचाकर भाग गए ! उसी भगदड़ में यह मच्छरी रानी भी अपने दल से अलग थलग पड़ गयी ! उड़ते उड़ते वह एक बहुत बड़े बड़े महलनुमा कोठी में पहुँच गयी ! दिन भर नौकरों के गुशल खाने में छिपि रही और रात को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सयन कक्ष में पहुँच गयी ! वहां उसने देखा की मंत्री जी लाल भुजंग भारी भरकम वजन धारी अपनी पलंग पर गहरी निद्रा में सो रहे हैं, इयर कंडीशन आवाज करते हुए ठंडी हवा मंत्री जी के सयन कक्ष को ठंडा किये हुए है ! मच्छर रानी बहुत भूखी थी वह उड़ते हुए मंत्री जी की नाक में बैठ गयी, सुई चुभाने का उपक्रम बना ही रही थी की पलंग से एक भारी गोल गप्पा मुंह ताज़ी खून से भरा खटमल सिंह बाहर निकल आया ! उसने मच्छरी को टोका “अरे ठहर ठहर तू यहाँ कैसे आगई ? सयन कक्ष चारों ओर से बंद है फिर तू अन्दर कैसे घूस गयी, अब अगर आ ही गयी है तो बाहर नहीं जा पाएगी !” मच्छर रानी बोली, भय्या खटमल सिंह अरे हम दिखने में अलग अलग हैं लेकिन आदत खान पान तो हमारा एक ही है! तुम भी इंसानों का खून पीते हो और हम भी इंसानों के लाल रक्त से अपने और परिवार को पालते हैं ! इन दुष्टों ने मच्छर मार दवा का छिड़काव करके हमारी सारी बस्ती को नष्ट कर दिया है, बड़ी संख्या में हमारी सेना या तो मारी जा चुकी है या घायल होकर गंदे कीचड में, गंदे तालाबों में आखरी सांश ले रही हैं ! किसी तरह मैं जान बचा कर भाग कर यहाँ तक पहुँची हूँ और अब मेरी जिन्दगी तुम्हारे हाथों में है ! मैं बहुत भूखी हूँ, मुझे इस लाल भुजकड़ के शरीर से छोड़ा सा खून चूसने की इजाजत दे दो ! ” खटमल सिंह ने दया दिखाते हुए कहा ” ठीक है लेकिन जरा संभल कर सुई लगाना, अगर कहीं उंच नीच हो गयी तो हमारा परिवार जो सदियों से दादा परदादा के जमाने से इस परिवार के रक्त पर पल रहा है बेघर हो जाएगा !” मच्छरी ने कहा, “आप चिंता न करें मैं बड़ी सावधानी से इस जनता की कमाई पर पलने वाले नेता के शरीर से रक्त चूसूंगी और इसे पता भी नहीं चलेगा” ! लकिन मच्छर रानी के ग्रह अच्छे नहीं चल रहे थे, उसने जैसे ही हल्की सी सुई नेता की गरदन में चुभाई अचानक नेता का हाथ उठा और गरदन पर जहां मच्छरी रक्त पान कर रही थी उससे थोड़ा हट कर जोर से पड़ा ! इतना शुद्ध और लबालब रक्त चूसने का अवसर मच्छरी को जिन्दगी में पहले कभी नसीब नहीं हुआ था ! लेकिन जैसे नेता जी का उठा हुआ हाथ मच्छरी को नजर आया वह आधा रक्त चूस कर ही उड़ गयी ! ‘जान बची लाखों पाया ! जिन्दगी रहेगी तो दुबारा अवसर मिलेगा’ ! मच्छरी तो उड़ कर पर्दों के पीछे छिप गयी लेकिन खटमल सिंह की किस्मत जबाब दे गयी ! नेता जी की नींद खुल गयी उन्होंने उसी समय गार्ड को बुलाया डबल ब्यड को कोठी से बाहर फिकवाकर उसे पर मिट्टी का तेल डाल कर आग लगाने का हुक्म दिया ! हुक्म का पालन हुआ और ब्यड में छिपे नेता के रक्त पर पलने वाले सारे खटमल अग्नि में जल कर स्वाह हो गए,
लेकिन खटमलों का सरदार खटमल सिंह किसी तरह बच गया ! वह खाट के कोठी से बाहर निकलने के पहले ही फ़र्स पर गिर गया था और दौड़ लगाकर परदे के पीछे छिप गया था ! वहां उसे मच्छरी मिल गयी, फिर क्या था मच्छरी और खटमल सिंह का घोर संग्राम हुआ, कौन हारा कौन जीता इसकी जानकारी मीडिया को नहीं हो पायी ! हाँ एक जलती बलती खबर मिली की मच्छर और खटमलों की फिर से दुश्मने हो गयी है और उसके बाद उनके बीच कोई दोस्ती नहीं होपाई ! हरेंद्रसिंह रावत

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