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क्या आप जानते हैं की हमारे ऋषि मुनि मनीषियों ने बहुत गहन अध्यन और गहराई से जांच पड़ताल करके इंसान की हस्त रेखाएं, पावों की रेखाएं, गले माथे की रखाओं का वैज्ञानिक अर्थ निकाल कर ही बड़े बड़े ग्रंथों की रचना की है ! सामुद्रिक शास्त्र, नारदीय संहिता, प्रयोग पारिजात, विवेक विलास, सामुद्रिक तिलक और बहुत सारे ग्रथों ने कुदरत के इस रहस्य को खोल कर रख दिया है ! सबसे पहले हम अंगूठे के रहस्य को उजागर करते हैं ! इंसान के अंगों में अंगूठा अपना एक विशेष स्थान रखता है, यह इच्छा शक्ति का केंद्र है, यह केवल हस्त रेखाविज्ञान में ही नहीं इसके महत्त्व को चिकित्सा विज्ञान ने भी माना है ! पाठको, आपको शायद याद होगा की कौरव पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर विद्या सिखाने को मना कर दिया था और उसने गुरु द्रोणाचार्य का मिट्टी का पुतला बना कर उसके आगे धनुर विद्या सिखने का प्रयास किया था ! अपनी कठिन मेहनत, लगन और विश्वास के साथ एक दिन वह उस जमाने का एक महान धनुर्धर योधा बन गया था ! उस जमाने में भी (द्वापर युग ) में भी महान विद्वान्, आचार्य, धर्म की पताका उठाने वाले, कहीं न कहीं स्वार्थ, इर्षा, मोह की जंजीरों से जकडे हुए थे ! गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन को अपने सारे शिष्यों से ज्यादा महत्त्व देते थे और उस पर विशेष अनुराग रखते थे ! किसी भी कीमत पर किसी अन्य को अर्जुन से बड़ा धनुर्धर वे सहन नहीं कर पाते थे ! जब एकलव्य ने अपनी शास्त्र विद्या पूरी करदी और द्रोणाचार्य के चरण स्पर्श करते हुए गुरु दक्षिणा देने की पेश कस की तो, गुरु ने उस निर्धन भील बालक से क्या माँगा, उसके दाहिने हाथ का अंगूठा ! और अंगूठे के साथ ही उसकी कठीन मेहनत, लगन और विश्वास भी उसको छोड़ कर चले गए !
चेहरा = सामुद्रिक विज्ञान ने मनुष्य के चहरे की आकृति को पशुवों की आकृति और उसकी प्रवृति के रूप में किया है ! सिहाकृति, वृषभा कृति, गज कृति, हिरणाकृति, अश्वाकृति, बाजाकृति और स्वानाकृति (भेड़ियाकृति ) ! इसी तरह मनुष्य की आकृति में बिल्ली, कंगारू, गधा, बाघ, बन्दर, लकड़बग्गा आदि जानवर नजर आते हैं !
इंसान के चेहरे पर ही बारह राशियाँ अंकित हैं ! ललाट – रेखाएं उम्र की जानकारी भी देती हैं कब शुभ कर्म करेगा और कब दुष्कर्म करेगा ! कब शुभ कर्मों का पारितोषिक मिलेगा और कब दुष्कर्म (घोटाला, रिश्वत, जमाखोरी के लिए) जेल की सड़ी गली अंधेरी कोठी में जिन्दगी बिताएगा याफान्सी के फंदे इ लटक जाएगा ! ललाट में सात रेखाएं होती हैं !
बालों के निचले भाग में पहली रेखा को शनि, दूसरी को गुरु, तीसरी को मंगल चौथी सूर्य, पांचवीं को
भृगु (शुक्र) , छटी को बुध, सातवीं को चन्द्र कहते हैं ! इन्ही रेखाओं के बीच व्यापारी, उद्योग पति, नेता, मंत्री, करोडपति, अरब पति और सन्यासियों के चिन्ह नजर आते हैं ! साथ ही ललाट पर चोर, लुटेरे, डाकू, शैतान, कुकर्मी, भ्रष्टाचारी, हत्यारा, हिंसक, बलात्कारी के चिन्ह भी उभर कर आते हैं और जानकार विद्वान इन्हीं चिन्हों का अर्थ निकालकर समय रहते जनता को इन पापियों से सावधान रहने की चेतावनी दे देते हैं ! अब ये जनता पर निर्भर करता है की वे उन विद्वानों की सलाह पर गौर करें या फिर भ्रष्ट नेताओं की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर फिर से सरकारी खजाने की चाबी डकैतों को पकडवा दें !
कभी कभी हिस्टरी सीटर, जेल से भगोड़ा, डकैत जो हथियार डाल कर पुलिस में समर्पण कर गया हो और नेता की चाबुक लेकर मंत्री बन गया हो, उसकी हिंसक प्रवृति भी उसके ललाट पर नजर आ जाती है ! पारखी नज़रों की जरूरत है ! जिन्दगी को, अपने आप को अगर इन इंसान रुपी भेड़ियों से बचाना है तो भारतीय संस्कृति के इन ग्रंथों का अध्यन करना पडेगा ! यकीन करने के लिए की आप अपने कीमती वोट को किसी चरित्रवान ईमानदार, देश भक्त को ही दे रहे हैं , इन बेशकीमती ग्रंथों का अध्ययन जरुर करें ! हरेंद्रसिं रावत
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