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पहचान थी कल तक नहीं,
सुर्ख़ियों में आगये,
सूखे पड़े थे गाल उनके
टमाटर शर्मा गए,
नेता के चमचे बने,
कुर्सी मिली रुतवा मिला,
सुखा पडा वीरान दिल था,
आज वो मुस्करा पडा,
मैली नेकर फटा कुर्ता,
आज अचकन शेरवानी,
हो रहा था बूढा मगर
आ गई फिर से जवानी !
आदमी था आम कल तक
राज नेता बन गया,
रिश्वत खाई, खाई मलाई,
कार और बंगला नया !
चाचा बना मामू बना,
नास्ते में भूना चना,
खा रहां आमलेट मक्खन
जब से वो मंत्री बना !
सौ का नोट पहले लिया,
दिल बोला ये क्यों किया !
अब करोड़ों खा रहे हैं,
मुफ्त का कोका पीया !
प्रोमोशन दिया रिश्वत लिया,
भांजे ने सब कुछ किया,
पर मामू की कुर्सी हिली,
और वह धरती गिरा,
कल तक इन्डियन रेल पर, था इनका कंट्रोल,
आज पड़े हैं धरती पर, हरी हरी बोल !!
इज्जत गयी रुतवा गया, पानी में गयी भैंस,
धन दौलत भी चला गया, रह गयी अंतड़ियां शेष !
भ्रष्टाचारियो देख लो , रिश्वत का अंजाम,
फटे पेट और धन लुटे, मुफ्त हुए बदनाम !!
कबीरा इतना खाइये जितना पेट समाय,
भरे पेट परिवार का, गरीब खुश हो जाय !
हरेंद्रसिंह रावत
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