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क्रिकेट में फिक्सिंग !

jagate raho
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क्रिकेट में फिक्सिंग ! वह भी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा ! नहीं भय्या ये काम असली क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा अंजाम नहीं दिया जा सकता ! वैसे सारे खिलाड़ी जो सचमुच में ही खिलाड़ी हैं, कोई फुटबालर है, बालिबौल, हॉकी, टेनिस, बास्केट बॉल, कबड्डी और कुस्ती खिलाड़ी हैं किसी ने भी मैच फिक्सिंग नहीं की न राष्ट्रीय और न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ! मजे की बात की इन तमाम खेलों में पैसा भी कम मिलता है फिर भी कोई फिक्सिंग की सोचता भी नहीं है ! कारण इन खेलों में अभी तक नेता लोगों की नजर नहीं पडी है नहीं तो यहाँ भी वही सब कुछ होता जो कोयला, रेलवे, क़ानून मंत्रालयों में हुआ है ! हमारे ऐथलीट्स जो लम्बी दूरी की दौड़ लगाते हैं, चक्का, गोला फेंकते हैं, हाई जम्प, लौंग जम्प करते हैं, पशीना बहाते हैं फिर भी खेल की भावना से खेलते हैं, फिक्सिंग नहीं करते ! पर क्रिकेट जिसने अभी तक उच्च श्रेणी के भद्र पुरुषों का गेम होने का सेहरा बाँध रखा था इतना निम्न स्तर पर आ जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं होगा ! दलालों के चंगुल में फंसे भी वही खिलाड़ी हैं जिनका असल में कोई वजूद नहीं है ! पहले तो उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्ट्री ही नहीं मिलती थी, इंट्री पाने के लिए जूते घिसे , कंधे खिसकाए, सेलेक्शन टीम के आगे गिडगिडाए, पुराने खिलाड़ियों की खुशामद की उन्हें मैदान में पानी पिलाया, उनके बैट बदले, तौलिये से खिलाड़ियों के पशीने पोंछे तब कहीं जाकर इंट्री मिली ! एक दो मैचों में एक दो विकटें भी चटका ली, बैट से दो चार चौके छक्के भी निकल गए तो ये अपने को धुरंधर खिलाड़ी समझने लगे ! श्रीशांत जैसे नाक भौं चढाने वाले बात बात पर विपक्षी टीम से पंगा लेने लगे, मैदान में कभी कभी अम्पायरिंग के निर्णय पर ही असहमति जताने लगे ! अच्छी खासी फ़ीस मिलने लगी चाहे आपने क्रिकेट ग्राउंड में खूब रन पिटवाए और विकेट भी नहीं ले पाए, जीरो पर ही आउट हो गए, फिल्डींग में कैच छोड़ दिए, फिर भी नाक ऊंची करके साथी खिलाड़ियों से तू तू मैं मैं झगड़ा करने लगते ! बेचारा कैप्टेन ऐसे नकारा बोझ को कब तक ढ़ोता रहता, ऐसे निकम्मे गुस्सेबाज झगडालू नाकार खिलाड़ी को कब तक टीम बर्दास्त करती और एक दिन तंग आकर ऐसे बिगड़े झगड़ालू नाकारा खिलाड़ी को टीम मैनेजमेंट ने बाहर का रास्ता दिखा ही दिया ! ऐसे बहुत सारे असली नकली क्रिकेट के खिलाड़ी थे जो रणजी तक सीमित रह गए गए थे ! खेल अगर इंडिया में पॉपुलर है तो केवल क्रिकेट है ! इस खेल में इंडिया टीम में इंट्री मिल गयी समझ लो किस्मत खुल गयी !
लेकिन कहते हैं की भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है ! असली खिलाड़ियों के साथ साथ टिटपुन्जिए खिलाड़ियों की भी किस्मत के दरवाजे खुल गए उन सभी को आईपीएल में जगह मिल गयी, पैसा भी मिला रुतवा भी मिला ! एक ही महीने में करोडपति बन गए ! जो कल तक हजार रुपयों की भी हैसियत नहीं रखते थे आज करोड़ों में खेल रहे हैं ! क्रिकेटियर भारत में पहली बार २००७ में आई पी एल के नाम पर नीलाम हुए ! इन पर बोली लगी ! कल तक जनता फ्लेट में रहने वाले रात रात में बंगलों कोठियों में शिफ्ट होगये ! चेन्नई, मुम्बई, राजस्तान, हैदराबाद, बैंगलौर, पुणे, पंजाब, कलकत्ता, दिल्ली की नौ टीमों ने आईपीएल में हिस्सा लेना शुरू किया ! हर टीम में १५ से २० खिलाड़ी हैं , इस तरह १३५ – १८० खिलाड़ियों को तो टीम मालिकों ने पहले ही खरीद लिया है बाकी बचे ग्राउंड ड्यूटी में लगा लिए गए ! लेकिन लालच बुरी बला है ! श्री शांत जैसे तीसरी श्रेणी के क्रिकेट खिलाड़ी टीम से निकाले जाने के बाद फाके कर रहे थे और अचानक छपर फाड़ कर ऊपर वाले ने उन्हें करोड़ पति बना दिया ! लेकिन नियत फिर भी नहीं भरी ! बुक्कियों के बहकावे में आकर अपनी टीम से ही गद्दारी करने लगे ! नो बौल, वाइड बौल. कैच छोड़ना, जान बुझ कर विपक्षी टीम के खिलाड़ी को ऐसी लूज बौल फेंकना जिस पर चौका छक्का आसानी से लग जाय ! इसका मेहनताना फ़िक्षर से करोड़ों में लेना ! पकडे गए तो झूठे पश्चाताप के अश्रु बूंद गिरा देना, अपने को बेक़सूर बताना, नहीं पकडे गए तो हाथ घी में और सर कडाई में, महंगे होटलों में गुलछर्रे उड़ाना ! लेकिन कुदरत का एक वसूल है सौ दिन चोर के और एक दिन शाह का ! सौवें दिन में चोर, बदमास, डाकू, लुटेरे, रिश्वत खोर, फिक्सिंग में अपनी किस्मत चमकाने वाले क्रिकेटियर, भ्रष्टाचारी राजनेता जेल की काल कोठारी में आ जाते हैं ! राजनेताओं के छल कपट की हंडियां तो बीच चौराहे में फूट गयी है और गद्दार क्रिकेट खिलाड़ियों की नौका मझधार में डूब गयी है ! चोरी का माल तो चंडाल की जेब में चला गया, बदनाम हुए सो अलग और गद्दारी के लिए जेल में चक्की चलानी पड़ेगी बैट बौल की जगह ! जैसे करनी वैसे भरनी ! तेते पाँव पसारिये जेते लाम्बी सौर, नहीं तो सिर होगा कहीं और पाँव कहीं और ! उधर बिन्दु दारासिंह छोटे परदे का एक्टर भी पड़ गया फिक्सरों के चक्कर में ! देश की शान, दारासिंह पहलवान, रामानन्द सागर रामायण सीरियल के हनुमान के पात्र आज स्वर्ग से अपने सुपुत्र बिन्दु दारासिंह के दुष्कर्मों पर आंसू बहा रहे होंगे ! जो फंस गए वे तो जेल गए जो बच गए संभल जाओ, ऊपर वाले की असंख्य आँखें है, उनकी नज़रों से न कोई बचा है न कोई बच पाएगा ! हरेंद्रसिंह रावत (अमेरिका से )

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