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और लोमड चंद जंगल का राजा बन गया !

jagate raho
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जंगल का वाता वरण अचानक बदल गया था, जंगल का राजा बीमार रहने लगा था और उसे बुढापे की सीढियां सामने नजर आने लगी थी ! परिवार, पत्नी बहुत पहले ही अपने दो बच्चों को लेकर विदेश चली गयी थी और सुनते हैं वहीं बस गयी हैं ! हवा में तैरती हुई खबरों से यह भी सुनने में आया है की वहां की सरकार ने शेरनी और उसके दोनों बच्चों को राज भवन में सरंक्षण दिया है और दोनों शावकों को उस देश के भावी राजा और प्रधान मंत्री बनाने का मन बना लिया है ! शेर महाराज अब चलने फिरने से भी लाचार हो गए हैं ! उनके अंग रक्षक भी अब उनसे दूर दूर रहने लगे हैं उन्हें डर था की भूखा शेर महाराज कभी भी किसी अंग रक्षक को अपना आहार बना सकता है ! इसी जंगल में एक लोमड चंद अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रह रहा था ! पहले लोमड चंद भी रोज शेर महाराज की सेवा में अपनी हाजिरी देता था और शेर महाराज का जूठा बचा हुआ बासी गोश्त अपने परिवार के लिए ले आता था ! लेकिन जब से शेर महाराज बीमार पड़े और शिकार करने में असमर्थ हुए लोमड चंद ने भी दरवार में जाना बंद कर दिया ! लोमड चंद एक निहायती आलसी और कामचोर किस्म का नाकारा सियार था ! जब से उसने दरबार में जाना बंद किया घर में फाके शुरू हो गए ! चूहे खरगोश और छोटे छोटे उसकी पकड़ के जीव उसके बिल के आस पास से गायब होगये ! उसकी पत्नी रोज शाम सबेरे उसके नकारापन के लिए उसे ताने मारती रहती थी, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ता था ! जब तक चलता है चलता है लेकिन पेट की भूख जब सीमा से बाहर हो जाती है तो चाहे वह कोई भी जीव हो, आदमी पशु या पक्षी भूख और प्यास को सहन नहीं कर पाता है और यह तो बेचारा एक निर्बल असहाय लोमड चंद था, जो खुद तो आलसी नकारा था साथ ही ज्यादा दिन तक भूखा भी तो नहीं रह सकता था ! आखिर भूख प्यास से परेशान होकर तथा पत्नी की रोज रोज की चक चक से तंग आकर वह अपने बिल से बाहर निकल ही आया ! बाहर आकर अपने बिल के पास खडा होकर सोचने लगा की ” कहाँ जाऊं, कैसे जाऊं, तीन चार दिन के फाके से टांगों ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया है, पर यहाँ खड़े खड़े भी कुछ होने वाला नहीं है, चल बेटा चढ़ जा फांसी पर या तो इधर या उधर, चलो आज अन्धेरा होने पर शहर की ओर चलते हैं” ! अगर मन को कमजोर कर दिया जाए तो जीव जिन्दगी को बीच में विराम दे देता है, अगर मन को मजबूत कर दिया जाय तो कितना भी असमर्थ, कमजोर क्यों न हो मंजिल आसान हो जाती है, लोमड चंद ने भी हिम्मत से काम लिया ! सांझ होते ही वह धीरे धीरे शहर की और चल पड़ा ! बचते बचाते वह एक बुचरी शौप के बाहर जाकर झाडी में छिप गया और इन्तजार करने लगा किसी ग्राहक को ताकि उसकी छाया बनकर वह भी शाप के अन्दर दाखिला ले सके ! इंतज़ार की घड़ी समाप्त हुई, ऊपर वाले ने उसकी सुन ली और वह एक दिल फेंक ग्राहक की ओट लेकर शौप के अन्दर घुस गया ! वहां बहुत सारी ताजी ताजी हार्ड और साफ्ट हड्डियां पडी थी, उसने वहां शाप में मौजूद दो टांग के इंसानों की नजर बचाकर साफ्ट साफ्ट तीन चार हड्डियां मुंह में भरी और धीरे से दरवाजे के बाहर निकल गया ! लेकिन नयी मुसीबतें बाहर खड़ी खड़ी उसका इन्तजार कर रही थी ! जैसे ही वह बाहर निकला तीन चार मोटे ताजे मुश्टंड गली कुचों के आवारा कुत्ते उसके पीछे पड़ गए ! इस अचानक की मुशीबत ने एक बार तो उसके होश उड़ा दिए, लेकिन उसने इस मुशीबत में धीरज से काम लिया ! तुरंत दान महा कल्याण की थ्योरी, अपने मुंह में भरी चार में से तीन हड्डियां उन कुतों के सामने फेंक दी और जान बचाने के लिए जोर से भाग पडा ! वे सारे कुत्ते उन हड्डियों की छिना झपटी में आपस में ही लड़ पड़े और लोमड चंद उन दैत्याकार भारी भरकम जबड़ों वाले कुत्तों की रेंज से बाहर निकल गया ! भागते भागते उसकी सांशे उखड़ने लगी थी, उसने आस पास नजर फिराई, उसे एक झोपडी नजर आई वह जल्दी जल्दी उसी झोपडी में घुस गया, भीतर घूप अन्धेरा था ! वह झोपडी किसी रंग रेज की थी जो नजदीकी कपड़ों के मिल में बने सफ़ेद कपड़ों को रंगीन करता था ! उस झापडी में चार तालाब खुदवा रखे थे और उनमें लाल, पीला, नीला और काला रंगों का घोल तैयार करके रखा हुआ था ! लोमद्चंद अँधेरे में नीले रंग के तालाब में गिर गया ! तालाब ज्यादा गहरा तो नहीं था डूबने से तो बच गया लेकिन कभी न निकलने वाले नीले रंग में रंग गया ! एक हड्डी अभी भी उसके मुंह में थी पहले उसने तालाब में पड़े पड़े उस साफ्ट हड्डी को उदर ग्रस्त किया, फिर धीरे धीरे झोपडी से बाहर निकल कर सड़क तक आया ! वहीं उसे एक बिजली का खम्बा नजर आया ! बिजली वालों ने दो दिन पहले ही इस पर नया १०० वाट का बल्ब लगवाया था इसलिए रोशनी तेज थी ! उस तेज रोशनी में लोमद्चंद ने अपने रूप को देखा ! अपने बदले हुए स्वरूप को देखकर पहले तो वह घबरा गया लेकिन जल्दी ही संभल गया ! उसे याद आ गया की जंगल के राजा शेर महाराज जल्दी ही धरती से टिकट कटवाने वाले है,, उनका कोई उतराधिकारी भी नहीं है, ऊपर वाले ने शायद मुझे नीले रंग में रंग कर राजा बनाने की प्लानिंग बनाई हो ! सारे गीदड़ लोमड़ियों से बिलकुल अलग ! अब उसके चहरे का रंग भी बदलने लगा ! जंगल का राज़ा बनने का स्वप्न पालने लगा ! अब उसे एक कागज़ की आवश्यकता थी जिसे दिखाकर वह जंगली जानवरों को यकीन दिला सके की साक्षात ईश्वर ने उसे उनका राजा बनाकर भेजा है ! अब वह सीना तान कर जंगल की और चल पडा ! रास्ते में उसे एक मुडा तुड़ा कागज़ भी मिल गया ! उसने उसे खोलकर देखा उसमें किसी नन्ने बच्चे ने अपने नन्ने नन्ने हाथों से रंग बिरंगी लकीरें खींच रखी थी ! कही किस्म की अटपटी आकृतियाँ बना रखी थी ! लोमडचंद को ऐसे ही रंग बिरंगे लकीरों से डिजायन वाला कागज़ का टुकड़ा चाहिए था ! उसने उस कागज़ को मुंह में दबाया और भाग पड़ा जंगल की ओर ! कुछ दूर तक शहर के कुत्ते भी भोंकते भोंकते उसके पीछे भागे उसकी गति तेज करने के लिए ! दौड़ते भागते हुए लोमद्चंद आखिर में जंगल दरवार में पहुँच गया ! वहां का नजारा देख कर उसका भी दिल भर आया ! शेर महाराज जिन्दगी की आखिरी घड़ियाँ गिन रहे थे ! जैसे ही लोमद्चंद वहां पहुंचा शेर महाराज ने इशारे से उसे अपने पास बुलाया उसे ऊपर से नीचे तक देखा ! जंगल की सारी पब्लिक अपने राजा के अंतिम दर्शनों के लिए वहां पर जमा थी ! मंत्री मंडल के वरिष्ट मंत्री हाथी, गैंडे,भालू, टाईगर, चीते, बाघ, बाराह शिघे, और बहुत सारे छोटे बड़े जीव जंतु ! सबके सामने लोमद्चंद ने अपने मुंह में दबा हुआ कागज़ मरते हुए शेर को दिखाया साथ ही निवेदन किया “शेर महाराज की जय हो, मुझे इश्वर ने यह रंग और यह प्रमाण पत्र देकर आपका उतराधिकारी नियुक्त किया है ! इस पत्र में सब कुछ लिखा हुआ है ! आप चिंता न करे आपके बाद मैं ईश्वर का भेजा हुआ जंगल का राजा जंगल की प्रजा का उचित देख भाल करूंगा” ! उस कागज़ में क्या लिखा था किसी को क्या पता था, सबने लोमड चंद की बातों का यकीन कर दिया और उसे शेर महाराज का उताराधिकारी मान लिया ! शेर ने अपने सिर का ताज सारे मंत्रिमंडल की रजाबंदी से लोमड चंद के सिर पर रख दिया और एक लम्बी सांस भरी और धरती पर लेट गए कभी न उठाने के लिए ! सब ने मिल कर शेर महाराज की अंतिम यात्रा निकाली, उनका दाह संस्कार किया और लोमड चंद को गद्दी पर बिठाने का बहुत बड़ा उत्सव् मनाया ! लोमड चंद ने गद्दी पर बैठते ही अपनी पत्नी को अपना प्रधान मंत्री बनाया, ख़ास ख़ास लोमड़ियों गीदड़ों को रक्षा, विदेश, गृह मंत्रालय सौंप दिया ! हाथी, भेदिये, भालू, टाईगर, बाघ सुरक्षा में खड़े कर दिए ! खाद्य विभाग अपने दोनों नादान बच्चों को दे दिया ! जनता अपने कामों में लगा गयी ! स्वयं लोमड चंद कभी कभी अपनी जनता का हाल चाल जानने के लिए भेष बदल कर रात को जानवरों के बीच जाने लगा ! जनता में कही नागरिकों को यह भी कहते सूना की “वाह क्या खूब लोमड चंद जो कल तक फाके किया करता था, भूख से बेहाल था आज पूरे परिवार रिश्तेदारों को मंत्री बनाकर ऐश उड़ा रहा है ! कोई यह भी कहता की शकल सूरत से तो लोमड़ी ही लगता है केवल रंग का ही तो फर्क है, कहीं गीदड़ ने नीले रंग में नहा कर अपने को नीला कर दिया हो और सारे जंगली जानवरों को अपनी चालाकी से बेवकूफ बना रहा हो ! उसके कानों में ऐसे शब्द पड़ते ही उसे परेशान कर देते ! उसे हर समय दर लगा रहता की कहीं उसकी चोरी पकड़ी न जाय !

गीदड़ों की एक आदत है जब उनका पेट भर जाता है तो पहले एक गीदड़ चिल्लाता है, चिल्लाता क्या है रोता है और फिर सारे गीदड़ उसके स्वर में स्वर मिलाकर चिल्लाते हैं ! जो नहीं चिल्लाता उसे भी चिल्लाने का दिल करता है जो नहीं चिल्लाता भीतर के फ़ोर्स से उसका पेट फटने का खतरा होता है ! और एक दिन जब सारे दरवारी गीदड़ (लोमड़ी) एक स्वर से हूआं हूआं करने लगे तो राजा बने लोमड चंद से भी नहीं रहा गया और वह भी हूआं हूआं करने लगा, उसकी पोल खुल गयी ! राजा लोमड चंद की हूआं हूआं को सुन कर तमाम सुरक्षा में खड़े भेड़िया, टाईगर, बाघ, रीछ एक साथ उस पर टूट पड़े और उसे चीर फाड़ कर फेंक दिया ! एक कपटी नकली जंगली राजा का इस तरह से अंत हुआ ! टाईगर ने सता संभाल ली और वह विधिवत राजा बनाया गया ! धोकेबाज और गद्दार के इने गिने दिन होते है और पकडे जाने पर उसका लोमड चंद जैसे ही हस्र होता है ! धोखेबाजो होशियार !! हरेंद्रसिंह रावत – अमेरिका से

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