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और मैं दो हजार आठ सौ दो में चला गया !

jagate raho
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हम कॉलेज के दिनों के चार दोस्त थे ! समय के साथ चलते हुए मैं तो सेना में चला गया, दूसरा इंजिनियर बन गया, तीसरा वैज्ञानिक और चौथे ने टेकनीसियन का बैग गले में डाल दिया था ! जब कभी मैं सेना से छुटी लेकर घर आता था तो एक निश्चित स्थान पर हम चारों दोस्त मिल जाया करते थे ! कालेज की दोस्ती बरकरार थी ! शादी भी हो गयी, बच्चे भी बड़े बड़े हो गये लेकिन हम चारों का मिलना जुलना जारी रहा ! हमारी दोस्ती में कोई दुराव, कोई स्वार्थ नहीं था ! सबके दिल पवित्र गंगोत्री से निकलते स्वच्छ और निर्मल जल की तरह बिलकुल साफ़ थे ! हम सभी दोस्त अपनी लाईफ लाइन के ६० साल पूरे कर चुके थे, अपने अपने जॉब से रुकशत ले चुके थे ! सारे के सारे एक सुन्दर मौसमी फूलों से मुस्कान भरे पार्क में रोज शाम को इकठे होते थे और कभी, देश की राजनीति पर तो कभी नेता, शासक प्रशासकों के गिरते हुए स्तर पर चर्चा करते थे ! नेताओं, मंत्रियों नौकरशाह, सरकारी कर्मचारियों द्वारा खुले आम घूस, रिश्वत लिए बिना जनता को बे वजह परेशान करना, भ्रष्टाचार में बड़े बड़े राजनेताओं के रंगे हाथों को कैसे रोका जाय इस विषय पर भी हम अपना माथा पच्ची किया करते थे ! कभी अपने रिटायरमेंट जिंदगी को और खुशनुमा बनाने के लिए कुछ ऐसा नया करने की योजना बनाते थे की आने वाली जनरेशन और सुखी रह सकें और हमें याद करें ! और एक दिन हम सबने मिल कर एक ऐसी मशीन बनाने की योजना बनाई जो हमें भविष्य में ले जाकर, आगे आने वाली जनरेशन के बारे में बता सके ! अब रोज शाम को इस मशीन को कैसा मॉडल दिया जाय, कितना भारी वजन कौन कौन सा मेटल इसको बनाने में इस्तेमाल किया जाय, कितने और लोगों को इसमें सामिल किया जाय जो अपने हुनर दिखाकर हमारी योजना को फली भूत कर सके, हमारी चर्चा इसी बिन्दू के इर्द गिर्द घूमने लगी कही दिनों तक ! शनिवार का दिन था, हम चारों आज ब्रेक फास्ट करके अपना अपना लंच बौक्स के साथ पार्क में आगये ! इंजिनियर ने अपना हुनर दिखाया, एक चार्ट तैयार किया, मैंने भी इस चार्ट को और खूब सूरत बनाने में अपने २८ साल का फौजी तजुर्बे दोस्तों के सामने दिखाया, हमारे वैज्ञानिक दोस्त ने इस चार्ट को वैज्ञानिक रूप देकर टेक्नीसियन दोस्त को इस पर कार्यवाही करने का निर्देश दे दिया ! इस तरह हमें उस दिन रात के दश बज गए थे पार्क में ! फैसला किया गया की हम सब मिलकर इस मशीन को बनाने के लिए फंड जुटाएंगे ! कोशीश करेंगे की हमारा अभियान आम जनता और दूसरी जांच एजेंसियों की नज़रों से गुप्त ही रहे ! सारे दोस्त अपने अपने घरों को चले गए ! मैं भी शाम के कार्यकलापों से निवृत होकर रात का भोजन करके ११ बजे के लगभग अपने विस्तर पर लेट गया ! आज दिन में आराम नहीं किया था इसलिए जल्दी ही निद्रा देवी ने अपने आगोश में ले लिया ! अब स्वपनों की दुनिया ने विचरण करने लगा ! मैं एक नई दुनिया में आगया ! एक खूबसूरत दुनिया में ! यहाँ भी हम चारों दोस्त साथ थे ! हमारा प्रोजेक्ट, भविष्य की और ले जाने वाली मशीन तैयार होगई थी ! हम चारों दोस्त एक साथ ही इस मशीन के अन्दर बैठ गए ! इसकी टेकनीक भी लाजवाब थी ! सिर्फ एक बटन दबा देने से यह चालू होगई और एक इंडिकेशन से यह ऊपर ३५००० फीट जाकर अपने आप ही पहले पूरब और फिर पश्चिम दिशा की ओर मुड गई ! इसकी स्पीड इस समय एक हजार मील प्रतिघंटा की थी ! इसमें कोई इधन नहीं इस्तेमाल किया गया था ! केवल पानी की टंकी से पानी इंजन के पास के वर्तन में आता था और भाप बनकर मशीन को अनर्जी दे रहा था ! वही भाप फिर पानी बनकर रिसाईकिलिंग होकर टंकी में जमा हो जाता था ! इस तरह इधन की कमी नहीं हुई !
जल्दी ही हम लाखों मील का सफ़र करने के बाद एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जो हमारी दुनिया से बिलकुल ही अलग था ! एक बहुत लम्बे चौड़े मैदान में जाकर हमारी मशीन अपने आप ही नीचे उतर गयी ! मैदान में बड़ी हलचल थी ! लगता था वहां कोई बहुत बड़ा समारोह मनाया जाने वाला है ! हमारे सामने ही एक खूबसूरत सा पार्क रंग बिरंगे और तरह तरह के फूलों से भरा था ! गेट पर एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था नया वर्ष २८०२ के शुभ अवसर पर आप सब को बहुत सारी शुभ कामनाएं ! अक्षर और लिपि हमारी समझ से बाहर थी लेकिन कुछ मूल वासियों की मदद से हम उन शब्दों को हिन्दी रूपान्तर कर सके ! लोग बहुत छोटे छोटे, सुन्दर और मासूम लग रहे थे ! करीब दो से ढाई फीट के ! उनकी पोशाके हमारे पहनावे से बिलकुल अलग थी ! नर नारी का पहनावा भी इस दुनिया से भीं था ! रंग सारे नर नारियों का गोरा था ! सबके सिरों पर फूल पतियों से बनी हुई टोपियाँ थी ! वहां राजा भी थे, मंत्री भी और नौकरशाह भी थे, लेकिन कोई अमीर गरीब नहीं था ! राजा मंत्री सब मिलकर अपनी प्रजा के साथ धरती पर बैठकर किसी भी नयी योजना पर चर्चा करते थे और आगे की रूप रेखा तैयार करते थे ! मकान छोटे छोटे थे ! बस्ती के सारे लोग एक जगह मिलकर खाना खाते थे ! सब ओर अमन चैन की बंसी बज रही थी ! जंगल भी थे, खेत भी थे लेकिन ज्यादा से ज्यादा फलों से लड़ी डालियाँ हर ओर नजर आ रही थी ! हफ्ते में एक दिन बस्ती के सरदार मिलकर अपनी अपनी बस्ती के लोगों को एक बड़े मैदान में इकठ्ठे करते थे और भाई चारा अमन शांती का माहौल बनाने के लिये सब मिलकर खान पान करते थे, नाच गाना होता था ! यहाँ न जाति का बंधन था न धर्म का, न गरीब का न अमीर का ! सबका एक ही धर्म था मानव धर्म ! न कोई आर्मी थी, न हथियारों का जखीरा, न गोला बारूद ही कहीं नजर आ रहा था ! सबको समानता का अधिकार था ! सबके पास सब कुछ बराबर था ! सभी लोग स्वस्थ और निरोग थे, छोटी मोटी बीमारी दूर करने का हुनर सबके पास था ! हरेक परिवार में “हम दो हमारे दो” ! परिवार नियोजन सारे जनता की सहमति, न कोई जोर न जबरदस्ती !
महीने में एक दिन सीमा से बाहर की बस्तियों के लोग इससे भी बड़े मैदान में अमन चैन और सुख शांती का सन्देश देने के लिए एकत्रित होते थे और आपस में मिलजुल कर प्रेम से नृत्य, संगीत का मजा लेते थे ! इसी समारोह को देखने हम लोग भी वहां पहुँच गए ! हमें देखकर बुजुर्गों ने फूलों की मालाओं से हमारा स्वागत किया ! हमें सब लोगों के बीच बिठाया गया ! वहां न कोई सोफा सेट लगा था, न कोई कुर्सी न राजा मंत्री के लिए अलग आसन ही लगा था, सब मिलकर धरती पर फूलों से बने मखमल जैसी विछावन पर बैठे हुए थे ! हमारे बीच में एक बुजुर्ग सजन आकर बैठ गए ! उनके बारे में बताया गया था की उनकी उम्र सौ साल से ज्यादा हो चुकी है और वे अपने जमाने के इतिहास के विश्व प्रसिद्द प्रोफ़ेसर रह चुके हैं ! उनहोंने उन्नीसवीं – इक्कीसवीं सदी से लेकर २८०० इ0 तक के दुनिया के उथल पुथल पर रिसर्च किया है और डाक्टरेट की उपाधी हासिल की है ! वे स्वयं हम लोगों के बीच आकर बैठ गए ! उनहोंने ठेठ हिन्दी भाषा में हमसे बात बातें शुरू करदी ! उनहोंने बताया की ‘ सबसे बड़ा विश्व का अहित किया है उन्नीसवीं से लेकर और इक्कीसवीं सदी के वैज्ञानिकों, शासक प्रशासकों, चोर लुटेरों, हत्यारों, बलात्कारियों और आतंकवादियों नक्शल और मावोवादियों ने ! विश्व के सबसे बड़े दुश्मन थे वे लोग जिन्होंने अणु, परमाणु, हाईड्रोजन, नूपम बम, फाईटर, बिध्वंशक हथियार, बम, अम्युनिशन बनाए और सारे संसार का विनाश कर दिया’ ! वे आगे बोले “आप लोग इक्कीसवीं सदी से आये हो, हमारे पूर्वज हो,, पता है आपके जमाने के लोगों ने कितना जघन्य अफ़राध किये हैं, नादान बच्चियों के साथ बलात्कार करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया, नारियों के साथ दरिंदो जैसा व्यवहार किया गया ! मंत्रियों नेताओं द्वारा जनता की खून पशीने की कमाई पर डाका डालना, हजारों करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार, विश्व इतिहास में पहली बार उजागर हुआ ! पता है आपके वैज्ञानिकों ने बम बना दिए विश्व के सारे देशों में इन हथियारों बमों को जमा करने की होड़ लग गयी थी ! आपस में लड़ते लड़ते कही देश के देश पूरी तरह से बरबाद होगये, उनका अस्तित्व ही इतिहास से मिट गया ! और जब पाप का घड़ा भर गया, पवित्र गंगा, यमुना सरस्वती ही गंदे नालों में तब्दील होगये, पाप धोने का साधन भी ख़तम हो गये ! और फिर पाप को धोने के लिए तूफ़ान आया, समुद्र ने क्रोध में आकर अपनी लहरों से विश्व का बहुत बड़ा भाग जलमग्न कर दिया ! फिर आया भूकंप सारे परमाणु बम एक दूसरे से टकराए और फिर हुआ बहुत बड़ी दुर्घटना, बहुत बड़ा विनाश ! कुछ ईमानदार, देशप्रेमी, सच्चे इंसान पहाड़ियों की गुफा में सुरक्षित रह गए और उन्हीं देश प्रेमी वफादार ईमानदारों की है ये संताने जिन्हें आज आप फलते फूलते देख रहे हो ! जो आज शांती से रह रहे हैं, सब बराबरी के साथ और वफादारी के साथ जी रहे हैं ! उधर देखो वो हमारी आस्ताओं की पवित्र नदियाँ बहा रही हैं, ये गंगा है, उधर यमुना, सरस्वती, ब्रहम पुत्र, कावेरी, नर्वदा, महा नदी, गोदावरी सारी नदियाँ कितना शुद्ध और निर्मल जल के साथ कल कल ध्वनि से बह रही हैं ! कोयल, मोर, पपीया और बहुत सारी रंग बिरंगी छोटी बड़ी चिड़ियाँ मधुर स्वरों में सुबह सबेरे संगीत सुनाते हैं ! हर घर के आगे पतियों से आच्छादित सुन्दर सुन्दर पेड़, सुन्दर झाड़ियाँ, बेल प्रयावरण को स्वच्छ रखने में सहायता कर रहे हैं ! घने जंगल में मंगल हो रहा है ! सच पूछो राम राज्य लौट आया है” ! मैं जबाब देने के लिए मुंह खोलता हूँ की आवाज ही नहीं निकल रही थी, मैं जोर लगाता हूँ, और नींद खुल जाती है क्या देखताहूं की सामने पत्नी चाय का प्याला लिए कड़ी झुंझला रही है, ” पहले तो सोते नहीं जब सोते हैं तो कुम्भकरण की नींद, बाहर दिन निकल आया है, बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजना है और एक आप हैं लाख जगाने से भी नहीं जगते “! चाय का प्याला पत्नी के हाथ से लेता हूँ और चुस्की ले ले कर पीता हूँ, साथ ही २८०२ को याद करके मन ही मन मुस्कराता हूँ ! हरेंद्रसिंह रावत – अमेरिका से

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