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चलो इस बार जिन्दगी को जीकर देखते हैं,
लबों पे लगा के मदिरा पीकर देखते हैं,
यारो अगर नशा हो जाए संभाल लेना,
यारों की यारी का पैमाना देखते हैं,
रास्ते में रोज ही एक रोड़ा अटक जाता है,
आदमी अपनी राह से भटक जाता है,
भटके को भटकाने वाले तो अनेकों हैं,
जो भटके को राह दिखा दे,
उसकी दीवानगी को देखते हैं,
आज तो हर किसी ने पी है,
नेता ने जीत पर जाम पी है,
गरीबों ने दुखों की शाम पी है,
सेठ साहूकारों ने खूब कमाई की है,
मजदूरों ने आंसूवों की घूँट पी है,
मंत्री नौकरशाहों ने फाईब स्टारों में पी है,
छोटे बाबुओं ने ढाबों में पी है,
सफाई कर्चारी चपरासी ने बीडी पी है,
पीने का अंदाज हरेक का अपना अपना,
चलो इसी अंदाज को देखते हैं,
लबों पे लगा के मदिरा पीकर देखते हैं !
घोटाले बाज
जनता का धन उडाता हूँ संसद में बैठकर,
या वह जगह बता दे जहां जनता का धन न हो,
काला धन बनाता हूँ, सरकारी ख़जाने से,
नहीं मिलता जमाने में केवल गिडगिडाने से,
ख़जाना था भरा मैंने, उदर भर भर खाया भी,
टटोली जेब जनता की हाउस टैक्स का बिल पाया,
अगले दरवाजे पर जनता का जोर है,
सांसद बना दो हमें मचा ये शोर है,
वादा किया सरकार ने धन्ना सेठ से,
अब एम् पी बन जाएगा पिछले गेट से,
दोहा –
धन दौलत की लूट है लूट सके तो लूट,
फिर नेता पछताएगा जब कुर्सी जाएगी छूट !
काला धन रखा था डब्बल ब्यड के बीच,
सीबीआई जोर लगा खींच सको तो खींच !
आछे दिन पाछे गए धन से रहा न मेल,
अब पछताए होत क्या जब सामने आई जेल !
यमदूत आता देखकर जुल्मी करे पुकार,
बड़े बड़े तो कट गए, कल ही हमारी बारि !
संसद के गेट पर सांसदों की भीड़,
किसी को कुर्सी मिले किसी को मीठी खीर !
भक्त भगवान् की जय हरेन्द्र
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