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विश्व व्यापार केंद्र – वनाम वर्ल्ड ट्रेड सेंटर

jagate raho
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आज मैं अमेरिका के सबसे बड़े प्रांत न्यू यॉर्क में सबसे पहले बने दो विशाल ११० – ११० मंजिली इमारतों के बारे में बताने जा रहा हूँ !
ये दोनों इमारते न्यू यॉर्क सिटी मैनहटन में बनी थी और इस विशाल प्रदेश की शान थी ! दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी, जापान और इटली ने यूरोप, एशिया और अफ्रिका के बहुत बड़े बड़े शहर कस्बे बुरी तरह से बरबाद कर दिए थे लेकिन वे प्रशांत और पैसिफिक महासागरों के बीच में उतरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के महाद्वीपों की सरहद तक नहीं पहुँच पाए ! अमेरिका के शासक, प्रशासक और जनता इस युद्ध के बाद अपने को बिलकुल सुरक्षित समझने लगी थी ! उन्हें लगा अमेरिका किसी प्रकार से किसी भी यूरोपियन, एशियाई और अफ्रीकन देशों की रेंज से बाहर है,यहाँ कभी भी विदेशियों द्वारा आक्रमण संभव नहीं है ! न्यू यॉर्क कुदरत की सम्पदावों से सुसजित है, कई छोटे बड़े ऐलैंडों को जोड़कर बना आकर्षक सबसे पुराना न्यू यॉर्क सिटी विश्व के सैलानियों का आकर्षण केंद्र रहा है, इसे और विस्तार देने के लिए और विश्व के बड़े बड़े बिजिनेस को प्रोमोट करने केलिए, प्रदेश के विधायकों ने विश्व व्यापार संस्था की स्थापना की जो यहाँ विश्व व्यापार केंद्र की विशाल इमारत खड़ी करने की सम्भावनाओं पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट दे ! बिजिनेस मैं डेविड रौकफेलर चाहता था लोवर मैनहटन को विकसित करना, सन १९५९ इ में उसने ६० मंजिली बैंक बिल्डिंग बनाने का अपना इरादा बताया ! डेविड रौफेलर को खुद महसूस हुआ की इस प्रोजेक्ट पर बहुत सारा पैसा लगेगा और उसके लिए इतनी बड़ी धन राशि जोड़ना आसान नहीं होगा, इसलिए उसने ६० मंजिल बिल्डिंग बनाने का इरादा बदल दिया और इस प्रोजेक्ट की जिमेदारी पोर्ट अथॉरिटी न्यू यॉर्क और न्यू जर्सी को दे दी ! अथॉरिटी ने सन १९६१ को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बनाने की प्लानिंग बनाई और १९६२ को इसका अलग कार्यालय खोल दिया ! अथॉरिटी ने मिनोरू यामासाकी आर्किटेक को इस प्रोजेक्ट का डिजाइन बनाने को कहा ! उसन दो बिल्डिंगें वर्ल्ड ट्रेड टावर की बनाई जिनको पांच छोटो छोटे पलाजा बिल्डिंग घेरे हुए होंगी ! फिर जगह का चुनाव हुआ ! इसके लिए जमीन मुहैया कराई गयी ! कुछ व्यापारियों ने अपने बिजिनेस पर पड़ने वाले असर को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की कोशीश की वे कोर्ट में भी गए लेकिन कामयाब नहीं हुए ! सन १९६३ इ0 में अमेरिका के सर्वोतम न्यायालय ने उनकी अपील खालिज करदी ! १९६४ में अथॉरिटी ने दो वर्ल्ड ट्रेड टावर की दो बिल्डिंगे ११० – ११०,मंजिल, ९३०,००० स्क्वायर मीटर एरिया में बनाने की योजना को जनता तक पहुंचाया ! योजना के मुताबिक़ वर्ल्ड ट्रेड टावर नार्थ, वर्ल्ड ट्रेड टॉवर साउथ, होटल, प्लाजा बिल्डिंग नार्थ और साउथ, अमेरिकन कस्टम हॉउस और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर आफिस बिल्डिंग.
जनता में बहुत से लोगों ने अपनी नाखुशी भी जाहीर की, क्योंकि उन्हें डर था की इतनी ऊँची बिल्डिंगें कभी भी गिर जाएँगी ! हर कोई अपने फायदे को देख रहा था ! फिर पोर्ट अथॉरिटी के सामने इतना धन इकट्ठा करने की भी बहुत बड़ी चुनौती थी ! इसके अलावा भी बहुत सी अड़चने सामने आई !
सारी बाधावों को पार करने के बाद मार्च १९६६ में काम शुरू हुआ, १६ एकड़ जमीन पर फौंडेशन के लिए ९१७,००० क़्युबिक मीटर मिट्टी हटाई गयी ! काम को तीन ज़ोन में बांटा गया, पहला फर्स्ट मंजिल से ४१ मंजिल तक ! दूसरा ४२ से ७२ तक और तीसरा ७३ से ११० तक ! पूरी मिट्टी बोक्सों में बंद करके हड्शन नदी में डंप कर दी गयी ! १९७० में नार्थ ट्रेड टावर बन कर तैयार होगया ! ११० मंजिल, ४१७ मीटर (१३६८ फीट ) उंचा, १९७१ में वर्ल्ड ट्रेड तोवर दक्षिण का भी तैयार होगया, यह भी ११० मंजिली इमारत थी लेकिन इसकी लम्बाई ४१५ मीटर, (१३६२ फीट) थी ! इन सारी बिल्डिंगों की लागत उस समय ५७५ मिलियन डालर आई . इसकी ४३६०० खिड़कियाँ थी, २५४ इलेवेटर, २००,००० लाईट फिक्सचर थे ! १५००० हाउसेस को एयर कंडीशन की व्यवस्था थी ! आठ हजार मजदूर, कारीगर,मिस्त्री, इंजिनियर , बिल्डर और वे सारे लोग जो इस काम को करने कराने में सहयोग दे रहे थे ! दोनों बिल्डिंगों के आखरी मंजिल आब्जर्वेशन डेक बनाया गया जहा से पूरे शहर का नजारा, समुद्र से लेकर पूरा, न्यू यॉर्क और न्यू जेर्सी के सौन्दर्य को निहारा जा सके ! यहाँ से सूर्यास्थ का नजारा देखते ही बनता है !
इन बिल्डिंगों में विश्व के बड़े बड़े औद्योगिक बिजिनेस व्यापारियों के संयुख राष्ट्र संघ का कार्यालय, सुरक्षा ऐजेंसियों का दफ्तर, होटल, रेस्टोरेंट, शोपिंग सेंटर, शेयर मार्केटिंग कार्यालय भी यहीं था ! इसके अलावा भी बहुत सारी एजेसियाँ, देशी विदेशी यहाँ पर थी !
ये दोनों वर्ल्ड ट्रेड टावर की बिल्डिंगें न्यू यॉर्क सिटी की शान थी, पहिचान थी ! विश्व का सबसे बड़ा बिजिनेस सेंटर बन गया था ! दुनिया का सबसे बड़ा खजाना था इन विशाल गगन चुम्बी इमारतों के अन्दर !
आतंकवाद की आंधी के झोके अमेरिका की मीनारों से भी टकराने लगे और पहले २६ फरवरी १९९३ इ० वर्ल्ड ट्रेड टावर की एक बिल्डिंग में एक बम धमाका हुआ ! इस हादसे में ६ लोगों की मौत हो गयी, और हजार से ज्यादा घायल हो गए ! जांच हुई और जल्दी ही अफराधी पकड़ा भी गया ! उसे तथा उसके गंग को सजा भी हुई ! लेकिन इस हादसे से सुरक्षा कर्मियों की सतर्कता पर भी सवाल उठने लगे हैं ! अगर सुरक्षा कर्मी उसी समय १९९३ के अफराधियों से शक्ती से काम लेती तो २००१ में होने वाली साजिस का पता पहले ही सुरक्षा कर्मियों को लग जाता और २००१ का बड़ा हादसा टल जाता !
१९९३ के बम्ब हुए धमाकों से हुए नुकशान के रिपियर में पूरे पांच सौ मिलियन डालर खर्च हुए ! ११ सितम्बर २००१ का दिन अमेरिकन जहाज पायलट आतंकवादी ट्रेड टावर से टकराए और मिनटों में दोनों गंगन चुम्बी टावर राख के ढेर में तब्दील हो गए ! ये दोनों प्लेन बोस्टन से उड़े थे, दोनों प्रत्येक ७६००० लीटर पेट्रोल लेकर चले थे, ये टावर से टकराए, सारा पेट्रोल बिल्डिंग में फैल् गया और आग ने सब कुछ जला कर भस्म कर दिया ! हजारों कार्यरत लोग इस हादसे में मारे गए, कही हजार जख्मी हुए ! अब तो यह स्थान बिरान बन गया है बिगत काल का इतिहास बन गया है ! लगता नहीं है की कभी यहाँ पर विश्व की सबसे ऊँची दो इमारतें खड़ी रही होंगी ! ये आतंकवादी अल कायदा आतंकवादी संगठन के थे ! इस ग्रुप का सरगना था ओसामा बिन लेदीन जो अमेंरिकी सैनिकों द्वारा पाकिस्तान में मारा गया था ! अभी तक की ताजी खबर के मुताबिक़ उसी स्थान पर १०४ मंजिल वर्ल्ड ट्रेड टावर की एक इमारत बन चुकी है, काम जोर शोरों से चल रहा है ! शायद दूसरी इमारत का भी श्री गणेश जल्दी ही शुरू हो जाएगा ! ये अमेरिका है यहाँ कुछ भी हो सकता है ! हरेन्द्र

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