Menu
blogid : 12455 postid : 582069

वे चले गए बिना कुछ कहे !

jagate raho
jagate raho
  • 456 Posts
  • 1013 Comments

वे चले गए बिना कुछ कहे
कि तुम क्या करोगे जब हम ना रहें !
छुट्टी समाप्त हुई वे ड्यूटी पर जा रहे थे,
मां-पिता पत्नी बच्चे स्टेशन तक आये थे,
वादा किया था ” जल्दी आउंगा,
बच्चों को पिकनिक ले जाउंगा,
इस साल का सावन गाँव में बिताउंगा,
खेतों में पिता जी का हाथ बटाउंगा,
बच्चों को भी पेड़ पौधे फूल पतियों से
प्रेम करना सिखाउंगा,
स्वस्थ रहने की कलावाजी जवानों को बताउंगा,
अपने गाँव को प्रदूषण रहित बनाउंगा” !
लेकिन वे नहीं आये !
आखरी पत्र आया था,
पिता जी को रेलवे स्टेशन बुलाया था,
लेकिन पिता जी अकेले वापिस आये,
मन में अनहोनी शंका के बादल गड़गड़ाए,
अचानक फोन की घंटी बजी,
एक सोयी आशा जगी,
अचानक,
घर के मंदिर का दिया बुझ गया,
एक चित्कार निकली, ‘विधाता’ ये तूने क्या किया !
पूरी रात आँखों में बिताई,
सुबह दरवाजे पर एक फौजी गाडी आई,
तिरंगे में लिपटी बेटे की अर्थी थी,
पत्नी का सुहाग, बच्चों की छतरी थी,
मां पिता जी की बुढापे की लाठी थी,
बेटा सीमा पर दुश्मन को मार के मरा है,
रक्त से लत पत धरती मां की गोद में पडा है,
जैजै कार हो रही है, मृत देह पर फूल गिर रहे हैं,
सलामी में गोले गिर रहे हैं !
पत्नी सोच रही है, वे चले गए बिना कुछ कहे,
कि तुम क्या करोगे जब हम ना रहें ?

,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply