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आइये आपको बीयर माउन्टेन की यात्रा करा दें

jagate raho
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१० अगस्त २०१३, शनिवार का दिन ! आसमान बिलकुल साफ़, धूप अपने योवन पर, वेसे भी सावन का महीना अपने चरम पर है ! न्यू यॉर्क का मौसम नार्मल हालात में रमणीक ही रहता है ! प्रोग्राम बना था बीयर माँउन्टेंन शिखर तक हैकिंग करने का ! मौसम ने स्वीकृति की घंटी बजाई, ठीक नौ बजे हम चल पड़े अपने उद्देश्य पूर्ती हेतू, राजेश, बहु काजल, दोनों पोते आत्रेय- वेदान्त, अपनी कार से हम सब मैंन हटन न्यू यॉर्क सिटी से विशाल वाशिंगटन ब्रिज द्वारा हडसन रिवर को पार करके न्यू जेर्सी पहुंचे ! रास्ते में मुरली, अभय, उसकी पत्नी और १० साल का लड़का भी साथ हो लिया ! वहां से फिर उतर पश्चिम चलते चलते फिर न्यू यॉर्क के उतरी पूर्वी हिस्से में पहुंचे ! सामने उतर पूर्व को घेरते हुए खूबसूरत गगन छूते पेड़ों सजी पहाड़ियां नजर आई ! इसी का नाम है बियर माउन्टेंन !१९१५ में इस बीयर स्टेट पार्क की स्थापना की गयी जो पहाडी की तलहटी में विशाल मैदान करीब २१ स्क्वायर किलो मीटर के दायरे में फैला हुआ है ! एक बहुत लम्बी चौड़ी, ख़ूबसूरत सी झील है, बहुत
सारी मछलियाँ, मोटर बोट सैलानियों द्वारा बच्चों के साथ मनोरंजन करने के लिए पिकनिक स्थल, बौली बॉल, बास्केट बॉल खेलने के कोर्ट,! लंबा चौड़ा कार पार्क जहां एक समय १०,००० से १५००० तक गाड़ियां एक बार में रखी जा सकती हैं ! यहाँ पत्थरों को तरासकर दो पुरानी इमारतें हैं, इन इमारतों में हल्का नास्ता मिल जाता है, साथ ही बच्चों के मनोरंजन के साधन हैं, जैसे चखी झुला झुलाना आदि ! हैकिंग, बाइकिंग, वोटिंग, स्विमिंग, क्रोस कंट्री प्रतियोगिता की व्यवस्था हैं ! पेलिसेड्स अंतर्राज्य पार्क संस्था द्वारा इस पार्क का रख रखाव देख भाल की जाती है ! यहाँ चिड़िया घर और म्यूजियम भी है ! इस पार्क का ऐतिहासिक महत्त्व भी है, अमेरिका जब अपनी स्वतंत्रता का आन्दोलन चला रहा था तो इस हडसन रिवर और इस विशाल पार्क पर अपना कब्जा करने के लिए अंग्रेजों से संघर्ष भी इसी स्थान पर हुआ था ! बीयर मांटेन इन मेरी गो राउंड पूल स्वीमारों के लिए ! ऊपर पहाडी की चोटी तक पक्की सड़क है ! इन पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए रास्ते बनाए गए हैं, सही रास्ते पर चलने के लिए सफ़ेद पेंट से हर मोड़ पर नीचे ऊपर चलने के लिए पेटेंट निशान बने हैं ताकी हैकिंग और क्रोस कंट्री करने वाले सैलानी उस विशाल जंगल में भटक न जाय ! बीयर माउन्टेंन नाम इसलिए रखा गया है की इस जंगल में भालू रहते हैं ! क्योंकि हैकिंग करने वालों का शोर शाराबा उन्हें रास नहीं आता तो वे जंगल के दूसरे हिस्से में चले जाते हैं ! घना जंगल है, पेड़ कुछ तो बहुत बड़े आसमान छूने वाले है कुछ उनसे कम ऊँचाई लेकिन आम पेड़ों से भारी और लम्बे हैं ! झाड़ियाँ कम हैं ! तेज आंधी से बहुत से पेड़ टूट कर गिर पड़े थे और कुछ जड़ समेत उखड़े हुए थे ! ये पेड़ सुखकर पानी से भीगते भीगते सड़ जाते हैं और जानदार पेड़ों के लिए खाद खुराक का काम करते हैं ! इसी खाद खुराक के बल से ये ऊँचाई में आसमान छूने की होड़ लगाने लगते हैं ! रास्ता कहीं तो सीधी चढ़ाई कहीं समतल है लेकिन, कहीं लगातार सीढियां बनी हैं ! अचानक दिमाग में इन सीढ़ियों को गिनने का विचार आया और मैंने मुरली के साथ चढ़ाई चढ़ते हुए इन सीढ़ियों को गिनना शुरू कर दिया करीब १३०० तक तो हमने गिनी थी लेकिन शायद २००-२५० और भी हो सकती हैं ! इसके अलावा कहीं बिना सीढ़ियों की भी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है !
हमारे दल में सबसे बड़ी उम्र का शक्स ७७ + मैं ही था बाकी सारे ४४ से नीचे थे, सबसे कम उम्र का मेरा छोटा पोता वेदांत था ६ साल दो महीने का ! कमाल तो देखिये उसने बिना किसी सहायता के यह तीन साढ़े तीन मील की चढ़ाई पार की ! आत्रेया के साथ एक लड़का और था उसी की एज ग्रुप का, दोनों हंसते खेलते वेदान्त को साथ लेकर हमारे साथ ऊपर स्काई लाईन पर पहुँच गए ! बीच बीच में विशाल शिला खंड पड़े हुए थे जैसे कुदरत ने इन्हें सैलानियों के लिए चढ़ाई चढ़ते चढ़ते थकान लगने पर विश्राम करने के लिए बिछा रखे हों ! हमारे रास्ते में एक शिला तो बड़ी विशाल थी बिलकुल सपाट और चिकनी, ऊपर से सीधे नीचे तक करीब ५०-६० फीट ऊँची होगी इसे पार करने के लिए लकड़ी का मजबूत पुल बना रखा है ! ऊपर चोटी पर एक मेमोरियल टावर है, जहां से हडसन रिवर के आस पास की पहाड़ियों के साथ साथ बहते हुए चश्मे, और कुदरत की बिखरी हुयी छटा दूर दूर तक दृष्टि गोचर होती है ! यहाँ टावर से कुछ दूरी पर विशाल शिला खंड हैं , चिकने चौरस जिनके ऊपर बैठकर भी चारो तरफ के नज़ारे देखे जा सकते हैं ! दो विशाल शिलावों के बीच में दो ढाई फीट का एक बौना पेड़ है जिसे कहते हैं सौ साल से ऊपर का हो चुका है ! वो अपना भोजन कहाँ से लेता है यह भी एक आश्चर्य है इस पर्वत शिखर का ! यहाँ तक कार आती हैं तो पार्किंग की सुविधा है ! कुछ पास पड़ोस के लोग तो हर हफ्ते यहाँ पिकनिक के लिए आते रहते हैं ! कमाल की बात तो यह रही है की इस विशाल घने जंगल में कोई जंगली जानवर तो दूर छोटे छोटे कीड़े मकोड़े भी कहीं नहीं नजर आये ! पार्क समिति की देख रेख में रास्तों में कहीं कोई टूट फूट नहीं, बारीश होती रहती है लेकिन कहीं रास्तों में कीचड नहीं, किसी किस्म की कोई असुधा नहीं हुई ! हमने पर्वत शिखर पर पहुँच कर कुछ फोटो खिंचवाए, कुछ देर चहल कदमी की और चल पड़े नीचे की तरफ सीढ़ियों को गिनते हुए, नीचे पार्क की तरफ ! घुटनों पर जोर तो पडा लेकिन पहुँच गए झील के पास ! यहाँ पर काले लोग बड़ी संख्या में कोई जश्न मना रहे थे, कहीं म्यूजिक चल रहा था, कहीं खेल तमाशे तो कहीं भोजन व्यवस्था थी ! सर्दियों में भी बर्फ के ऊपर स्केटिंग और विंटर खेल तमाशे होते रहते हैं ! यहाँ बारहों मॉस हर ऋतू का तुफ्त उठाया जा सकता है ! देश विदेश से आने वाले सैलानियों का आकर्षण है यह बीयर माँउन्टेंन जहां कुदरत और कुदरत के करिश्मे देखे जा सकते हैं ! यादों को संजोए हुए दिल के एक कोने में सुरक्षित, हम आगये वापिस अपने घर !

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