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बिजली कड़के कड़कने दो

jagate raho
jagate raho
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बिजली कड़के कड़कने दो, बाजू फडके फड़कने दो,
राहों में कांटे न बो, जो बोता है उसको धो !
तूफ़ान आ रहा आने दो, कौवे को कह जाने दो,
ज्वालामुखी तो फटा पडा है लावा को बह जाने दो !
पुलिस के डंडे संतों पर, पड़ते हैं पड़ जाने दो,
नेता मंत्री रिश्वत खाते, भूखे हैं खा जाने दो,
कालाधन विदेशों में, काले लम्बे केशों में,
भ्रष्ट दरिन्दे गली गली काले गोरे भेषों में !
देश प्रेमी बन्दे मातरम मुंह बंद करवाने दो,
बहुसंख्यक को गाली दे धर्म निरपेक्ष बन जाने दो !
तीसरा नेत्र खुला शंकर का अब तांडव हो जाने दो
हो रही दुर्गा अपमानित खडग को उठ जाने दो !
रक्त बीज जैसे अफराधी शक्ति को रक्त पी जाने दो,
रेत बजरी चोरों के सर कलम हुए हो जाने दो !
दुःख आए पर तू ना रो, आँख बंद करके सो,
दुःख के बादल हट जाएंगे, नयी चेतन भर जाएंगे,
देखो पूरब में हलचल नया सबेरा होने दो,
भ्रष्टाचारी गद्दारों पर कुदरत कहर बरपाने दो,
मंत्री-बाबू दहशत में उन्हें जेल अब जाने दो,
द्वार खड़े हैं यम के दूत बाँध इन्हें ले जाने दो !
पेट भर गया बाहर आगया अब पेट फट जाने दो,
डालर उठा गिरा रूपया मन मोहन जी को गाने दो !

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