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मजदूर, रिक्शा वाला, किसान हूं,
भारत माँ का ईमान हूँ,
हिन्दुस्तान की जान, तिरंगे की शान हूँ,
भूखा नंगा कुपोषण ग्रस्त नन्ना बच्चा
संस्कृति की पहिचान हूँ !
सैनिक बनकर देश की अखण्डता पर
जान लुटाता हूँ,
शासक प्रशासकों की रक्षा हेतु
स्वयं रक्त की बूँद गिराता हूँ !
ईंट सीमेंट लोहे से महल इमारत बनाता हूँ,
पर छत बिना रात सड़क पर सो जाता हूँ !
धरती का सीना चीर,
हल के फल से अन्न उगाता हूँ,
राजा, वजीर, धन पतियों को खिलाता हूँ,
स्वयं बच्चों सहित भूखा ही रह जाता हूँ !
किंग मेकर हूँ, कलर्क रेडी वाला, सेठ का मुनीम,
सड़कें साफ़ करता हूँ,
राजनेताओं, नौकरशाहों विशेष हस्तियों के द्वार पर
इनकी रक्षा पर स्वयं मरताहूँ,
अफराधियों आतंकवादियों को रक्षा कवच
जेल में भी पहिनाता हूँ,
इनको छींक भी आये डाक्टर बुलाता हूँ !
किंग बनाकर सता से दूर रहता हूँ,
भ्रष्ट राजनेताओं की उदरपूर्ति हो
टैक्स भरता हूं !
ये कल के आम आदमी आज ख़ास बन गए,
किसान की उपज को सडा गला कर
सस्ते दामों में गरीबों को बेच रहे हैं,
गरीबों का मसीहा बनकर वोट ले रहे हैं !
न्यायालय से पंगा लेकर
भ्रष्ट, कुकर्मी, हत्यारे सांसद, विधातकों को
ख़ास सुरक्षा की छतरी पकड़ा रहे हैं,
मैं सैनिक कल का आज भूत पूर्व सैनिक बन गया हूँ,
राजनेता नौकरशाहों के घोटालों में
कहीं नजर नहीं आ रहा हूँ,
मुझको अपनी पहिचान चाहिए,
मैं आम आदमी हूँ, मुझे सम्मान चाहिए !
अब मैं जग गया हूँ,
कर्मों पर लग गया हूँ,
चल पडा हूँ खुली सड़क पर
सीना तान कर,
मेरे बराबर कोई नहीं,यह मानकर !
मैं ही नेता मंत्री प्रधान मंत्री बनाता हूँ,
जीरो से हीरो और हीरो से जीरो तक गिराता हूँ !
ये ही मेरी पहिचान है !
मैं आम आदमी हूं, मुझे मान सम्मान चाहिए !
हरेन्द्र
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