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मूक, आँखों में आंसू

jagate raho
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बिहार में सन १९९६ ई0 में एक जलजला आया, जब लालू प्रसाद यादव ने बिहार का मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठे बैठे अकेले ९५० करोड़ का मवेशी चारा खाया और डकार भी नहीं लिया ! उस समय वे ४९ साल के नव जवान थे ! मवेशी बेचारे, गाय-बछड़े और बैल टुकुर टुकुर लालू जी के मुंह की तरफ ललचाई आँखों से देखते रहे, मुंह से बेचारे मूक, कुछ कह न पा रहे थे लेकिन अपनी वेदना आँखों में आंसू भर कर कह रहे थे ! लेकिन लालू जी को उनकी वेदना का अहसास नहीं हो रहा था, क्यों की केंद्र सरकार द्वारा अनुदान में दिया गया चारा उनके मन को भा रहा था ! बीबी बच्चों ने पूछा ” पति देव, पिता श्री, आज अकेले अकेले इतना सारा चारा स्वयं ही उड़ा रहे हो और डकार भी नहीं मार रहे हो, आखीर इसका कोई राज है क्या ? लालू बोले “चुप करो, तुम्हे भी खाना है तो नास्ते में इस केन्द्रीय सरकार द्वारा स्वादिष्ट मसालेदार चारा को मेरे साथ बिना शोर किये खाते जाओ ! अगर बदहजमी होती है, हज्मौला की भरी शी शी घर में मौजूद है, एक एक गोली ले लेना ! ये मत पूछो इतना स्वादिष्ट चारा अचानक कहाँ से आया, आम खाओ पेड़ मत गिनो” ! उन दिनों लालू जी के जन्म पत्री में राहू प्रवेश करने वाले थे ! अचानक सी बी आई की रेड पडी, उनके पेट का स्क्रीन किया गया वहां मवेशी चारा स्पष्ट नजर आया ! उन्हें जेल जाना पड़ा लेकिन अपनी सी एम की कुर्सी अपनी प्रिय पत्नी राबडी को पकड़ा कर ! जोड़ तोड़ करके उस समय तो वे अपनी जान बचाने में सफल होगये थे, लेकिन भूखे गाय बैलों की हाय उनका पीछा करती रही !२००४ में वे अपने २४ सांसदों के बल पर केंद्र में कांग्रेस सरकार में सामिल होकर रेल मंत्री बने और भारतीय रेल को अपनी विरासत बनाकर पांच साल तक चलाते रहे ! लेकिन विधि को तो कुछ और ही मंजूर था, अबके उनके ग्रह में राहू के साथ, केतू और शनि एक साथ प्रवेश कर गए ! २००९ में उनके बाड़े में केवल ४ सांसद ही शेष रह गए ! बाकियों की या तो जमानत जब्त हो गयी थी या वे जनता के प्रकोप से बचने के लिए पहले ही मैदान छोड़ कर भाग चुके थे ! अब केंद्र ने उन पर फिर अपना सीबीआई का चाबुक अजमाया, उन्होंने फिर केंद्र के साथ हाथ मिलाया और हर संकट में साथ निभाने का संकल्प दोहराया, लेकिन कांग्रेस सरकार भी हर कदम फूंक फूंकार रख रही थी, इस चारा घोटाला केस को मौके का हथियार बनाने के लिए जीवित रखे हुई थी ! बीच बीच में फाईल बाहर निकल आती थी, पंख फड फडाती थी, फिर पंख सिकोड़ कर वापिस बिल में बैठ जाती थी ! लालू जी अब मस्तराम बन कर जिन्दगी का मजा ले रहे थे और २०१४ में फिर संसद में आकर किंग मेकर बनने का स्वपन संजो रहे थे या स्वयं पी एम की कुर्सी पर बैठने का ख़्वाब देख रहे थे ! लेकिन आदमी सोचता कुछ और है, ईश्वर करता कुछ और है ! लालू जी के साथ वही हुआ जो होना चाहिए था ! वे कुर्सी पर तो नहीं बैठ पाए पर ३० सितम्बर २०१३ को झारखंड की राजधानी रांची जेल में जगह बनाकर एक नया रिकार्ड लालू प्रसाद यादव के नाम पर अंकित होगया ! अगले चंद दिनों में यह भी पता लग जाएगा की ६६ साल के लालू जी कितने साल जेल में रहेंगे ! घोटाले में सामिल बीबी और सुपुत्र इस केस को जनता के दरवार में ले जाने की चेतावनी दे रहे हैं और पिता को फंसाने की विपक्ष की चाल बता रहे हैं ! पत्नी पुत्र को क्या असलियत का पता नहीं है की जनता के फैसले ने ही लालू को जेल की काल कोठरी तक पहुंचाया है ! अब तो सांसद का तगमा भी उनसे छीन जाएगा और अगले ६ सालों तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे ! देखा स्वादिष्ट मसालेदार मूक पशु का चारा खाने की कीमत ! राज नेताओं, नौकरसाहो, भविष्य में सब कुछ खा लेना लेकिन मूक पशु चारा कभी न खाना ! इनके आंसू जब टपकते हैं तो पहाड़ भी पिघल जाते हैं ! हम उम्मीद करते हैं की सता में काविज केंद्र और राज्य के सताधिकारियो, इस हादसे को हमेशा याद रखना की ऊपर वाले के यहां देर तो जरूर है लेकिन अन्याय और अंधेर नहीं है ! हरेन्द्र रावत

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