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चलो मंगल पर चलें !

jagate raho
jagate raho
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तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं,
दिल करता है चला जाऊं यहाँ से,
चन्द्र मंगल में या शुक्र पर,
नजर आजाए धरती जहां से !
कही नेता हए बूढ़े प्रधान मंत्री न बन पाए,
गए थे चन्द्रमाँ पर वहाँ भी नम्बर न ले पाए,
बड़े भरकम तोंद वाले भी
हवा में उड़ते थे,
कुर्सी पर बैठने को
आपस में ही लड़ते थे !
मिले कुछ पीस पत्थर के
उन्हें जेबों में ले आये,
हीरे सी चमक उनकी
रिश्तेदारों को दिखलाए !
उम्मीद बंधी है अब उनको
मंगल कि टिकट काटी है,
तीसरे फ्रंट वाले सभी नेता
लिए हाथों में लाठी है !
झोले छाप नेता भी
हरी कोट में नजर आये,
रिश्वत कि कमाई साथ
जेबों में थे भर लाए !
पूछा उनसे मीडिया ने
क्यों मंगल में जाते हो,
यहाँ तुमको कमी क्या है ?
माल पुवा उड़ाते हो !
मायूस हो जबाब उनका
“सीबीआई पीछे पडी है,
काला धन की मुसीबत
भूत बन करके खड़ी है,
आशा कि एक किरण बाकी
मंगल में धन लगाऊंगा,
खेत खलियान बाग़ बगीचे,
नाम अपने कराउंगा !
स्वप्न हमारे पूरे होंगे,
रईसों में नाम आएगा,
बड़े बड़े राजनेता
चन्दा मांग ले जाएगा !
वहाँ न सीबीआई की रेड पड़ेगी
न आयकर विभाग सताएगा,
हमारी उम्र बढ़ेगी मंगल में,
यमदूत भी पहुँच न पाएगा !”
आशाराम भी सोच रहे हैं “काश
मैं दुष्कर्म न करता
मंगल में आश्रम बनाता
ले साथ अपनी कमाई सारी
राष लीला वहीं कराता” !

बैठे ठाली, मैं भी सोच रहा हूँ एक सीट अपनी मैं भी आरक्षित करवा लूं, पर टिकट बहुत मंहगी है, सोच सोच कर दिल बैठ रहा है, आम आदमी हूँ इसलिए अपने को बिलकुल असमर्थ पाता हूँ ! फिर भी आशा का छोर अभी भी पकड़े हुए हूँ, शायद भाग्य का कोई सितारा चमक जाय, छप्पर फाड़कर धन दौलत हाथ में आ जाय ! आजकल उन्नाव उत्तर प्रदेश में एक हजार टन दबे हुए सोने को बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार खुदाई करवा रही है, शायद भाग्य का सितारा यहीं रोशन हो जाय, क्यों न मैं भी दिवगंत राजा राम बक्श सिंह का रिश्तेदार बन जाऊं ! कह दूंगा “मैं स्वर्गीय राजा राम बक्श सिंह के फूफी के लडके कि दीदी का जेठ कि साली के ननद के भाई कि दीदी के ससुर के छोटे भाई की लड़की का ससुर लगता हूँ” ! आइडिया तो उत्तम है पर फलीभूत हो जाय तब न ! मेरे साथी जागरण जंक्शन सम्पादक मंडल, लेखक पाठक सभी से अनुरोध करता हूँ कि वे सभी मेरे इस अभियान को सफल होने कि कामना करें और मैं मंगल गरह में जाकर जागरण जंक्शन ब्लॉब में मंगल गरह का संविधान, इतिहास, भूगोल, सामाजिक शास्त्र, भाषा, विज्ञान, राजनीति, अर्थ व्यवस्था, सरकार का गठन पर लेख लिखता रहूँगा !
आज से ही सभी गरह नक्षत्रों को मनाने लगा हूँ “ब्रह्मा मुरारी इस्तपुरांत कारी, भानू, शशी, भूमि सुतो बुद्धस्य, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतू सर्वे गरह शांत करा भवन्तु ”
जय हिन्द -हरेन्द्र

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