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क्या आपने दिन के २४ घंटों में से कम से कम ३० मिनट अपनी सियत को दिये है ?
अगर आप स्वस्थ हैं तो आप मेंटली भी सक्षम है, किसी भी समस्या का समाधान बड़ी आसानी से कर सकते हैं ! हर कठनाइयों को सुगमता से पार कर सकते हैं ! आज के प्रदूषित वातावरण के कारण सरकारी अस्पतालों में मरीजों का तांता लगा रहता है ! बिस्तर नहीं हैं तो वार्ड में जमीन पर बोरी बिछा कर रात गुजारने को मरीज मजबूर हैं ! कही मरीज तो दूर दराज से आकर सरकारी अस्पतालों के बाहर सडकों के किनारे राते बिता रहे हैं, इस विश्वास और भरोशे के साथ कि भाग्य का छींका टूटेगा और किसी मरीज कि खटिया खाली मिल जाएगी ! प्राईवेट अस्पतालों में गरीब जा नहीं सकता क्यों कि वहाँ डाक्टर कि फीस, केवल नब्ज दिखाने की ही इतनी है कि एक मजदूर / गरीब आदमी पूरे दिन कठीन मेहनत करने पर भी इतना नहीं कमा पाता है ! फिर मलेरिया डेंगू बुखार या किसी भी बीमारी को क्या पता कि आप राजनेता, नेता, अभिनेता, खानदानी रईस या दिन भर पत्थर तोड़ने वाले मजदूर
हैं ! उसके सामने तो जो भी आएगा बीमार पड़ जाएगा ! देखा हाल ही में एक कांग्रेस के नगर पार्षद डेंगू के घेरे में आ गए थे, लेकिन दूसरे राजनेता, नेता, नौकरशाह इतने किस्मत वाले नहीं हैं कि उन्हें डेंगू नामक बीमारी का तगमा गले में डालने का अवसर मिल जाय और पूरा मीडिया उन्हें हीरो बनाकर डेंगू विशेषयज्ञ का हार पहिना दें ! उसकी नज़रों में तो सब बराबर हैं, फर्क डाक्टरों, नर्सों की नज़रों में होता है ! मच्छर, काकरोच भी बेशर्म, बेआबरू होकर गरीब की झोपड़ी में ही शिकार ढूँढता है,
हर सरकारी अस्पतालों में सबसे पहले ये सारे वीवीआईपी आरक्षित विशेष सुख सुविधाओं से लैस कमरों में चिकित्सा का लाभ उठाते हैं ! अगर ये निजी अस्पतालों से इलाज करवाते हैं तो मेडिकल ट्रीटमेंट बिल सरकारी खजाने से भुगतान होता है ! उन्हें अपनी सियत कि कोई चिंता नहीं रहती, सरकार जो बैठी है चिंता करने के लिए ! इस तरह गरीब आदमी को अपनी सियत के साथ ऐसे ही सौतेला व्यवहार होते हुए सबर कर लेना चाहिए और समय से पहले ही दुनिया से टिकट कटवा लेना चाहिए ? आजकल केंद्र सरकार के दिल में भी गरीबों के प्रति, देश के चार प्रदेशों में विधान सभा चुनावों को देखते हुए, प्रेम उमड़ आया है ! सोनिया जी और राहुल जी हर प्रदेश में जाकर अपनी सड़ी गली उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटते जा रहे हैं ! गरीबी हटाने का अजेंडा फिर से पेंडिंग ट्रे से उठाकर धूल झाड़कर उसे नया जामा पहिनाया जा रहा है ! कोई कांग्रेसी अपनी राजमाता और राजकुमार को सरकारी अस्पतालों के गेटों पर ले जाकर गरीबों के सैलाब को दिखाए, गरीब के बहते हुए गरम आँसुवों को हथेली पर लेकर उनकी अंर्तरात्मा कि चीत्कार को महसूश करवाए ! गरीब किसानों के कर्जे के बोझ तले रस्सी से लटके बेजवान शरीर को दिखाए, गरीबोंके सर्दी से ठिठुरते हुए नन्ने नन्ने नंग धडंग बच्चों को मजबूरी में कचरे खाने से सुबह सबेरे कचरा बीनते दिखाना चाहिए और उनकी मजबूरी को समझने का प्रयास करवाना चाहिए ! केवल नाकाम कामों को जनता के सामने गिना देने से जनता को नासमझ समझने की भूल अब न करें ! अगर करना है काला धन देश में ले आएं, तमाम भ्रष्टाचारियों को चाहे वह मंत्री हो या संतरी सबको जेल में बंद कर दें ! १९८४ दंगों के तमाम भारी भरकम क्रिमिनल मच्छलियों को क़ानून के शिकंजों में जकड दें, मंहगाई को कम कर दें, देश में सरकारी अनाज भारी मात्रा में बारीश में भीग कर सड़ रहा है, उसे सुरक्षित रखवाने का यत्न करें ! डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियों को रोकने का प्रयत्न करे ! देश में दलालों को क्रेता और विक्रेतावों के बीच में न आने दें ! सारे योग्य पढ़े लिखे या अनपढ़ नव जवानों को नौकरी दे कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने कि योजना बनाए ! देश से भाई भतीजावाद ख़त्म करें ! सता के गलियारे में परिवारवाद पर रोक लगा दें ! फिर जनता वोट देगी और खुश होकर देगी ! केवल यह कहने से गरीबी नहीं हटेगी कि “भाजपा गरीबों की शुभ चिंतक नहीं है ” ! कोई भी गरीब जनित फुव्वारा कब फूटता है जब चुनाव सर पर आजाता है, तभी सोनिया जी को, राहुल राज कुमार को, प्रधान मंत्री, क़ानून मंत्री, विदेश मंत्री, वित मंत्री जी को गरीबों की याद आती है ! ये गरीब इनको चुनाव जीतने पर क्यों नहीं याद आते ? इन साढ़े चार सालों में ये महान संस्कार वाले नेता गरीबों को लूटते हैं, फिर लुटे हुए धन में से आधा हिस्सा उनको देकर उन पर ऊपर से सरकारी अहसान और जोड़ देते हैं, अपनी पीठ स्वयम ठोक देते हैं ! ऊंचे मचानों पर खड़े होकर नकली रुमाल से जमीन पर नगे पाँव खड़े गरीब के आंसू पोछते हैं ! उनकी नब्ज टटोल कर उनके लिए हवाई किला बनाते हैं, सब्ज बाजार दिखाकर उन्हें ख्याली पुलावों का कम्बल, कोट उन्हें और उनके बच्चों को पहिनाते हैं, गरीबों की वोट लेने के लिए नया जाल बनाते हैं, या फिर तमाम कैबेनिट मंत्री और पार्टी के सभी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सचिव गांधी जी कि तरह लंगोट पहिन कर प्रण कर देते हैं कि “वे बदन पर शर्ट या अन्य वस्त्र तभी धारण करेंगे जब देश के सभी गरीबों के बदन कपड़ों से ढक देंगे और उनकी सारी वोट ले लेंगे ” !
देखा बेचारी सरकार पिछले सात दशकों से गरीबी हटाने का अथक प्रयत्न कर रही है, कितना जोर लगा रही है, पशीने बहा रही है, फिकर करते करते स्वयम लाल टमाटर बन रही है ! लेकिन गरीबी है घटती नहीं, बढती ही जा रही है और नेता, शासक, प्रशासक इसी उधेड़ बुन में हजार पति से करोड़ पति और करोड़ पति से अरब पति बन रहे हैं ! कल झोलाछाप थे आज वीवीआईपी का मुखौटा पहिन कर गली गली अलक जगा रहे हैं, झोली फैला कर वोट मांग रहे हैं ! “ना मांगू मैं सोना चांदी मांगू वोटें तेरी सारी, सचिन का मैं बैट उठाके बन जाऊं मैं वोट हजारी” ! लेकिन झूठे वादों की हांडी चौराहों पर जाकर फूटती है ! भय्या अब इन तिलों में तेल नहीं रहा, गरीबों का वोट तो गया गया ! हरेन्द्र
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