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मैं कौन हूँ ?

jagate raho
jagate raho
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उनहोंने मुझे पूछा “मैं कौन हूँ,
क्या है मेरी लियाकत,
कहाँ प्लेटफार्म है,
मेरा घर दर कहाँ है,
कुछ तो बता मैं क्यों मौन हूँ ? ?”
मैं क्या बताऊँ कि मैं आदमी आम हूँ,
सडकों पे लगा जाम हूँ,
संत आसाराम की शाम हूँ,
नेताओं के भ्रष्टाचार का ईनाम हूँ,
संत का चोला पहिने शैतान की अम्मा
दुराचारियों का धाम हूँ,
मैं आदमी आम हूँ १
रामायण का राम,
महाभारत का घनश्याम,
यही है मेरी असली पहिचान !
समय के झोंको से मैं भी बदल गया हूँ,
एस पी छोड़ कांग्रेस में आगया हूँ,
यारों यहाँ गेहूं चावल सड़ा कर
गरीबों में बाँट रहा हूँ,
उसमें मिला सोना चांदी अपने लिए छांट रहा हूँ !
अब मेरे पाँचों उंगलियां घी में सर कड़ाई में है,
काम कैसे भी हो नाम बड़ाई में है !
घोटालेवाज राज नेताओं का राज हूँ,
अफ़राधियों के पाप तले
डूबने वाला जहाज हूँ,
क्लबों में चलने वाला
अश्लीलता की धून बजने वाला साज हूँ,
रईसों का सौ साल
गरीब का आज हूँ,
निर्बल की सिसकारी
भूखे की आवाज हूँ,
शरीफ कि लाज हूँ,
बेशर्मों का ताज हूँ ,
मंहगाई की रस्सी
बढता हुआ दाम हूँ
मैं आदमी आम हूँ !
मैं आया राम गया राम नहीं हूँ,
टिकट नहीं मिला
भगोड़ा बनाया गया हूँ,
अरे भई भ्रष्ट तो पहले भी था
असल में मैं नया नहीं हूँ,
टिकट नहीं मिलेगा पार्टी बदलूंगा,
मैं तो डूबा पड़ा हूँ
तुम्हे भी डुबाऊँगा,
टिकट की फांस बनकर के
गले तेरे फसाऊंगा,
मैं तो आदमी आम हूँ
आम ही रहूँगा,
तुम्हारी सफ़ेद शर्ट
को भी दागी कहूंगा,
ना खाया न खिलाया किसी ने
दुष्कर्मों से सदा बचता रहूँगा,
चुनाओं का बिगुल तो बज चुका है,
वोट का लुफ्त उठाता रहूँगा !
फिर भी गरीब की पहिचान,
दुर्जनों की शाम हूँ,
भय्या वोट देते वक्त याद रखना
मैं आदमी आम हूँ !” हरेन्द्र रावत

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