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चुनावों में पारदर्शिता

jagate raho
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२०१३ के चार विधान सभा के चुनावों में चुनाव आयुक्त की भूमिका सराहनीय रही है ! देश की जनता को उनहोंने इन चुनावों के जरीये यह सन्देश भी दे दिया है कि केवल धन और बल पर चुनाव नहीं जीते जाते ! कांग्रेस का भेद भी खुल गया कि अभी तक वे किस तरह चुनाव जीतते थे ! लेकिन अब के पहली बार चुनाव आयुक्त ने चुनावों में सलग्न हरेक प्रत्यासी की हर हरकत पर पैनी नजर रखी ! सीमाओं पर करोड़ों रुपये पकड़े गए, मंहगी मंहगी शराब की बोतले पकड़ी गयी ! बहुत सारे हथियार पकड़े गए ! आखीर कौन लोग थे जो मतदातावों को खरीदना चाहते थे ? उन्हें डरा धमका कर, हथियार और मसलें दिखाकर मतदाता से साम दाम दंड भेद द्वारा वोट लिए जाते थे और पांच साल तक भ्रष्टाचारी प्रदेश और केंद्र पर काविज हो जाते थे ! २०१३ का चुनाव पिछले गुनाहों से पर्दा उठाने का भी काम कर रहा है ! इस खुलासे से तो एक बात समझ में आगई कि भ्रष्टाचारी, जमाखोर, दुष्कर्मी, अफ़राधी जेल में रहते हुए भी चुनाव कैसे जीत जाते थे ! झुगी झोपड़ी और गरीबों की याद इन राज नेताओं को तभी आती है जब चुनाव सर पर आ जाते हैं !
जनता ने आम आदमी पार्टी और भाजपा को सता के नजदीक पहुंचा कर कांग्रेस की परिवार वाद के रथ को रोक लिया है ! जनता जाग गयी है ! इस चुनाव में तमाम नेता राजनेताओं के लाडले हारे ही नहीं बल्की जमानत भी गँवा चुके हैं ! असल में कुछ पोलिंग स्टेशनों को छोड़ कर बाकी सभी पोलिंग स्टेशनों में जंग केवल भाजपा और आम आदमी की पार्टी के बीच थी ! २०१४ का टेलर मात्र था यह चुनाव !
चुनावों के नतीजों से कांग्रेसी इतने बौखला गए कि उन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि इस हार का ठीकरा किस के सर पर फोड़ें ! पूरी जिम्मेदारी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कन्धों पर थी, लेकिन चापलूस अपनी परम्पराओं का निर्वाह करते हुए उन का दोष अपने सिरों पर ले रहे हैं ! राजमाता और राजकुमार को इस करारी हार का जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते ! सलमान खुर्शीद को अचानक याद आया जनता का ध्यान बंटाने का, उसने यह कह कर कि “सोनिया जी राहुल की माँ हैं, मेरी माँ हैं तथा सारे देश की माँ हैं “, एक नया विवाद खड़ा कर दिया है ! क्यों सलमान जी सोनिया जी ने आपके अफ़राधों को ढकते हुए, ऐवज में प्रोमोट करके विदेश मंत्री का ताज पहिना दिया, तो आपकी माँ तो हुई पर देश की नहीं ! कांग्रेस अपने गुनाहों को ढकने के लिए केजरीवाल को बिना शर्त समर्थन देना चाहती है ! भाजपा भी चाहती है कि केजरीवाल दिल्ली की गद्दी सम्भाले और अपनी योग्यता का प्रमाण दें !
उधर केजरीवाल जी भी कोई कच्ची गोली खेल कर राजनीति में नहीं आये ! उनहोंने कांग्रेस और भाजपा के प्रधानों को चिट्ठी लिखकर उनके ऊपर अपनी शर्तें लाद दी हैं ! केजरीवाल जी ने मुद्दों पर चुनाव लड़ा है, इसलिए वे चाहते हैं कि कांग्रेस जहां आज बिना शर्त समर्थन आज दे रही है, कल क्या वे उन तमाम भ्रष्टाचारी नेताओं को जेल भेजने के लिए सरकार का समर्थन करेगी, क्या कल भाजपा और कांग्रेस दिल्ली के पानी माफिया, रेत बजरी माफिया, बिजली कंपनियों की अनियमितताओं, दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा, लाल बत्ती पर रोक, लोकपाल बिल, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा और बहुत सारी समस्याएँ जिनके कारण दिल्ली की जनता त्रस्त है उनके निराकरण के लिए केजरीवाल सरकार का साथ देंगी ? कांग्रेस ने तो इन शर्तों को मानने से इंकार कर दिया ! क्योंकि शीला दीक्षित के १५ साल के राज में हर स्तर पर पाले हुए भ्रष्टाचारी सांप अपनी जीब लपलपाए हर कोने में बिलों से बाहर निकल आएं हैं !
आम आदमी पार्टी चाहती है कि इन तमाम साँपों का जड़ मूल समाप्त किया जाय लेकिन कांग्रेस हिचकिचा रही है ! कहीं कहीं भाजपा के मच्छर भिन्न भीना रहे हैं ! इन मच्छरों और साँपों का सम्बन्ध राजनीति की बड़ी बड़ी मछलियों से हैं ! इसका पर्दा फास करना चाहती है आम आदमी पार्टी !
हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में सम लैंगिक सम्बन्ध को अफ़राधों की श्रेणी में रख कर भारत की सांस्कतिक विरासत की रक्षा करके एक नया इतिहास रचा है, लेकिन कांग्रे की प्रमुख, सोनिया जी, पी चिदंरम, कपिल सिब्बल और राहुल गांधी इन सम्बन्धों को जायज करार देते हैं और सुप्रीम कोर्ट में रिब्यू पेटीशन देना चाहते हैं ! क्या जनता इनका समर्थन करेगी ?
आशाराम संत के भगवे रंग में रंग कर अपने ही चेलों की कम उम्र की बेटियों के साथ बलात्कार करके संत समाज को कलंकित करने वाला समाज का गुनाहगार आज जेल की काली कोठरी में बैठकर रो रहा है ! अपने बेटे को भी नापाक शिक्षा देकर उसे भी जेल की
कोठरी का स्वाद चखा रहा है ! वहीं दूसरी तरफ सुप्रीमकोर्ट के भूत पूर्व जज महोदय ए के गांगुली के कुकर्म उजागर हुए हैं ! अपने ही मातहत सेवारत लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए अपने पद और कुर्सी का नाजायज फैयदा उठा रहा था ! ये महामहीम शैतान आज पश्चिमी बंगाल प्रदेश के मानव अधिकार आयोग के प्रमुख हैं ! इतनी ऊंची पोस्ट पर होते हुए ऐसे कलंक के बोझ तले जी रहा ये शक्स अभी भी कुर्सी पर चिपके हुए है ! क्या ऐसे दुर्जन मानव अधिकारों की रक्षा करेंगे ? नहीं ! ये केवल टेलर है, फ़िल्मी तो अभी बाकी है – हाथी मेरे साथी ! आशा की एक किरण अभी भी बाकी है ! जय हिन्द – हरेन्द्र

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