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सड़क पर जो पत्थर तोड़े,
चोट लगे फिर भी ना बोले,
भूखा पेट पशीना तर,
पत्थर तोड़े रोज हर पल,
बच्चा भूख से चिलाता,
दूध उसे नहीं दे पाता,
बिल्डींग ये महल बनाता,
रेत सीमेंट बालू मिलाता,
जोड़ तोड़ ईंटे बिठाता,
लोहां सीमेंट चुना रोड़ी,
लोहे की सरिया मोड़ी,
भवन बनाया आलीशान,
इसके आया न काम,
बच्चे धूप मिट्टी में खेले,
खाली पेट कपडे हैं मैले,
राते सड़क किनारे बीते,
मेहनत भारी हाथ हैं रीते,
ये है वो आम आदमी ! १ !
दिन भर रिक्शा चलाता,
जो है किराए पर लाता,
भूख प्यास अपनी भूलाता,
पुलिस को भी है कुछ दे आता,
१२ गज की झोपड़ी में
परिवार सहित रह जाता !
सर्दी जुकाम बुखार में भी
ये रिक्शा चलाता !
करता काम वो रात और दिन,
कभी मिल जाता सड़क पे जिन,
पूरी रात वो इसे घूमाता,
मजदूरी उससे नहीं ले पाता !
मंहगाई ने कमर तोड़ दी
बच्चों को दूध नहीं पिलाता !
कभी मिल जाती सुखी रोटी
कभी भूखा सो जाता !
एमसीडी, पुलिस सिपाही,
नेता पड़ जाता भारी,
इन सबका बोझ ढ़ोता,
है ये उसकी लाचारी !
बड़ा काम छोटी आमदनी,
ये है वो आम आदमी ! २ !
वो खड़ा है रेडी वाला,
कोई बेचे सब्जी फल और
कोई फूलों की माला,
कार्पोरेशन वाले आते,
सब्जी फल सारे ले जाते,
सड़क है सरकारी,
बिना लाइसेंस ठेला लगाया,
अगले दिन डंडा मार
पुलिस सिपाही ने भगाया !
दिल्ली में जब से आये,
दिन बदहाली में बीते,
दिन भर मेहनत करते
लेकिन हाथ हैं रीते !
ये है वो आम आदमी ! ३ !
माली, लुहार, बढ़ई,
सफाई कर्मचारी,
क्लर्क दफ्तरी, छोटे किसान,
कठिन मेहनत छोटा ईनाम,
इन सबने मिलकर बनाई
‘आम आदमी पार्टी’,
जिसके प्रमुख केजरीवाल,
दिल्ली के मुख्य मंत्री
सर पर अब इनके ताज !
इनमें वकील हैं, इंजिनियर,
पत्रकार,
विधायक बन गए,
कल तक थे बेकार !
अब बिजली-पानी मिलेगा,
बिल होगा कम,
स्कूल अस्पताल खुलेंगे,
स्वस्थ होंगे हम,
नौकरी मिलेगी, बेकारी हटेगी,
नारी सुरक्षित होंगी,
ये सब जेल में होंगे
भ्रष्ट, अफ़राधी, ढोंगी !
ये सरकार अब अपनी है,
और हम हैं आम आदमी !
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