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वाह क्या बात है !

jagate raho
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खीर खाए बामणी फांसी चढ़े शेख,
जो तमासा कहीं न देखा यहाँ आकर देख !
उत्तर भारत की चार प्रदेशों की विधान सभाओं का रिजल्ट आया, तीन प्रदेशों में तो कांग्रेस का जीर्ण शीर्ण जंक खाया जहाज पूरी तरह से डूब गया ! हाँ दिल्ली में भी कांग्रेस ४० सीटें गवा कर ८ ले पाया ! इनके मुख्य मंत्री रानी साहेबा जिसने लगातार दिल्ली के तख़्त पर १५ सालों तक अविरल जल तरंगों के साथ जिंदगी का लुफ्त लेते हुए राज किया, अपने को देव राज इंद्र से किसी भी तरह कम नहीं समझा, एक नव सिखवे के हाथों बुरी तरह पराजित होकर धरासाही होगई ! इस अप्रयासित हार को वे अभी भी दिल से स्वीकार नहीं कर पा रही हैं ! यदयपि वे आज ऐसे कगार पर खड़ी हैं जहां पर लोग अपने को सच्चे मन से भगवान् को सौंप देते हैं, या फिर जीवन भर की असीमित कमाई पर अजगर बनकर उसे काली नज़रों से बचाने का प्रत्न करते हैं ! ऐसा धन अमूमन अपनी कमाई का तो होता नहीं है इसलिए इस पर कही तरह के लोगों की लालची गिद्ध दृष्टि लगी रहती है ! अपराह निरोधक शाखा के ओग, आय कर विभाग के लोग, नाते रिश्तेदार, नौकर, रसोइए, गार्ड जिनको खजाने के बारे में पूरी जानकारी रहती है ! जार जोरू और जमीन हमेशा से इंसान का दुश्मन रहा है ! दुश्मनी की सीमा दो अंगुल बढ़ जाती है जब धन भ्रष्ट तरीकों से जमा किया गया हो ! ये इसके लिए अभी तक तैयार नहीं थीं, एक ऐसा आदमी जिस पर कल तक सता पर काविज हर कोई हँसता था, उसकी योग्यता पर उंगली उठाता था, जिसको बार बार परेशान किया गया था, वही इनकी कुर्सी छीन गया ! वाह ! विधाता का दरवार जहां सच्चे इंसानों को न्याय मिलता है ! दोनों प्रदेशों के साथ साथ दिल्ली और राजस्थान कांग्रेस की मुट्ठी से निकल कर आप और भाजपा की जेबों में चला गया, कारण; राहुल गांधी को नायक बनाकर चारों प्रदेशों के चुनावों में कार्य कर्ताओं को सही दिशा निर्देश देने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी ताकी २०१४ के संसदीय चुनावों से पहले राहुल बाबा को कांग्रेस पार्टी उन्हें देश का भावी प्रधान मंत्री प्रोजेक्ट कर सके ! राहुल बाबा ने प्रदेशों की जनता को, मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया, अपनी मम्मी के आँसुवों के बारे में बार बार हर रैली में जीकर किया ! इन आँसुवों की आड़ में राहुल बाबा मतदातावों की संवेदनाएं बटोरना चाहता था ! लेकिन इस बार ये हथ कंडे काम नहीं आए, केंद्रीय सरकार में बहुत से मंत्री भ्रष्टाचार के दल दल में फंसे पड़े हैं, मतदाता अब भ्रष्ट राजनीतिज्ञों से छुटकारा चाहती है ! और राहुल बाबा अपनी साख भी नहीं बचा पाए ! जहाँ जहां वे रैली को सम्बोधित करने गए वहीं से श्रोता गण उठ उठ कर पंडाल खाली करते गए ! और हार का जिम्मा बने उनके नायब, आगे पीछे घूमने वाले चम्चे ! खीर किसी ने खाई फांसी लगी किसी और को, वाह रे कांग्रेसियों की न्याय व्यवस्था !!

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