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कभी झोला डाले सड़क नाप रहे थे,
पसीने से लत पत बेचारे काँप रहे थे !
जनता ने उठाया नेता मंत्री बनाया,
उनकी लाईफ लाईन से धुंध मिटाया,
नेता बने मंत्री बने खुदा बन गए,
कुर्सी मिली जनता से जुदा हो गए,
पांच साल तक रिश्वत खाई,
दी बच्चों को शुद्ध दूध, घी मलाई,
बजट सरकार का घाटे में गया,
खुलते गए घोटाले नित नया नया,
जनता ने मत रूपी माउस चलाया,
भ्रष्टों को उनकी औकात दिखाया !
सरकार बदली आया केजरीवाल,
मंत्री सारे सड़क पर हैं फटे हाल,
उधर बज रहे ढोल और सहनाइयां,
भ्रष्ट नेता जेल में हाथों में हथकड़ियां,
ऊपर वाले का डंडा है बहुत बलवान,
आवाज करता नहीं ले लेता जान !
गरीब के दिल से निकली बद दुआ,
दिल्ली की रानी बता क्या हुआ ?
क्यों गुब्बारे में हवा ज्यादा भरी,
कालीन गया बिछ गयी अब दरी !
धूल में पड़े अब स्वप्न देखो,
चन्द्र मंगल की टिकटें ले लो,
मंगल में नयी बस्ती बसाओ,
भ्रष्ट, लुटेरों को वहीं ले के जाओ ! हरेन्द्र
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