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रक्त बहुत गिर गया
अब समर्थन चाहिए,
कुंद पडी व्यवस्था
अब बदलनी चाहिए !
हर गुफा में भेड़िए हैं,
ये निकलने चाहिए,
निर्धन के आंसू गिरे,
दुर्जन पिघलने चाहिए !
नर भक्षी भालू चीते
इन्हे अब ले जाइए !
नव वर्ष के गण तंत्र को
नया क्रर दिखलाइए,
दाग जिसकी नाक पर है,
नाक ही कट कीजिए,
देव भूमि है ये भारत,
राम को ही दीजिए !
राम कृष्ण की धरा पर
राम राज्य ले आइए,
भ्रष्टाचार अपराध रेप
से निजाद फिर पाइए !
शान है तिरंगे कि
ये निखरनी चाहिए !
हाथ जो इसको लगे.
वो हाथ बदलने चाहिए!
हर धनपति के धन से
कुछ धन निकलना चाहिए,
निर्धन की बस्ती में
ये जा बरसना चाहिए !
त्रस्त है जनता यहाँ कि
लूट का व्यापार है,
मतदाता घिसता सड़क पर,
नेता के घर कार है !
जनता तो है अभी तक
अपनी ही पत्नी का पति,
सड़क छाप ये विधायक
कैसे बना है करोड़पति !
इस प्रश्न का जबाब अब
जनता को मिलना चाहिए,
निस्वार्थ, ईमानदार को
शासक बनाना चाहिए,
कोमल विशाल दिल हो
हिम शिखर सा सिर हो,
चौड़ा माथा बुलंद आवाज,
चाल जैसे हो गजराज,
ऐसे ही सिर पर अब
ताज रखना चाहिए,
रक्त बहुत गिर गया है,
अब समर्थन चाहिए ! हरेन्द्र
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