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अगर आज नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ज़िंदा होते तो २३ जनवरी २०१४ को वे ११७ साल के हो जाते ! वे आज नहीं हैं फिर भी हर भारतवासी के दिलों में उनकी आत्मा बसी हुई है ! उनका त्याग, उनकी कुर्वानी, उनकी दिलेरी, उनका देश प्रेम किसी से छिपा नहीं है ! देश की आजादी में महात्मा गांधी सबसे अग्रज हैं लेकिन नेताजी की तपस्या और त्याग भी महात्मा जी से कम नहीं था ! उनका जयहिंद का नारा और “मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का मूल मन्त्र आज भी हर देश भक्त की जवान पर तैर रहा है, आज भी यह मन्त्र उतना ही कारगर है जितना १९४२-४५ में था ! सन १९४२ से १९४५ के बीच कुछ सता के लालचियों ने नेता जी को अपने रास्ते से हटाने के लिए उन्हें एक साजिस के तहत सदा के लिए हटा दिया ! उन्हें हवाई जहाज की दुर्घटना में मृत घोषित कर दिया गया ! यह झूठ किसी भी देश भक्त भारतवासी के गले नहीं उतरा, बार बार सरकार पर दबाव बना रहा कि उनकी मृत्यु की सचाई को सरकार सामने लाएं ! लेकिन बार बार जांच कमीशन बिठाया जाता, सच्चाई को दरकिनार करके लीपा पोती की जाती है और बिना किसी निर्णय पर पहुंचे फाईल बंद कर दी जाती है ! उनके ११७ वें जन्म दिन पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है, शुभ कामनाएं दे रहा है ! यदपि वे स्वतन्त्र भारत के उगते हुए सूरज को नहीं देख पाए, फिर भी हमें यकीन है वे आसमान में तारामंडल के बीच में सबसे चमकीले सितारे बनकर भारत को निहार रहे हैं, और हल्की हल्की बुँदे गिरा कर देशवासियों के स्नेह को आत्मसात कर रहे हैं ! जब तक नील गगन में चाँद और सूरज रहेगा, नेताजी सुभाष चन्द्र वैसे ही अमर रहेंगा !
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