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६५ वां गणतंत्र दिवस ये भेज रहा सन्देश,
देश भक्तों के दिलों में बसा है भारत देश,
बसा है भारत देश जागरण जंगशन को पैगाम,
लाल किले पर तिरंगे को शीश झुका कर प्रणाम,
कहे रावत कवि राय सता के चेहरे बदल रहे हैं.
कल मैडम के हाथ बांसुरी आज अरविन्द बजा रहे हैं !
तिरंगा ऊपर हम नीचे, मुंह में राष्टीय गान,
तिरंगे से ही विश्व में भारत की पहचान !
भारत की पहचान लहर लहर लहराता है,
गणतंत्र की शुभ बेला पर शांती सन्देश सुनाता है !
हम सब मिलकर दिल्ली में गणतंत्र दिवस मना रहे हैं,
आप विधायक विधान सभा में विन्नी को ही भगा रहे हैं !
झाड़ू लगाते लगाते देखो आम बन गए ख़ास,
कुर्सी सी एम की पकड़ी फिर भी भये उदास,
फिर भी भये उदास सडकों पे रात गुजारे,i
मुख्य मंत्री केजरीवाल सच मुच बड़े निराले,
कहे रावत कविराय ये झाड़ू काम न आया,
मुख्य मंत्री ने सड़क पर दफ्तर अपना सजाया !
उम्मीदों के पहाड़ पर चढ़े थे केजरीवाल,
बिजली पानी मुफ्त मिलेगा दिल्ली को हर साल,
दिल्ली को हर साल, सुरक्षित रहेंगी नारी,
आप के क़ानून मंत्री ने सारी बात बिगाड़ी,
धरना, दरवार सी एम का देखो काम न आया,
शिकायतों के पर्वत से आम सरकार घबराया !
मुगलगार्डन घूमने गए थे केजरीवाल,
चेहरे से मफ्फलर लिपटा टोपी ढके थे बाल,
टोपी ढके थे बाल, पैंट थी इंग्लिस्थान की,
सीएम हैं दिल्ली के राजधानी हिंदुस्तान की !
कहे रावत कविराय आप पार्टी सता संभाले हैं,
बहुत जल्दी दिल्ली की तकदीर बदलने वाले हैं ! हरेन्द्र
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