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भया योगा करो !

jagate raho
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<img src="http://store.sahithyabharathi.com/image/cache/data/cd%20and%20dvd/yog%20science%20pranayam-500×500.jpg" alt=""
उठो सबेरे पार्क में आओ,
हल्की हल्की दौड़ लगाओ,
जिस्म में ऊर्जा आएगी,
कुदरत भी मुस्काएगी !
आसन बिछा योगा करो,
रोग दुश्मन से ना डरो,
देख तुम्हारी योग साधना,
रोग निकट नहीं आएगा,
अगर आगया गलती से,
फिर ज़िंदा बच नहीं पाएगा !
सबसे पहले सूर्य नमस्कार,
सूर्य के बारह नाम,
जिस्म के बारह हिस्सों में
ये करता अपना काम !
गरुड़ आसन है गरुड़ समान,
कमर मजबूत बनाता है,
घुटनो में अगर दर्द है,
रामवाण बन जाता है,
त्रिकोण आसन त्रिकोण बनो,
पसली अपनी मजबूत करो,
जिगर, गुर्दे पैक्रीज,
आतों में नया जोश भरो !
कमर चक्रासन बड़ा निराला,
अतिरिक्त चर्बी घटाता है,
शायटिका नाड़ी ऊर्जा पाकर
इसका दर्द मिटाता है !
जानुशिरासन, पश्चिमोत्तासन
ये पीछे नहीं रहते हैं,
रीढ़ पीठ पिंडलियाँ घुटने,
सदा पुष्ट ही रहते हैं !
वायु, योंन विकार हो कोई,
मूत्र अवरोध की वाधा,
मधुमय, वीर्य सबंधी रोग,
रह जाते हैं आधा !
शरीर सुगठित
जठराग्नि तेज होती है,
बवासीर, नजला जुकाम
फिर कभी नहीं होती हैं !
आओ अब विश्राम करें,
करें अब सवासन,
अगला आसन कल करेंगे,
शुरू गोमुखासन !!हरेन्द्र – ०५/०२/2014

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