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मैं तुम्हे पुकारता तुम मुझे पुकार लो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो !
कदम कदम तोलकर, मुंह में मिश्री घोल कर,
इन हसीन वादियों में अपना दिल खोल कर,
कोयल से मीठी जुवान सीखलो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो ! १ !
विखरा ये जहां है, खुला आसमान है,
गगन को छू रहा पर्वत महान है,
ऐवरेस्ट के ताज को तुम सलाम दो,
अपना हाथ दो मुझे अपना हाथ थाम लो ! २ !
नन्नी नन्नी चिड़ियों की मीठी बोलियां,
संग संग उड़ती हुई हंसों की टोलियां,
काले काले बादलों में चम चमाती बिजलियाँ,
बादलों में छिप रहे चाँद को पहचान लो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो ! ३ !
पेड़ों के पत्ते ये क्यों हिल रहे,
भंवरे फूलों से क्यों मिल रहे ?
गुलशन के फूलों में हलचल मची क्यों,
हसींन हलचल को नैनों बसा लो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो ! ४ !
नदियों का संगम प्रयाग बन गया,
देवों के देव यहाँ आके बस गया,
भक्तों की भीड़ बड़ी,
भीड़ को सम्भाल लो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो ! ५ !
झरनों की झन झन में सूरज की किरणे,
दौड़ दौड़ आ रही प्यासी ये हिरणें,
कुदरत के रूप को सर्दी की धूप को,
यादों की चादर में बांध लो,
अपना हाथ दो मुझे मेरा हाथ थाम लो,
मेरा हाथ थाम लो ! ६ ! हरेन्द्र
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