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लोक सभा के चुनाव जब बिलकुल कांग्रेसियों का दरवाजा खटखटाने लगा तो सोनिए जी राहुल, प्रियंका, पी एम वित्त मंत्री सारे जग गए ! उनको याद आगई फौजियों की, पूर्व सैनिकों की, गरीबों की ! राहुल ने पहली बार एक अच्छी बात कही कि चुनावों में किसी मंत्री नेता के लड़के को पार्टी टिकेट नहीं दिया जाना चाहिए ! कांग्रेसी नेताओं का गुस्सा फूट पड़ा वे भूल गए कि राहुल गांधी सोनिए जी के सुपुत्र हैं और पार्टी के डिपुटी हैं ! वे डिपुटी बनते ही काफी पावरफुल हो गए हैं ! उनके मुंह से निकले शब्द पार्टी सदस्यों के लिए दिशा निर्देशन हैं ! वे जब भी किसी मीडिया में इंटरव्यू देने जाते हैं तो उनकी पार्टी की जानी मानी हस्तियां उनको गाइड करने के लिए पीछे लाम बंद होती हैं ! कमाल की बात कि भूतपूर्व सैनिकों की एक रैंक एक पेंशन की मांग पिछले २८ सालॉ से कांग्रेसी सरकार की पेंडिंग ट्रे में धूल से पडी थी, जब राजीव गांधी देश के प्रधान मंत्री थे तभी से यह मांग सरकार के पास जा चुकी थी ! ९१ से ९६ तक मन मोहन सिंह जी देश के वित्त मंत्री रहे, यह डिमांड इनकी फाईल में करवट बदलती रही, फिर मन मोहन जी २००४ से २०१४ तक प्रधान मंत्री की कुर्सी पर विराजमान रहे, तब तक इस फाईल पर काफी धूल पड़ चुकी थी, लेकिन जब कांग्रेसियों ने मोदी के नव निर्मित जहाजी बेड़े को आते देखा तो इनको अपने पुराने जंक खाए जहाज की याद आई ! इन दस सालों में सारे राजनेताओं का ध्यान केवल काला धन जमाखोरी. भ्रष्टाचार, सरकारी खजाने पर सीना जोरी के खेल पर केंद्रित रहा ! ये भ्रष्टाचार के धन की चका चौंध में भूल गए थे गरीबों को, भूल गए थे सीमा के रखवालों को, भूल गए थे एक रैंक एक पेंशन को ! जैसे ही चुनाव का बिगुल बजा, मंत्रियों की नींद खुली, “अरे बहुत देर हो चुकी है, जल्दी जल्दी गोदामों में पड़ा सड़ा गला गेंहूं चावल सस्ते दामों में गरीबों को बंटवाया दो ! अल्प संख्यकों को आरक्षण की याद आगई ! अब तो आलम यह है कि नेता ऐलान कर रहे हैं कि , “हम गरीबों के आंसू पोंछने वाले रुमाल हैं, हम सैनिकों पूर्व सैनिकों के शुभ चिंतक हैं, हम अल्प संख्यकों के रोजी रोटी का ध्यान रखने वाले मात्र पार्टी के सिफालासार हैं ! अब के हमें फिर से मौक़ा देदो अपना कीमती वोट उठे हुए हाथ को देदो, हम आप लोगों की सारी परेशानियां दूर कर देंगे” ! उधर अन्ना हजारे ममता बनर्जी को भारत के प्रधान मंत्री बनाना चाहते हैं ! ये ममता जी वही नारी हैं जो पहले कांग्रेस में थी, पार्टी छोड़ी अपनी अलग पार्टी बनाई, अटल जी की सरकार में रेल मंत्री रही ! फिर यूपीए की सरकार में आगई, रेल मंत्री बनी फिर वेस्ट बंगाल की मुख्य मंत्री बनी ! जिधर भी तराजू का पलड़ा भारी रहा वे उधर ही जाकर बैठी हैं ! जो राजनीति से सदा दूर रह कर सर पर समाज सुधारक के ताज से सम्मान पाते रहे वे आज ममता जी को अपना समर्थन दे रहे हैं, बात समझ नहीं आई !
तीसरा फरंट
ये तीसरा फरंट पहली बार १९७७ में भारी बहुमत से केंद्र तथा प्रदेशों में भी सरकार बना चुका है ! झगड़ा हुआ प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठने पर ! चरणसिंह जी ने मोरारजी देसाई की सरकार गिराई, १९८० में इंद्रा जी फिर सता पर काविज होगई ! १९८९ में दूबारा ये तीसरा फरंट सता के गलियारे तक पहुंचा नतीजा वही प्रधान मंत्री की कुर्सी की छीना झपटी, चन्द्र शेखर ने इस बार बात बिगाड़ी वी पी सिंह की कुर्सी खींच कर ! दो साल बाद ही सरकार गिर गयी ! ९६ से ९८ तक इस तीसरे फरंट का वही बेहाल हुआ ! लेकिन जो बेचारे किस्मत के मारे भारत के प्रधान मंत्री का ख़्वाब देखते देखते बुढ़वा रहे थे उनको आख़िरी मौक़ा तो मिला ! मौक़ा मिला ! अब के मुलायमसिंह, मायावती, करूणानिधि, जय ललिता, ममता वनर्जी, नीतीश कुमार और बहुत से बूढ़े नेता जो अपनी शाँसो की आख़िरी मंजिल पर जा चुकें हैं ! मेरे विचार में जनता अब के इनके बहकावे नहीं आएगी ! फिर मजे की बात यह भी है कि इन की सफ़ेद शर्त अब सफ़ेद नहीं है !
मई में हो जाएगा आइसला भ्रष्ट और भद्र का ! जय हिन्द, जय भारत हरेन्द्र
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