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नेताओं की भाषा

jagate raho
jagate raho
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अभी हाल ही में भारत के विदेश मंत्री के मुखार बिन्द से मोदी जी के लिए जिन अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया, उस से मोदी जी की सियत पर तो कोई फर्क नहीं पड़ा पर कांगेसी विपक्षी नेता मोदी जी के खौफ से कितने भयभीत हैं, ये उनके अनापसनाप बयान से साफ़ झलक रहा है ! क्या इन नेताओं ने जनता को निरा मूर्खानंद समझ रखा है, वे मोदी जी को नपुंसक कहेंगे और जनता इनकी डूबती हुई जंक खाई हुई नाव को डूबने से बचाने आ जाएगी ? नहीं वे दिन अब लद गए जब कांग्रेस के झोला छाप नेता भी मूंछो पर ताव देकर अकड़ कर चलते थे और जनता का सलाम लेते थे जैसे जनता ने इनका कर्ज देना है ! हाँ एक बात जो उभर कर सामने आई है वह यह है कि राजनेता भी जब किसी से भयभीत हो जाते हैं तो वे अपना आत्म विष्वास और विवेक खो देते हैं, उनका दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और वे गंदे से गंदे अपशब्दों का इस्तेमाल तक कर लेते हैं ! वेसे भी खुर्शीद जी के ऊपर विकलांगों की केंद्रीय सरकार द्वारा दी गयी सहायता की राशि में दखलंदाजी का आरोप है, उससे भी वे उखड़े उखड़े रहते हैं ! बताओ मीडिया को कैसे पता लगा ? पार्टी में ही किसी अपने को पार्टी का वफादार सोलजर कहने वाले की शरारत लगती है ! कुछ भी हो खुर्शीद जी जनता में तो आपके द्वारा गंदे, भद्दे और भैड़े शब्दों का अर्थ कुछ दूसरा ही लगाया जा रहा है ! मोदी जी का कद बढ़ रहा है और आपकी कमाई हुई इज्जत का बंटाधार हो रहा है !
जवान पर लगाम दें, सियत का ध्यान दें, उम्र ढलान पर है और कभी भी कुछ हो सकता है ! ज्यादा जोश में आना और अनाप शनाप बकना ब्लड प्रेशर बढ़ा देता है ! हमने आगाह करना था कर दिया, आप जाने आपका काम जाने, फिर न कहना बताया नहीं !

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