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वो देखो क्या कर रहा है ?

jagate raho
jagate raho
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वो देखो कंटीले राहों पर चल रहा है,
हर कदम पर अपने को ही ठग रहा है,
अरे जाके रोको कोई तो उसको,
कुकर्मों के बोझ तले दब रहा है !
वो जानता है की वो क्या कर रहा है,
दुष्कर्म करते हुए डर रहा है,
कोई तो है उसके पीछे,
न चाहते हुए भी दुष्कर्म कर रहा है !
पाप गठरी सिर पर धरे
कंटीले राहों पर चल रहा है,
अरे जाके रोको कोई तो उसको,
दुष्कर्मों के बोझ तले दब रहा है,
मन मंदिर का दिया तो बुझ गया है,
इसका उसको पता ही नहीं है,
मात्र इक चिंगारी बची है,
उसी के सहारे चल रहा है,
साक आबरू चली गयी,
सियत भी उसे ठग गयी
बिरान रास्तों पर चल रहा
वह भी अब नहीं रही , ,
अरे जाके कोई रोको तो उसको,
आगे जहन्नुम की खाई पड़ी
sinking shipnull

,

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