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दोहे क़ुछ कबीर के कूछ तुलसी, रहीम के तो कुछ मेरे

jagate raho
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चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुलतान है, मत चुके चौहान !
चाँद बरदाई कबीरा खडा बाजार में मांगे सबकी खैर,
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर ! १

आछे दिन पाछे गए गुरु से किया न हेत,
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ! 2

राम राम रटते रहो जब तक घट में प्राण,
कभी तो दींन दयाल की भनक पड़ेगी कान ! ३

राम राम की लूट है लूट सको तो लूट,
अंत काल पछताएगा प्राण जांय जब छूट ! ४

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय,
औरन को शीतल करे आपन शीतल होय ! ५

पता टूटा डाल से लेगई पवन उड़ाय,
अबके बिछुड़े कब मिले दूर पड़े हैं जाय ! ६

माली आवत देखकर कलियाँ करी पुकार,
फूल फूल तो बिन लिए कल ही हमारी बारि ! ७

माटी कहे कुमार से तू क्या रुंदे मोय,
इक दिन ऐसा आएगा मैं रूंढूगी तोय ! ८

माला फेरत जुग भया फिरा न मन का फेर,
कर की माला फेर दे मन का मनका फेर ! ९

माला तो कर में फिरे जीब फिरे मुख मांय,
मनुवा तो दहुँदिस फिरे यह तो सुमिरिन नाय ! १०

जो तोको काँटा बुए ताको बोय तू फूल,
तोको फूल के फूल हैं वाको मिले त्रिशूल ! 11
तोको फूल के फूल हैं वाको मिले त्रिशूल ! ११

जो आया सो जाएगा राजा रंक फ़कीर,
पीछे छोड़ के जाएगा कर्मों की लकीर ! १२ !

बुरा जो देखें मैं गया बू मिला न कोई,
जो दिल देखा आपनो मुझसे बुरा न कोइ ! १३

मंदिर गया मस्जिद गया कृष्ण मिला न राम,
झांका दिल जब आपनो थे छिपे हुए घनश्याम ! १४

मंदिर में घंटी बजी कबीरा दौड़ा जाय,
हरि तो तेरे पास है तू ही देख न पाय ! १५

जो तन पर कोड़ा लगे जख्म वो भर जाय,
मुंह से निकले वाणं का, जख्म भरने न पाय ! 16

अनहोनी होनी नहीं होनी होई सो होय,
करने वाला राम है तू मुंह ढक के सोय !

धीरज धर्म मित्र और नारी,
आपात काल परखेउँ ये चारि तुलसीदास

बिहारी के सतसई ज्यों नाविक के तीर,
देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर ! बिहारी

रहिमन वे नर मर चुके जो कहीं मांगन जाय,
उनसे पहले वे मरे जिन मुख निखसत नाईं !

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून,
पानी गए न उबरे मोती मानुष चूंन ! , रहीमदास

तुलसी दास

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