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समाचारों के जंगल में = खरपतवारसिंह काम चोर की जवानी

jagate raho
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इस साल वारीश भी खूब हुई, बाढ़ आई, बड़ी बड़ी नदियों में ही नहीं छोटी छोटी नदियों में भी और किसानों की छ महीने की कठीन मेहनत से कमाई हुई, खड़ी फसलें मिनटों में बर्बाद हो गयी ! सोचा था इस साल वारीष कुछ ज्यादा ही वरस गई है अब गर्मी का प्रकोप कम होगा, लेकिन नहीं, गर्मी का प्रकोप तो उसी स्पीड से बढ़ता जा रहा है साथ ही नयी किस्म के मच्छरों की फसलें साथ लेके आ रहा हैं ! इंसान बेचारा हालात का मारा दिन भर जिंदगी की गाड़ी खींचता खींचता, मालिक बनाम बॉस की झिड़कियां खाता हुआ, शाम को थका हारा घर आता है, दरवाजे के अंदर कदम धर भी नहीं पाता की पत्नी परमेश्वर अपने गृह स्वामिनी की अधिकारयुक्त रुका हाथ में लिए, पति देव को सब्जी का थैला पकड़ा देती है तथा बच्चों के स्कूल की काफियां और साथ ही नए क्लासों की पुस्तकों की एक लम्बी सी लिस्ट भी, यह कहते हुए की,”ज़रा जल्दी जल्दी कदम बढ़ाते हुए चले जाना, आज कल स्टेशनरी की दूकान जल्दी बंद होजाती है ! आज सब्जी बिलकुल नहीं है, जब लाओगे तभी बनेगी ! तब तक मैं आपके लिए गर्म गर्म चाय और आलू के चिप्स तल के रखती हूँ ” ! पति बेचारा बेजवां गाय की तरह बिना किसी प्रतिवाद के, एक सच्चे पत्नी भक्त की तरह पत्नी से झोला ले लेता है और अपने पीठ पर दिन भर चिपका हुआ ‘बैक पैक’ पत्नी को पकड़ा कर ‘पिटे पिटाए गंधर्वराज की तरह बडबडाता हुआ बाजार की तरफ चला जाता है ! रात को खाना खाकर जैसे ही खाट पर लेटता है सोने के लिए, उसी समय मच्छरों की सजी सजाई बरात अपने गाजे बाजों के साथ आपके कानों के आस पास पहले मधुर संगीत सुनाएंगे और फिर मौक़ा देखते ही आपके कोमल अंगों से शरीर में बचे खुचे रक्त का पान करना शुरू कर देंगे, जैसे घर वालों ने इन शैतान मच्छरों को न्योता भेज कर बुलाया हो और ये अपने परिवार सहित दावत में स्वादिष्ट खून का टेस्ट लेने आए हों ! अब लड़ते रहिए इन नर पिचास मच्छरों से !
पार्क में शाम को रोज की तरह वरिष्ठ नागरिकों की महफ़िल जुड़ने लगी, आज मण्डली में एक नये चेहरे ने महफ़िल की रौनक और बढ़ादी, नाम है खरपतवारसिह कामचोर ! हमने इतने सुन्दर क्रिया विशेषण अलंकृत नाम रखने के पीछे का रहस्य जानने की कोशिश की तो उन्होंने इस रहस्य पर से पर्दा हटाया !’ ‘हमारा परिवार बहुत गरीबी से गुजर रहा था, माँ और पिता जी दिन भर मई जून की भरी दुपहरी में भी सडकों पर पत्थर तोड़ तोड़कर, हम तीन भाई बहिन का पेट पालते थे ! मैं १०/१२ का होने के बावजूद उनकी कोई मदद नहीं करता था, खा पीकर सुस्त पड़ा रहता था ! मेरे सुस्तपन का इनाम दिया पापा ने, मेरा नाम कामचोर रखकर ! १३/१४ साल पार करते करते मुझे लगने लगा की मुझे अब माँ पापा के काम को कुछ हल्का करना चाहिए ! मैं रोज सबेरे सबेरे एक प्राईमरी स्कूल के हेडमास्टर जी के आँगन में झाड़ू लगाने लगा !
जब तक मास्टर जी के परिवार के लोग उठते, मैं खरपतवार उठा कर झाड़ू लगाकर घर वापिस चला जाता ! १५ दिन के बाद एक दिन अचानक माष्टर जी ने मुझेे सफाई करते और खतपतवार उठाते हुए पकड़ लिया ! पहले तो मुझे पेट भर कर नास्ता करवाया और फिर अपने साथ स्कूल लेगए ! घर के अलावा अब स्कूल की सफाई का जिम्मा भी मुझे सौंपा गया ! मास्टर जी ने मेरा नाम रखा खरपतवारसिंह ! मैं इन दोनों नामों से बड़ा प्रभावित हुआ और मैंने दोनों को संयुक्त करके अपना नाम जग जाहिरकर दिया ;खरपतवारसिंह कामचोर ” ! आने वाले दिनों में मास्टर जी नगर निगम के सदस्य चुने गए और उनके साथ मेरी भी प्रोमोशन होगई, मैं उनका झोला उठाने वाला प्रमुख चमचा पदोन्नत होगया ! आज मास्टर जी सांसद बन गए हैं और मैं आज भी उनका झोला उठाने वाला सारे चम्चों का नेता हूँ ! आज भी मास्टर जी के आँगन में उगी हुई घास नुमा खतपतवार और झाड़ू लगाता हूँ अपनी इच्छा से ! उनके पास ताजी ताजी ख़बरें तुरंत तैयार मिलती हैं, ‘अभी अभी के समाचारों में केजरीवाल की किसान रैली में राजस्थान से आया हुआ एक गजेन्द्र नाम का किसान कुदकसी करके मर गया, लेकिन हादसे की खबर मिलाने के बावजूद केजरीवाल मोदी सरकार की बुराई सम्बन्धी भाषण पिलाते रहे किसानों को !~ अगर केजरीवाल या उनके पार्टी के किसी सदस्य ने कोशिश की होती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी ! रामलीला मैदान में राहुल गांधी ने किसान रैली करके कौन सा किसानॉ की आर्थिक सहायता कर दी ? कौन सा किसानों के बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कांग्रेस को मिले डोनेशन में से अनुदान देने की घोषणा करदी ! केवल एक बात बार बार दोहराता रहा की ‘मोदी की केंद्र सरकार उद्योपतियों की सरकार है, ये सूटेड बूटेड सरकार है ! अभी तक किसी भी नेता ने किसी प्रधान मंत्री या मंत्री के पहनावा के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की, जो राहुल गांधी ने कर दी !
जब से राहुल गांधी पार्टी के सेकंड इन कमांड बने, कांग्रेस पार्टी जनता से दूर होती चली गयी और अगर इनको फूलफलाइज्ड कमांड मिल गयी तो फिर क्या होगा ? सोने में सुहाग होगा ! कांग्रेस के वरिष्ठ कर्णधारों को इसकी विवेचना करनी चाहिए ! केवल मोदी जी को बुरा भला कहने से उनके विकास के कार्यों में अडचने डालने से कांग्रेस का जनाधार बढ़ने के बजाय और घटेगा ! जनता अब भोली भाली नहीं रह गयी है ! परिवाद पर उनके विचार साफ़ हैं ! प्रजातंत्र और और वंशवाद दोनों साथ साथ नहीं चल सकते ! लेकिन भारत में ये वंशवाद जड़ें जमा चुका है ! उड़ीसा, यूपी, जम्मू एंड काश्मीर, और केंद्र में कांग्रेस का वंशवाद जग जाहीर है !
आम आदमी पार्टी पर उनकी टिप्पणी दिल्ली के सुलझे हुए नागरिकों से मेल खाती है ! ‘जैसे तूफ़ान की गति से इस पार्टी की उत्पति हुई है ठीक उसी तेजी से यह बिखरने लगी
है’ ! केजरवीवाल जी से पूछो की “आप के द्वारा दिल्ली की जनता को शब्ज बाजार दिखा के दिल्ली की गद्दी तो हथिया ली, वादे कब पूरे होंगे ?” आप का जबाब, “अभी आए हैं, अभी तो होश भी नहीं सम्भाला है, किए हुए वादे पांच सालों में तो पूरे नहीं हो पाएंगे, अगला मौक़ा दोगे तो शर्तीया वादे पूरे हो जानेंगे ! फिर उस कांग्रेस से क्यों नहीं पूछते की १० साल तक सत्ता पर रहकर पानी, बिजली, सीवर की हालत बद से बदतर क्यों हुई ? ” आप वाले तो अब उलटा सवाल दागने लगे हैं ! जनता तो नीरा पशु है, पार्टियों का वोट बैंक है, वोट देकर पांच साल तक भारी भरकम नेताओं का बोझ ढोती है पूरे पांच साल तक ! आयकर देकर इनके और इनके परिवार का भरण पोषण करती है, नेता राजनेता बनकर राजाओं के महलों में राजसी ठाठ बाट से रहते हैं, जनता के पैसों से खरीदी मंहगी से मंहगी कारें इनके बंगलों की शोभा बढ़ाते हैं ! जनता को पीने का पानी नहीं, इनके बंगलों में २४ घंटे शुद्ध फ़िल्टर्ड पानी से भरा स्वीमिंग पूल पूरे परिवार के साथ साथ सगे समन्धीयों को भी तैरने का लुफ्त उठाने का अवसर देता है ! ! २४ घंटे पानी बिजली, सीवर सड़कें इन नेताओं के बंगले की चेरी बनकर अराऊण्ड दी क्लॉक पहरा देती रहती हैं ” इतना कहकर खरपतवारसिंह कामचोर एक पलास्टिक का थैला लेकर सडकों, पार्कों नालियों से पलास्टिक की थैली और खतपतवार जमाकरने में जुट गया ! हरेन्द्र जागते रहो !

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