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समाचारों के जंगल में फंस गए मक्खन लाल बर्फी वाला

jagate raho
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लेख लिखने से पहले जागरणजंक्शन के लेखकों, पाठकों, कवियों, ब्यंगकारों को मैं धन्यवाद करता हूँ ! मंच के सारे मंडल को जिसमें ये हस्तियां भी शामिल हैं मेरा राम राम, सत्श्रीयाकाल दिल से निकली हुई दुवाएॅ := दीप्ती सक्सेना,
मदन मोहन सक्सेना, डाक्टर शोभा भारद्वाज, डाक्टर अशोक, डाक्टर यस शंकर सिंह, सुरेन्द्र शुक्ल, सद्गुरुजी, संजय कुमार गर्ग, अभिषेक शुक्ल, अनिल कुमार, जवाहरलाल सिंह योगी सारस्वत जी, ,अशोककुमार दुबे, शकुन्तला मिश्रा, राजेश कुमार, रविन्द्र कुमार, शालिनी कौशिक एडवोकेट, अलकर गुप्ता, सुषमा गुप्ता, आचार्य विजय गुंजन, आनंद प्रवीण, मलिक प्रवीण, शिवेंद्र मोहन सिंह, उदयशंकर श्रीवास्तव, प्रीति, मनोरंजन ठाकुर, भगवान बाबू, सीमा कँवल ! ये सारे जागरण जंक्शन मंडल के वे सदस्य, लेखक हैं, जो नव सीखिये लेखकों का हौशला अफजाई करने के लिए उनके शुरुआती लेखों पर अपनी साकारात्मक टिप्पणी देकर, उनका मनोबल बढ़ाते हैं, “बहुत अच्छा लिखा है, सुन्दर प्रयास है ” इस तरह के शब्दों को इस्तेमाल करके नव सीखिये लेखकों का मार्ग दर्शन करते हैं !ये सारे जन हिताय जन सुखाय के प्रबल समर्थकों को मेरा अभिवादन है कृपया स्वीकार करें !
अब मैं पाठकों को समाचारों के जंगल की यात्रा पर ले चलता हूँ ! आज भी समाचारों का केंद्र बिन्दु नेपाल है ! दूर दराज के गांवों कस्बों की खबरें आरही हैं ! उन इलाकों में आने जाने के साधनों के अभाव में लाखों निराश्रित लोग अभी तक विभिन संस्थाओं द्वारा दी गयी सहायताओं से महरूम हैं ! बहुत से लोग भूखे प्यासे दम तोड़ रहे हैं अकाल मृत्यु के जबड़े में समा रहे हैं ! आज सुबह सबेरे एक नए सज्जन से मुलाक़ात होगई पार्क में ! हम लाफ्टर लाफ्टर, शेर गर्जना, की प्रैक्टिस कर रहे थे, अचानक वे हमारे सर्किल में आगए और हमारे साथ हंसने हंसाने लगे, लेकिन उनके चेहरे पर उदासी के बादल स्पष्ट झलक रहे थे ! हंसने हंसाने का कार्य कर्म समाप्त हुआ तो हम सारे लाफ्टर क्लब के सदस्य उनको घेर कर खड़े होगए ! पूछने लगे उनकी चिंता का कारण ! नेपाल के बारे में जो कुछ उन्होंने बताया, सुनकर रोंगटे खड़े होगये ! “मैं एक बिजिनिस घराने से तालुक रखता हूँ ! मेरा नाम मक्खन लाल है, मेरी लखनऊ में आज भी एक बहुत बड़ी हलवाई की शाप है, मेरे पास एक अब्बल दर्जे का बर्फी बनाने वाला कारीगर है, मेरी बर्फी भारत के बड़े बड़े शहरों के अलावा नेपाल, भूटान तक सप्लाई की जाती हैं, इस तरह नाम के साथ उपनाम जुड़ गया ‘मक्खन लाल बर्फी वाला’ ! मेरा अपना, चार सीटेड छोटा विमान है और मैं रोज सबेरे के १० बजे तक बर्फियों का पैकेट तैयार करवा के उसी दिन रात के १२ बजे तक ताजा माल सारे शहरों, काठमांडू तक पहुंचा देता हूँ ! १५अप्रेल को नेपाल घूमने गया हुआ था ! वहां देश विदेश की वस्तुएं मिल जाती हैं ! फिर मौसम रंगीन ! १५ मार्च से पर्यटकों और घूमकड़ों के दल के दल नेपाल घूमने चल देते हैं हर साल ! इन्हीं दिनों कुदरत भी अपने योवन पर होती है ! फूलों का खिलना, भंवरों का गुनगुनाना, ऊंची ऊंची अमवा की डाली पर कोयल का मधुर स्वरों में गीत गाना, पेड़ पौधे अपने पुराने पतियों से निजाद पाकर नए नए अरुणोदय रंगों से सरोबार होकर नए परिधान पहिने पवन के हलके हलके झोँकोँके के साथ झूमते नजर आना, हसींन नजारों का लुफ्त लेने का मजा भी इन्हीं दिनों है ! उस दिन मैं काठ मांडू में ही था ! २५ तारीख शनिवार, होटल में काफी भीड़ थी, मैंने अन्य लोगों के साथ ब्रेक फास्ट किया, अपने सामान के साथ होटल के बाहर टैक्सी का इन्तजार करने लगा ! अचानक धरती हिलने लगी, मुझे लगा की मुझे चक्कर आ रहा है, भ्रम टूट गया, मेरा दिमाग नहीं यह तो पूरी धरती ही हिल रही थी ! करीब २० सेकिण्ड तक धरती में कम्पन रही, चारों और शोर शराबा मच गया, भगदड़ मच गयी, मल्टी स्टोरीजों में फंसे लोगों में दहशत का माहोल, फिर क्या देखता हूँ की गगन चुम्बी इमारतें, बिल्डिंग दुकाम, मकान, होटल, रेस्ट्रोरेन्ट एक के बाद एक मलवे के ढेर में तब्दील हो रहे हैं, मैं सोच रहा था ये स्वप्न है की हकीकत ? नहीं ये तो हकीकत ही है ! मिनटों पहले मैंने जिस होटल में रात बिताई थी, देशी परदेशी नर नारियां जो कोई हनीमून तो कोई साइटसीन मनोरंजन को आई थी, हंसती मुस्कराती जिंदगी के अगले पड़ाव की तरफ कदम बढ़ा रही थी,वे सारे उसी होटल के मलवे में समां गए ! छोड़ गए पीछे एक यादगार, खिल खिलाने, हंसने हंसाने की मधुर स्मृति !
काठमांडू हवाई अड्डे पर भारतीय सेना के डाक्टर फिल्ड मेडिकल यूनिट में घायलों को मरहम पटी कर रहे थे ! वहीं पर अपने माँ बाप के साथ एक ९ साल का लड़का अपनी टूटी टांग पर पट्टी करवाने आया हुआ था, मालूम पड़ा की दिन के ११ बजे माँ बाप अपने एक मंजिले मकान के आँगन में अपने तीनों बच्चों को छोड़ कर बाहर खेतों में काम करने चले गए, साढ़े ग्यारह बजे अचानक आए भूकम्प ने मकान गिरा दिया दो बच्चे मलवे में दब कर मर गए और जो बच गया उसकी टांग टूट गयी ! चारों और मौत का सनाटा ! सबसे पहले भारतीय स्थल सेना और वायु सेना हेलीकाफ्टरों और माल बाहक ट्रक में खाने की सामग्री, पानी, कम्बल, दवाइयाँ और डाक्टरों के साथ सहायता दल काठमांडू पहुंचा ! उन्होंने हजारों मलवे में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने में पूरी तत्परता दिखाई, शवों और बहुत सारे ज़िंदा लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला ! दूर दराज के इलाकों में गांवों के गाँव धरती में धंस गए हैं, सारे रास्ते और सडकों का नामोनिशान मिट गया है, न वहां कोई हेलीकाफ्टर उत्तर पा रहा है, न कोई इंसान ही वहां जाने पा रहा है मलवे के ढेर में फंसे लोगों को बचाने के लिए ! काफी गाँव वाले तो कालकवलित होगए और जो ज़िंदा बचे हैं वे हर सांश पर उम्मीद लगाए बैठे हैं की ऊपर वाला आकर उन्हें खाना पानी पहुचाएगा ! भारतीय राहत कार्यों में जुटे सैनिक और असैनिक हेलीकाफ्टरों से बिस्किटों के पैकेट, ड्राई फ्रूट्स, पानी की बोलतें और कम्बलों के बण्डल उन इलाकों में गिरा रहे हैं ! दम तोड़ते लोगों की निरीह आँखों में झलकती निराशा, सहायता की मूक याचना, असहनीय दर्द से चिल्लाते हजारों घायल जीवन और मौत के हिंडोले में झूलते हुए बार बार उस प्रलय रूपी भूकम्प की याद दिला रही है” !, इतना कहते कहते उनकी आँखों से अश्रु धारा फूट पडी ! “उस भूकैप ने किसी को नहीं पूछा की वह हिन्दू है मुसलमान, सिख है या ईसाई, रईस है या गरीब , ऊंची जात का है या निम्न श्रेणी का आरक्षण के सहारे आजीविका कमाने वाला है ? उसके प्रलय कालीन भयानक गर्जना करने वाले बादलों की चपेट में जो भी आगया वह उसी को निगलता चला गया” ! उनको इस बात की खुशी है की आज पूरे विश्व में भारत द्वारा किये गए नेपाल में राहत कार्यों की प्रशंन्सा हो रही है ! भारत ने वहां से मलवे के ढेर से ज़िंदा लोगों को ही नहीं बचाया, बल्कि बड़ी संख्या में नेपाल में फंसे भारतीयों और विदेशी पर्यटकों को भी स्वदेश पहुंचाने में पूरा सहयोग दिया ! साइट से जुड़े रहिए, पल पल की खबरें आपको मिलती रहेंगी !
आज हम किस समाज में जी रहे हैं, प्रदेश का मुख्य मंत्री, उपमुख्य मंत्री प्रदेश की जनता का पिता होता है, क्या वह अपने दायित्व का निर्वाह एक पिता बन कर कर पा रहा है ? नहीं, इसका जीता जगता उदाहरण मोगा की ताजा ताजा शर्मसार करने वाली खबर से साफ़ हो जाता है ! ये शर्मसार करने वाली दुर्घटना राज्य के उप मुख्यमंत्री की बस में बस के ड्राइबर और कानक्टर ने अंजाम दिया है ! घटना के मुताबिक़ एक माँ अपनी १४ साल की बेटी और बेटे को साथ लेकर इस बस से मोगा से दूसरे स्थान जा रहे थे, रास्ते में ड्राइवर की सह से कंडक्टर और उसके साथियों ने माँ बेटी से छेड़ छाड़ शुरू कर दी, बस में बैठे किसी मुसाफिर की हिम्मत नहीं हुई इन दुष्टों को रोकने की, माँ बेटे ने विरोध किया तो ड्राइवर ने बस की स्पीड थोड़ी कम की और फिर स्पीड तेज कर दी, दुष्टों ने उसी समय तीनों को चलती बस से बाहर फेंक दिया, लड़की तो गिरते ही मर गयी, माँ बेटे क्रिटिकल हालत में असपताल में जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ! शायद इस घटना का किसी को कानों कान खबर भी नहीं होती पर ऐन वक्त पर मीडिया सजग होगई और ये दर्दीली आवाज लोक सभा और राज्य सभा तक पहुँच गयी ! देखना है, न्याय का परला किस तरफ झुकता है ! वैसे शायद पाठकों को और आम जनता को निर्भया के साथ घटी जघन्य घटना की याद होगी जो १६ दिसम्बर २०१२ को घट गयी थी, न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका हरकत में आगयी थी, लगता था की जल्दी शैतान अफ़राधियों को फांसी पर लटकाया जाएगा, पर अभी तक केस न्यायालय की सीढ़ियां ही नाप रहा है ! इस घृणित करने वाली खबर से देश ही नहीं विदेशी समाचार पढने वाले भी इस घृणित कुकृत पर थूक रहे हैं ! पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीरसिंह राज्य के गृह मंत्री भी हैं, जिसके अंडर में पुलिस महकमा भी है, अब पुलिस वाले इस केस को कैसे हैंडल करेंगे, ऊपर वाला जाने !
राहुल गांधी आजकल कांग्रेस के जख्मों को भरने का प्रयास कर रहे हैं, रैली और जान सभाओं के माध्यम से ! उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है सिवाय की ये भाजपा सरकार सूट बूट वाली सरकार है, समझ में नहीं आ रहा है की ऐसा कहकर वे जनता को क्या सन्देश देना चाहते हैं ! अभी तक का उनका रिकार्ड हैं, जहां भी किसी चुनाव सभा में राहुल गांधी जी ने भाषण दिए, रैलियां की उन्हीं स्थानों पर जनता पर यातना बड़ा प्रभाव पड़ा की कांग्रेस के प्रत्यासी जीतना तो दूर की बात है, डिपॉज़िट भी नहीं बचा पाए ! हरी हरी ! कांग्रेस जाने राहुल जाने !

पाठको को एक सूचना देना चाहता था पर अक्षर भूल जाता था, हाल ही में मैंने एक पुस्तक पढ़ी, यह पुस्तक हाल ही मार्केट में आई है, यह पुस्तक कदम कदम पर जीवन की हर एक्टिविटी से साक्षात कर देती है, यहां, स्वास्थ्य है, देशभक्ती है, कैरियर सम्बन्धी मार्ग दर्शन है, पर्यावरण है, माता-पिता, परिवार और दोस्तों से समबन्धों पर चर्चा है, , गाड़ी चलाने वाले को आवश्यक निर्देश और वरिष्ठों को इज्जत है, इज्जत दोगे तो खुद वरिष्ठ बनने पर इज्जत लोगे ! पुस्तक का नाम है ‘मैनेज-बीम बैलेंस आफ लाइफ लेखक बृजेश ” ये पुस्तक आप ऑन लाइन डिमांड कर सकते हो ! लिंक है
http://flipkart.com/manage-beam-balance-life/p/itme5b9zyvmu2dff?pid=RBKE5B9Z9DYV4AWY&otracker=from-search&srno=t_1&query=manage+beam+balance+of+life&ref=a87279f7-9dbe-42f1-bf64-६१च९च५ब७६०४२ ! जय हिन्द जय भारत भूल चूक लेनी देनी ! हरेन्द्र

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