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फैलता हुआ प्रदूषण – आखिर दोषी कौन ?

jagate raho
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http://fposts.com/fbpost/103205049435_10152143891344436 विश्व स्तर पर आज हर कोई अमीर गरीब देश, मीडिया, वैज्ञानिक, पर्यावरण कंट्रोल करने वाले विशेषयज्ञ बढ़ते हुए प्रदूषण के जहर से भयभीत हैं ! बड़ी लम्बी चौड़ी वार्ताएं और चर्चाऐं हो रही हैं, इससे निजाद पाने के लिए सुझाव भी आरहे हैं, लेकिन मुश्किल है, सुझावों को अमल करने की, शुरुआत करने के लिए पहल कौन करे, कौन बिल्ली के गले में घंटी बांधे ! मैट्रो सिटी दिल्ली की बात करें, पहले तो सड़कों की हालत बड़ी खराब है, जगह जगह गड्ढे, मरमत का काम होता है, काम चलाऊ होता है, मरमत करने वाले ठेकेदार अपने पड़ाव पर पहुँच भी नहीं पाते पीछे से सड़क टूट जाती है, फिर बिजली वाले, पानी वाले, कहींं सड़क के बीच तो कहीं किनारे खुदाई शुरू कर देते हैं, वे तो अपने तार या पाईप लाईन दबा के चले जाते हैं, सड़क फिर अगले चुनाओं तक ऐसी ही दयनीय हालत में पैदल चलने वाले ख़ास तौर पर बुजुर्गों और बच्चों को अपनी दयनीय दशा बयान करती है, अगर वे गिर पड़ें, तो फिर सड़क का क्या कसूर है ? सही प्लानिंग द्वारा मार्ग दर्शन की कमी ! सडकों पर जगह जगह ठेलेवाले, सड़कों के किनारे छोले भटूरे बनाने वाले, एक तो आने जाने वालों का रास्ता रोक लेते हैं, ग्राहकों को पतल पर छोले दिए जाते हैं, लोग खा पीकर जूठे पत्तल जगह जगह सडकों पर गिरा कर गंदगी फैला के चले जाते हैं, बेचारे सफाई कर्मचारियों की परेशानी बढ़ जाती है ! सर्दियों के मौसम में सुबह सबेरे सडकों के किनारे जगह जगह मजदूर कचरे उठाने वाले गाड़ियों के बेकार पड़े टायरों के साथ सुखी पतियों और बदबू फैलाने वाले कचरों को जलाकर आग सेकते है, इस गैस से वातावरण बहुत दूषित हो जाता है ! सरकार ने स्थान स्थान पर प्लास्टिक के पीपे की कचरादानी रखी हुई हैं, लोग प्लास्टिक की थैलियों में कचरा डाल देते हैं, कचरे उठाने वाले आवारा किस्म के बच्चे कचरे दानी को उलट कर पूरा कचरा नीचे सड़क पर गिरा देते हैं, प्लास्टिक की थैलिओं को बेचने के लिए ले जाते हैं, जैसे जैसे दिन निकालता है सडकों पर चलना दूभर होजाता है, बदबू, और सड़क पर फैला हुआ कचरा, अँधेरे में गिरने का भी अंदेशा सो अलग ! कभी कभी गाय सांडों के झुण्ड के झुण्ड सडकों को जाम कर देंगे, चलते चलते गोबर डाल कर स्वछता अभियान में एक नया चेप्टर जोड़ देते हैं, रही सही कसर पूरी कर देंगे ! मैट्रो दिल्ली की जनता के लिए बरदान साबित हुई है साथ ही उसके नीचे पानी वाला नारियल बेचने वाले, छोटे मोटे धंधे करने वाले , चलते फिरते ठेले पर चाय बनाने वाले, बाल काटने वाले अपना बिजनीस समेट कर वहीं अन्य मजदूरों के साथ रैन बसेरा करते हैं, वहीं प्रसालन क्रिया करेंगे, सड़क के किनारे वहीं पेशाब करके सुबह सबेरे अपने धंधे में लग जाएंगे ! आस पास के कुत्तों के झुण्ड भी पार्कों, सडकों, मैट्रो लाईन के नीचे अड्डा जमाए हुए, आने वाले दिनों में आरक्षण माँगने के लिए अपनी जनसंख्यां बढ़ानें के लिए विचार करते नजर आ रहे है ! सड़कों के किनारे पैदल चलने वालों के रास्तों पर पटरी लगाने वाले अड्डा जमा देते हैं, जहां जगह खाली है वहां कंटीली छोटी छोटी झाड़ियाँ, जंगली घास उग जाती है या बहुत सारा कचरा सड़क के किनारे इकट्ठा कर दिया जाता है ! पैदल का रास्ता बंद हो जाता है ! मैट्रो लाईन के नीचे, सडकों के किनारे लोग धंधा तो करते हैं पर सफाई की जगह कचरा स्टोर बना देते हैं ! पुलिस वाले, एमसीडी वाले, डीडीए वाले आँख, कान, नाक बंद करके चले जाते हैं ! बाकी कमी सडकों के किनारे बिल्डिंग, शाप, फ्लेट बनाने वाले बजरी, रेता, बदरपुर फैला कर पूरी कर देते हैं ! ये समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं हैं बल्कि देश के हर प्रदेश, जिले की भी यही कहानी है ! अब प्रदूषण रूपी जहर पूरी स्पीड से शहरों, कस्बों की दीवारों को लांघता हुआ गाँव गलियों की तरफ भी बढ़ने लगा है ! अगर समय रहते नहीं संभाले तो फिर मौक़ा नहीं मिलेगा, कलयुग में कलयुगी अवतार यही प्रदूषण बनेगा !!!
सरकार ने सडकों के किनारे जामुन और अन्य छायादार पेड़ तो लगा रखें है पर जामुन खाने के चक्कर में लोग टहनियाँ तोड़ कर हरे भरे पेड़ का ठूंड बना देते हैं ! चुनाओं से पहले आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने हाथों में झाड़ू लेकर नदी नालों से लेकर, सडकों पर भी झाड़ू लगाया था, स्वयं अरविन्द केजरीवाल साहब को भी जनता ने झाड़ू हाथ में लिए देखा था और उम्मीद की थी की कम से कम दिल्ली तो क्लीन ग्रीन होगी, प्रदूषण रहित होगी ! लेकिन चुनावों में जीत हासिल होते ही सबको मंत्री या उच्च ओहदे मिल गए हैं, अब क्या झाड़ू उनके हाथों में अच्छा लगेगा ? अरे नरेंद्र मोदी जी तो प्रधान मंत्री बनने के बाद भी वाराणसी गंगा घाट पर झाड़ू लगाते हुए नजर आए हैं, उनके देखा देखी बहुत सारे नेता राज नेता नौकरशाहों ने भी सरकारी झाड़ू लेकर फोटो खिंचवाई हैं !
प्रदूषण नामक राक्षस अपने पूरे दल बल सहित आतंकवाद से भी बड़ी सैना सजा कर केवल मनुष्य मात्र ही नहीं बल्कि तमाम जलचर, नभचर, और बनस्पतियों को निर्मूल नष्ट करने की योजना बना रहा है ! केजरीवाल, दिल्ली में, यूपी में अखलेश यादव, बिहार में नीतिसकुमार लालूजी, प. बंगाल में ममता बनर्जी जी, चेन्नई में जय ललीता जी, उत्तराखंड में हरीश रावत जी, हिमांचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह, जे ऐंड के में मुफ़्ती मोहमद सैयद और पंजाब में प्रकाशसिंह बादल जी अपनी रोटियां सेक रहे हैं, बाकी प्रदेशों में भाजपा या उसके एनडीए के घटक शासन संभाल रहे हैं ! ये सारे प्रमुख पर्यावरण शुद्ध करने का आंदोलन आज भी छेड़ देंगे तब भी दुनिया इस बिना दांत वाले कला कलूटा, प्रदूषण नामक शैतान के जबड़े से बचाई जा सकती है !! हरी ओउम , नारायण हरि !! हरेन्द्र रावत जागते रहो

विकास कार्यों के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं, जंगलों और उपजाऊ जमीन की सीमाएं कम होती जा रही हैं, उनके स्थान पर ईंट गारा, चुना, सीमेंट से कच्चे पहाड़ों में सड़कें सुरंग निकालने के लिए बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐवरेष्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोही यात्रा पूरी करके आते समय बाहुत सारा कचरा पॉलीथीन के बैग थैलियां, गिलास, प्लेट, खाने की सामग्री पीछे छोड़ के आजाते हैं, क्या इससे पर्यावरण अशुद्ध नहीं होता ? राजस्थान में हिरण मारने पर पावंदी है, सलमानखां ने वर्षों पहले दो काले हिरण मारे थे, पेशिया लगती है, गवाओं के बयान और प्रस्थितियाँ सलमान खान को कसूरवार मानती है लेकिन बड़े लोग है सजा मिलने में देर होना स्वाभाविक है ! पर्यावरण बेकाबू होने का एक कारण बेइंतहा बढ़ती हुई जनसंख्या भी है ! सडकों पर डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या में बृद्धि भी प्रदूषण को बढ़ा रहा है ! कुछ ही साल पहले, आसमान में बड़ी संख्या में गिद्ध नाम का पक्षी लम्बी लम्बी उड़ान भरा करता था और जहां भी पृथ्वी पर कोई मरा हुआ जीव नजर आता था, वे सारे मिल कर उसका नामोनिशान मिटा देते थे और पर्यावरण स्वच्छ रखने में मददगार साबित होते थे, आज कहाँ गए ये सारे गरुड़ ? साइंटिस्टों पर्यावरण विदों ने भारत में बढ़ाते हुए प्रदूषण के लेबल पर चिंता व्यक्त की है ! अगर प्रदूषण नामक शैतान से निजाद पाना है तो बड़े बड़े उद्योग पतियों को अपने निजी स्वार्थों को भूलाकर वे सारे कलकारखाने बंद करने पड़ेंगे जो दूषित वायु गंदा केमिकल पैदा करते हैं ! कुछ सुझाव हैं,:- कुदरत से ज्यादा छेड़ छाड़ न की जाय, जंगल के स्वरूप को न बदला जाय, उपजाऊ जमीन को इमारतों और उद्योग धंधों के लिए इस्तेमाल न किया जाय ! जंगली जीव जंतु और गगन में विचरने वाले छोटे बड़े पक्षियों को सरंक्षण दिया जाय ! ये सारे कुदरतके दूत हैं ! छायादार पेड़ पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाएं, बाग़ बगीचे किस्म किस्म की फूल पतियों को लगा कर अपने घर के आँगन और आगे पीछे स्वच्छ रखने का अभियान छेड़ें ! भीतर की गन्दगी बाहर सडकों पर या पार्कों की दीवारों पर न रख छोड़ें ! पार्कों में खाने पीने के रेपर खाली प्लास्टिक की बोतलें, पुराने कागजों के टुकड़े और समाचार पत्रों को फाड़ फाड़ कर जगह जगह न डालें ! पार्कों में, सडकों में कहीं गन्दगी नजर आय, अपने साथियों के साथ सफाई कर्मचारियों की मदद लेकर लाफ करने का अभियान छेंड़ें, आपको देख देखकर समाज सेवी संस्थाएं भी मैदान में उत्तर आएंगी ! मोदी जी का कहना है देश की मतदान सूची के मुताबिक़ जनसंख्या एक अरब बीस करोड़ के लगभग है इस तरह इनके हाथ हुए दो अरब चालीस करोड़, अगर ये सारे देश को क्लीन ग्रीन का अभियान छेड़ दें तो कुछ ही दिनों में देश की सारी नदियां, चश्मे, जहर की जगह अमृतमय बन जाएँगी !

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