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कभी एक कविता पढ़ी थी बेढब बनारसी की _
दंगल हो रहा है,
ये अमंगल हो रहा है,
लड़ा करती है मुझसे श्रीमती जी
कि मेरा घर मंत्री मंडल हो रहा है !
की ये हालत है दिल्ली में :-
छिड़ी है जंग,
सीएम और उप राज्यपाल
रोज बदलते रंग !
केजरीवाल वादों की ढेर,
साथी विधायक करते अंधेर,
क़ानून मंत्री, डिग्री नकली,
कुमार विश्वास
ऐक्ट बुरा जनता निराश,
आप के नेता बड़े निराले,
सफ़ेद टोपी दिल हैं काले !
नहीं करते सरकारी काम,
जनता में हो रहे बदनाम !
लड़ते उपराजयपाल से,
जाएंगे जनता के पास,
होंगे नहीं वादे पूरे,
एलजी मालिक हम हैं दास !
केंद्र नहीं देता है पैसा,
कैसे बनूंगा मोदी जैसा,
पकड़ आप की ढीली पड़ गयी,
जोश किसी में अब है नहीं !
मंत्री मंडल बहुत बड़ा है,
जैसे कुमार का घड़ा है,
बाकी सारे हैं अधिकारी,
काम नहीं पर जेब है भारी !!
मचा आपस में घमाशान,
भर दो झोली देदो दान !!
शुभ कामनाओं के साथ !
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