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बीच के कुछ वर्षों को छोड़ कर भारत की सत्ता का भोग किया, जो चाहा उलटा सुल्टा वो सब किया, जब भी किसी ने आवाज उठाई उसकी आवाज दबा दी गयी, या अमर्जेंसी लगाकर देश की जनता में दहशत गर्दी की हवा फैला दी ! बोफर्स केस हुआ, १९८४ का कत्ले आम,
उन दिनों सूरज भी शरमाया, रही हर दिन शाम !
बड़े बड़े राजनेता, शासक प्रशासक दोनों हाथों से लूटते रहे, खा पी कर बाकी बचा काला धन बना कर विदेशी बैंकों में बेनामी खाते में जमा करते रहे ! नाम प्रजातंत्र पर राज तंत्र चलता था,
दिल्ली की सत्ता पैतृक सम्पति बन गयी,
तीन पीढ़ी तक सत्ता इन्हीं की रही !
इससे प्रदेशों को भी पैतृक सम्पति की हवा लग गयी, आज के संधर्व में नजर उठाके देखें जम्मू काश्मीर में तीन पीढ़ी तक एक ही परिवार सत्ता पर छाया रहा ! उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, बिहार, लालू जी फिर पत्नी, पंजाब भी नक्श कदमों पर चलने का प्रयास कर रहा है !
इन दिनों कही घटनाएं हुई, लेकिन कोई असहिष्णुता की हवा नहीं चलने दी गयी, अपने चम्मचों को खिताप और सरकारी पुरुष्कार देकर योग्य और वफ़ादारों के ऊपर अयोग्य और भ्रष्टाचारियों को ताज पहनाया गया ! २०१४ के चुनाओं में जनता ने इन्हें नकार दिया, लेकिन इतने सालों तक सत्ता का भोग करते रहे बिना किसी अड़चन के, विपक्ष में बैठना कुछ अटपटा लगा ! “हम तो राज करने के लिए पैदा हुए हैं, विपक्ष में बैठने के लिए नहीं !” अपने सिफालासारों को पाकिस्तान भी भेजा गया, सन्देश देकर “हम तो सदा से पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाते रहे, लेकिन सत्ता छीन गयी, हमारी मदद करो, मोदी को हटाने के लिए ” ! वाह क्या गुल खिलाया ! अब तो शीत कालीन अधिवेशन में रोज धींगा मस्ती का माहोल, हंगामा हो रहा है ! राज्य सभा को तो बिलकुल निष्क्रय कर दिया गया है ! बहुत सारे बिल जो गरीबों को फायदा पहुंचाने वाले हैं पेंडिंग पड़े हैं संसद के दोनों सदन चले तो बिल पेश हों ! लेकिन माँ बेटे को हैराल्ड केस में कोर्ट में पेश होने का नोटिस मिला है, माँ बेटे अपने पार्टी और सहयोगियों को साथ लेकर संसद में हंगामा कर रहे हैं की “सरकार ने जान बूझ कर राजनितिक बदला लेने के लिए केस किया है” ! अरे भाई अगर पाक साफ़ हो तो कोर्ट में अपना क्लीन ग्रीन होने की सफाई पेश करो, संसद में क्यों हंगामा कर रहे हो और जनता की नज़रों में गिर रहे हो !!
आज के दिन राज्य सभा में इन हंगामा करने वालों का बहुमत है, लेकिन ये लोग वे हैं जो लोक सभा में हार गए और पिछले दरवाजे से सांसद बनाए गए हैं, फिर इनकी पावर का आकलन भी उसी तरह होना चाहिए की पार्लियमेंट में पास किया गया बिल इनके पास केवल सूचनार्थ भेजा जाय, न की इनकी सहमति असहमति के
लिए ! वोटर्स से इस बारे में राय माँगी जानी चाहिए ! ये कैसी विडम्बना है की लोक सभा में पूरा बहुमत होने के बावजूद सरकार संसद में एक बिल भी बिना राज्य सभा की अनुमति के पास नहीं कर पा रही है और जन कल्याण का कोई भी प्रोजेक्ट नहीं चला पा रही है ! ! संसद सविधान की निगरानी में जन कल्याण का पवित्र मंदिर है, न की किसी का निजी सुरक्षा कवच की गलती करो और अपने बचाव के लिए इस मंदिर में हंगामा करते रहो ! थोड़ा लिखा ज्यादा समझना तथा अपनी राय देना न भूलना !
जय हिन्द !!!
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