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जंगल में प्रजातंत्र

jagate raho
jagate raho
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जंगल में इक नागिन समुद्र पार से आई,
इस जंगल के नाग राज ने उससे शादी रचाई,
दो बच्चे दिए नागिन ने इक मेल इक फीमेल,
जंगल की राजनीति से रहे ये सब बेमेल !
पर नाग के ममी नाना,थे जंगल के राजा,
ममी के बाद गद्दी ने कहा नाग से आजा !
एक हादसे में नाग की हुई अचानक मौत
राजसत्ता को नागिन ने बना दिया निज सौप !
नागिन का प्रिंस अनाड़ी था और था नादान,
राजसत्ता के चम्मचों ने दिया उसे सम्मान ,
महल में तैयारी थी प्रिंस को राजा बनाने की,
चम्मचों में होड़ लगी थी, मंत्री पोस्ट पाने की,
वरिष्ठों ने संविधान बनाया हुआ प्रजातंत्री राज,
चुनाव में प्रिंस हारा, विपक्ष ने पहना ताज !
ये प्रजातंत्री राज बना प्रिंस गले की फांस,
अब झूठ का सहारा ले कर लेना चाहता चांस !
वरिष्ठों ने उसे समझाया, ज्यादा झूठ न बोले,
जहां जरूरत हो ज्यादा वहीं अपना मुंह खोले !
पर चमचों ने पर्ची बना के रोज उसे पकड़ाया,
उस नौसिखवे से ज्यादा से ज्यादा झूठ बुलवाया !
अब सत्ता पर बैठे नाग उसे चिढ़ा चिढ़ा कहते हैं ,
कहो झूठे प्रिंस ” आजकल आप कहाँ रहते हैं ?
झूठ बोले बिच्छू काटे काले संपवा से डरियो,
हम तेरा भेद खोलेंगे तुम देखते रहियो” !!

http://i421.photobucket.com/albums/pp295/44Reasons/TMP22.jpg

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