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झूट के पाँव नहीं होते, सच्चाई छिपती नहीं !

jagate raho
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सच्चाई छिप नहीं सकती कभी झूठे वसूलों से,पिता
खूशबू आ नहीं सकती कभी बनावट के फूलों से !

कांग्रेस आज तक सच्चाई को छुपाती रही, जनता से, तथा मतदाताओं को गुम राह करती रही, लेकिन कोई भी सच्चाई ज्यादा दिन तक दबी नहीं रह सकती ! वह किसी भी रूप में आईटम बम बन कर पटाके व् धमाके साथ बाहर निकलती है ! ऐसा नहीं है की सच्चाई जनता को पता नहीं है, की देश का प्रथम प्रधान मंत्री के लिए उस जमाने की कांग्रेस पार्टी की कार्य कारिणी ने सर्व सम्मति से ऐरन मैंन सरदार बल्ल्भ भाई पटेल को प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बिठाने का मन बना लिया था, पर केवल एक आदमी ने ( “महात्मा गांधी “) के दबाव से जवाहर लाल नेहरू को गद्दी पर बिठाया ! पटेल ने नेहरू को आगाह किया था, १९५० में नेहरू को पत्र लिखकर, चीन तिब्बत और नेपाल के बारे में की चीन भरोशे का देश नहीं है, उसे विश्व्सघाती दुश्मन बताया था ! पटेल ने नेहरू को काश्मीर समस्या को यूएनओ में ले जाने को भी मना किया था, लेकिन नेहरू जी ने गृहमंत्री पटेल जी की सलाह और सूचना को अनसुनी कर दिया था , नतीजा, चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा जमा लिया, और भारत के ऊपर १९६२ में आक्रमण कर दिया ! भारत उस समय गुलामी के जख्मों को पूरी तरह भर भी नहीं पाया था ! नेहरू और इंद्रा जी ने यह कहकर की “हमारा देश तो शान्ति प्रिय है, हमें ज्यादा सैनिकों की कोई आवश्यकता नहीं है, सैनिक संख्या घटा दी थी, जो थी भी उसे नए हथियार एम्युनिशन नए नए उपकरणों से भी बंचित रखा गया था ! उन्हें बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन तथा अन्य कामों में लगाया गया और ट्रेनिंग से दूर रखा गया ! नतीजा बेचारे सैनिक चीन की गोलियों से अपने को न बचा पाए और कांग्रेस सरकार ६७ साल तक सत्ता पर रही चीन से अपने ही खोये हुए इलाके को वापिस नहीं ले पायी ! काश्मीर का मसला अधर में नहीं लटकता अगर नेहरू जी १९४८ के भारत पाकिस्तान संग्राम में कमांडर ऑफ आर्मी, जनरल थिमैया के अनुरोध को मान लेते और उन पर सीज फायर करने का जोर नहीं डालते, तो काश्मीर के अंदर आज पाक ऑक्युपायड काश्मीर नहीं बनता और न केस संयुक्त राष्ट्र में जाकर उलझता ! मौजूदा आतंवाद इतना भयानक दानव बनकर नहीं उभरता !
यह सच्चाई आज स्वयं कांग्रेस पार्टी ने अपने मुख पत्र में अपने १३१ वां स्थापना दिवस पर प्रकाशित कर दिया ! पत्र ने तो सोनिया गांधी की पूरी जन्म पत्री भी पढ़ डाली ! शायद यह जनता व मतदाताओं के लिए नयी खबर हो ! “लेख में सोनिया के शुरुआती जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है ! वे पहले एयरहोस्टेस बनना चाहती थी ! उनके पिता स्टेफनो मायनो विश्व युद्ध में रूस से हारने वाले इतालवी बलों के सदस्य थे, इस तरह उन्हें एक पूर्व फासीवादी सैनिक कहा गया है ! सोनिया जी ने १९९७ में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और ६२ दिनों में कांग्रेस की बेताज राज रानी बन गयी, तब से आज तक वे इस पद को सुशोभित कर रहीं हैं ! मुख पत्र के संपादक निरुपम ने इस पेपर के लेख से पूरी तरह अपना पल्ला झाड़ दिया है ! सम्पादकीय प्रभारी सुधीर जोशी जी को बली का बकरा बनाकर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है ! चलो नतीजा कुछ हो लेकिन कांग्रेस के मुखपत्र ने छिपी हुई सारी सच्चाई बयां कर दी है ! मै लेखक को साधुवाद कहता हूँ ! अभी तो कांग्रेस के कही कारनामें आने वाले हैं, देखते जाओ होता क्या है आगे आगे ! चाहे उन्हीं के मुंह से या उनके चहेते चम्मचों के मुंह से ! हम तो आँखे गड़ाए हुए हैं,कान खोले हुए हैं, दिल मयूर बनकर बादलों को देखकर उछल कूद मचा रहा है ! आखिर आम पक चुके हैं नीचे ही गिरेंगे, और हम सफ़ेद चद्दर चारों कोनो पर चार प्रहरी बिठाकर उन पके आमों को ऊपर ही ऊपर समेट लेना चाहते हैं !
मैं वीर अर्जुन के प्रधान संपादक अनिल नरेंद्र जी व सहायक संपादक सदानंद जी को कोटि कोटि प्रणाम भेजता हूँ, इस जलती बलती खबर का खुलासा करने के लिए ! जयहिंद ! भारत माता की जय !

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